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तो इस वजह से संसद भवन में लगे हुए हैं उल्टे पंखे, जानिये राष्ट्रपति भवन के बारे में ख़ास बातें

नई दिल्ली संसद भवन देश की ऐतिहासिक है। 88 साल पुरानी संसद की इमारत वास्तुशिल्प का बेजोड़ नमूना है।  बेजोड़ वास्तुशिल्प से बने संसद भवन का निर्माण महज 83 लाख रुपये और 6 वर्ष से भी कम समय हुआ था। संसद भवन की नींव 12 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनाट ने रखी थी। इन्हीं के नाम पर दिल्ली में एक स्थित एक जगह का नाम कनाट प्लेस है। इसके अलावा, संसद भवन की कुछ और खासियतें हैं जिसे बहुत कम लोग जानते हैं। Opposite fans in the parliament.

संसद के सेंट्रल हॉल में लगे हैं उलटे पंखे :

 

भारत के 14 वें राष्ट्रपति के तौर पर मंगलवार को रामनाथ कोविंद ने शपथ ली है। देश के नए राष्ट्रपति के शपथ समारोह में लगभग सभी पार्टियों के नेता शामिल हुए। इस समारोह में कई चीजें ऐसी देखने को मिली जो पहले कभी नहीं देखी गईं। इन सबके बीच जो सबसे खास बात देखने को मिली वह ये थी कि सेंट्रल हॉल में कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पंखे उल्टे लगे हुए दिखे।

ये है संसद भवन में उल्टे पंखे लगे होने का कारण :

लोगों में इस बात को लेकर काफी उत्सुकता है कि आखिर संसद भवन में उलटे पंखे क्यों लगाये गए। इस बात की जब खोज-बीन की गई तो पता चला कि राष्ट्रपति भवन में उल्टे पंखे क्यों लगे हुए हैं। दरअसल, ये पंखे शुरू से ही यहां ऐसे उलटे लगे हुए थे। संसद भवन की ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए इन्हें आज भी उल्टे ही रखा गया है। यानि कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह से पहले भी ये पंखे उल्टे ही थे।

ये हैं संसद भवन की अन्य खासियतें :

संसद भवन देश के सबसे भव्य भवनों में एक है। इसे मशहूर वास्तुविद लुटियन ने डिजाइन किया था। ससंद भवने में अद्भुत खंभों और गोलाकार बरामदें हैं जो पुर्तगाली स्थापत्यकला का अद्भुत नमूना है। इस भवन की डिजाइन के कारण ही इसे सर्कुलर हाउस भी कहा जाता था। लेकिन, बहुत कम लोग हैं जो संसद भवन के बारे में ज्यादा कुछ जानते हैं। गोलाकार आकार में बना संसद भवन का व्यास 170.69 मीटर है। इसकी परिधि 536.33 मीटर है और करीब 6 एकड़ (24281.16 वर्ग मीटर) में फैला हुआ है।

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