दिलचस्प

20 वर्षों से पूर्वजों की तलाश में भटक रहा था न्यूयॉर्क का डॉक्टर, भारत के इस शहर पहुंचा तो…

इंसान को अपने पूर्वजों का पता होना बहुत जरूरी होता है। इससे पता लगता है कि हम कौन थे, कहां रहते थे और कहां से आए थे। आत्म संतुष्टि के लिए अपनी जड़ो को जानना बेहद अहम काम होता है। कुछ लोग तो इसकी परवाह ही नहीं करते हैं। हालांकि अब भी ऐसे लोग हैं जो अपने पूर्वजों की जानकारियां रखना चाहते हैं।

हम ऐसी ही खबर की बात कर रहे हैं जहां अमेरिका में रहने वाला डॉक्टर अपने पूर्वजों की तलाश में जुटा था। उनको 20 साल हो गए थे लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही थी। अचानक एक दिन वो भारत के इस शहर में पहुंचे तो उनकी 20 वर्ष की तपस्या ही पूरी हो गई। आइए दिलचस्प कहानी को जानते हैं।

वर्षों से थी अपनों की तलाश

अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में रहने वाले डॉ विष्णु विश्राम ही वो इंसान हैं जो अपने पूर्वजों को जानना चाहते थे। वो चाहते थे कि अपनों की तलाश कर सकें ताकि वो कौन हैं और कहां से आए हैं, इसका पता लग सके। विदेश में संपन्नता की हर चीज मौजूद होने के बाद भी उनको आत्मशांति नहीं मिल पा रही थी।

वो अपने पूर्वजों को तलाशना चाहते थे। वो चाहते थे कि उनके पुरखों से उनकी मुलाकात हो और उनके साथ वो दुख सुख बांट सके। अपने पुरखों के बारे में जानकारी कर सके। पुरखों की तलाश में वो कई सालों से जुटे हुए थे। आखिरकार 20 सालों के बाद जाकर उनकी तपस्या पूरी हो सकी।

मां से किया था वादा, आजमगढ़ में जाकर पूरा हुआ

विष्णु विश्राम ने अपने पूर्वजों की तलाश का वादा अपनी मां से किया था। डॉक्टर की दादी का नाम अमरू था। उनको गिरमिटया मजदूर बनाकर अंग्रेजों ने गन्ने के खेतों में काम करने के लिए चुना और गुयाना भेज दिया था। साल 1891 में वो गुयाना आ गई थीं। यहीं पर बाद में उनकी शादी भी हो गई।

डॉ विष्णु विश्राम उनकी चौथी पीढ़ी हैं। उनकी मां ने उनसे वादा लिया था कि अगर भारत में उनके पूर्वज मिल जाएं तो उनका भी ख्याल रखना और साथ लेकर चलने की कोशिश करना। अपनी मां से किया हुआ वादा ही वो निभा रहे थे। 20 सालों के बाद उनकी खोज भारत के यूपी राज्य के आजमगढ़ जिले में जाकर पूरी हुई।

परिवार के लोगों से मिलकर खुश हो गए

डॉ विष्णु विश्राम फिजी, मॉरिशस और सूरीनाम देशों की यात्रा भी कर चुके थे। ये भी गिरमिट देश हैं जहां वो अपनी जड़े तलाशते हुए पहुंचे थे। हालांकि जब वो भारत के यूपी राज्य पहुंचे तब उनकी तलाश पूरी हुई। यहां के आजमगढ़ जिले के सियरहा गांव में आखिरकार उनके परिवार की जड़ें मिल गईं।

जैसे ही वो अपने परिवार से मिले, काफी भावुक हो गए। उन्होंने अपने बारे में परिवार वालों को बताया तो वो भी काफी खुश नजर आए। उनका स्वागत किया गया। अपनों के बीच वो 20 सालों की थकान पल भल में भूल गए। उनके साथ खूब वक्त बिताया। उनका कहना है कि वो परिवार वालों से मिलने के लिए बार-बार यूपी के आजमगढ़ जिले में आते रहेंगे।

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