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नई स्टडी: पृथ्वी के नीचे मिली रहस्यमयी परत, इंसानी दिमाग की तरह करती है काम

धरती पर रहने वाले इंसान हों या जानवर, सबके पास अपना दिमाग है। हमारा दिमाग ही हमको इस पृथ्वी पर जीने में मदद करता है। इसके बिना हम निर्जीव प्राणी की तरह हो जाएंगे। क्या आपको पता है कि हमारी धरती के पास भी दिमाग है और वो भी इसका इस्तेमाल करती है। जी हां ये बात भले ही अजीबोगरीब लग रही हो लेकिन सौ फीसदी सच है। इसका खुलासा हाल ही में हुई स्टडी में हुआ है जिसमें वैज्ञानिकों ने धरती के दिमाग होने का दावा किया है। आइए जानें पूरी खबर क्या है।

हाल ही में हुई स्टडी

पृथ्वी के भीतर कई ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जिनके बारे में हमको पता ही नहीं है। वैज्ञानिक भी लगातार इस राज को तलाशने में लगे रहते हैं। वैज्ञानिकों की टीम पृथ्वी ग्रह की लगातार स्टडी भी करती रहती है। अब एक नई स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा किया गया है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी में चौंकाने वाली स्टडी प्रकाशित की गई है। इसके मुताबिक धरती जिंदा है और अपना दिमाग भी रखती है। इतना ही नहीं स्टडी में पृथ्वी के दिमाग के इस्तेमाल के तरीके को भी बताया गया है।

ऐसे करती है दिमाग का इस्तेमाल

नई स्टडी में हुए खुलासे के मुताबिक धरती अपने दिमाग का प्रयोग फंगस की मदद से करती है। जी हां वैज्ञानिकों को धरती के नीचे फंगस की परत होने के सबूत मिले हैं। जिनकी मदद से संदेशों का आदान-प्रदान होता है। ये परत पूरी धरती में फैली हुई है और पृथ्वी अपनी अदृश्य बुद्धि का प्रयोग करती है जिसकी वजह से धरती की स्थितियों में बदलाव होता है। अगर बारीकी से अध्ययन हो सके तो जलवायु परिवर्तन से लेकर बढ़ती गरमी को लेकर पृथ्वी के रिस्पॉन्स को समझा जा सकता है।

धरती खुद कर रही है अपनी रक्षा

नई स्टडी के मुताबिक पृथ्वी खुद अपनी रक्षा कर रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसान पृथ्वी पर प्रदूषण फैला रहा है जिससे बड़ा संकट पैदा हो गया है। इसके बाद भी धरती अपने दिमाग का इस्तेमाल कर संतुलन बना रही है। संतुलन के लिए वो कोई न कोई प्रक्रिया शुरू कर देती है। उदाहरण के तौर पर पेड़-पौधे खुद को जिंदा रखने के लिए एक प्रक्रिया कर रहे हैं। इससे ऑक्सीजन मिल रही है।

वैसे तो ये पौधे अपने लिए कर रहे हैं लेकिन इसके पीछे पृथ्वी का ही दिमाग काम कर रहा है जो खुद को संतुलित करने के लिए इस तरह की प्रक्रिया करवाती है। धरती के एक हिस्से में कुछ गड़बड़ हो जाए तो वो दूसरे हिस्से में कुछ ऐसा कर देती है जिससे संतुलन बन जाता है।

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