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खुशखबरी: केंद्र सरकार का बड़ा बदलाव अब 500 ग्राम सोने की जगह रख पायेंगे आप 4 किलो सोना

नई दिल्ली: सोना आखिर किसे पसंद नहीं होता है। सोने के प्रति महिलाओं की दीवानगी देखते ही बनती है। कई पत्नियाँ अपने पतियों से इसलिए भी नाराज रहती हैं, कि उनके लिए गहने नहीं बनवाते हैं। कुछ पुरुष भी सोने को लेकर काफी दीवाने होते हैं। आपको अपने बप्पी डा तो याद ही होंगे। उन्हें भारत का गोल्डन मैन भी कहा जाता है। उनकी भी सोने के प्रति दीवानगी किसी से छुपी हुई नहीं है।

सोने के दीवानों के लिए खुशखबरी:

अब सोना के प्रति दीवानगी रखने वालों के लिए खुशखबरी है। सरकार ने सॉवरेन गोल्ड बांड (एस.जी.बी.) में सलाना निवेश की व्यक्तिगत सीमा को बढ़ाकर 4 किलो तक कर दिया है। सरकार ने यह सीमा पहले 500 ग्राम तय की हुई थी। इसके साथ ही अन्य कई नियमों को भी उदार किया गया है। इस योजना को खरीदारों के लिए और आकर्षक बनाए जाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है।

सूचीबद्ध बांडों की खरीद को भी किया जायेगा शामिल:

केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी किये गए अधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह सीमा वित्त वर्ष के आधार पर तय की जाएगी। इसके तहत बाजार में सूचीबद्ध बांडों की खरीद को भी शामिल किया जायेगा। बयान में कहा गया है कि वित्तवर्ष में निवेश की सीमा को 4 किलो तक किया गया है। सरकार ने हिन्दू अविभाजित परिवार के लिए यह सीमा 4 किलो रखी है तथा ट्रस्टों और सरकार द्वारा अधिसूचित इस तरह की इकाइयों के लिए यह सीमा 20 किलो रखी गयी है।

योजना में किये गए हैं कुछ जरुरी बदलाव:

निवेश की इस सीमा में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के पास गिरवी रखे बांडों को शामिल नहीं किया गया है। वित्त मंत्रालय अभी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, बम्बई शेयर बाजार और डाक विभाग से इसपर विचार-विमर्श करके सुविधा के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देगा। एस.जी.बी. की तरलता और व्यपरोन्मुखता में सुधार के लिए जरुरी बाजार पहल बनाई जाएगी। योजना में कुछ जरुरी बदलवा भी किये गए हैं।

5 नवम्बर 2015 को योजना की गयी थी अधिसूचित:

केंद्र सरकार द्वारा वित्त मंत्रालय को एस.जी.बी के अलग-अलग संस्करण तय करके उन्हें पेश करने का अधिकार दिया गया है। इसमें हर वर्ग के निवेशकों के लिए अलग-अलग व्याज दरें और जोखिम संरक्षण का प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार ने एस.जी.बी. योजना 5 नवम्बर 2015 को अधिसूचित की थी। इस योजना को अधिसूचित करने से पहले मंत्रिमंडल की मंजूरी ली गयी थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य हाजिर सोने के विकल्प के रूप में वित्तीय परिसंपत्ति का विकास करना है।

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