अध्यात्म

भगवान बुद्ध का यह ज्ञान बदल कर रख देगा आपकी पूरी जिंदगी, जानें!

भगवन बुद्ध के बारे में कुछ भी बताने की जरुरत नहीं है। इन्होने अपने ज्ञान से पूरी दुनिया को प्रकाशमय किया है। आज पूरी दुनिया में भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को मानने वाले लोगों की संख्या काफी है। यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। कई देश ऐसे हैं जहाँ बुद्ध धर्म माना जाता है। वहाँ के लोग भगवान बुद्ध की उपासना करते हैं। अपना जीवन सादगी से जीते हैं।

इंसान के दुःख का कारण हैं उसकी इच्छाएं:

भगवान बुद्ध मूर्ति पूजा के सख्त खिलाफ थे। उन्होंने यह भी कहा था कि मेरी पूजा मत करना अगर कुछ करना हो तो मेरे विचारों को अपनाना। लेकिन आज लोग इनके विचारों को अपनाना भूल गए हैं। इसी वजह से इंसान कई तरह की परेशानियों से घिर गया है। उन्होंने यह भी कहा था कि इंसान के दुःख का सबसे बड़ा कारण उसकी इच्छाएं हैं। अगर व्यक्ति अपनी इच्छाओं का त्याग कर देगा तो वह जीवन में कभी दुखी नहीं होगा।

इस शिक्षा को मानने वालों की बदल जाएगी जिंदगी:

भगवन बुद्ध अपना जीवन भिक्षा माँगकर व्यतीत करते थे। हालांकि वह एक राजशाही परिवार से थे। लेकिन जब उन्हें जीवन का ज्ञान प्राप्त हुआ तो वह सबकुछ छोड़कर ध्यान में लग गए। ज्ञान प्राप्ति के बाद वह लोगों को जगह-जगह जाकर शिक्षा देते थे। इस दौरान उनके कुछ सेवक भी हुए जो उनकी शिक्षाओं को दूर-दूर तक फैलाने का काम करते थे। आज हम आपको भगवान बुद्ध की एक ऐसी सीख के बारे में बताने जा रहा हैं, जिसका पालन करने पर आपका जीवन बदल जायेगा।

खेती ही करता हूँ, दिन रात करता हूँ और अनाज उगाता हूँ:

जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि भगवान बुद्ध अपना जीवन-यापन भिक्षा माँगकर करते थे। एक दिन वह भिक्षा माँगने के लिए एक धनी व्यक्ति के घर गए। उस धनी व्यक्ति ने भिक्षा ना देकर उन्हें ज्ञान देने की कोशिश की। वह कहने लगा कि, “भिक्षा माँगते हो, कामकाज क्यों नहीं करते, कुछ नहीं तो कम से कम खेती-बाड़ी ही किया करो।“ भगवान बुद्ध यह सुनकर पहले मुस्कुराये और फिर कहा, “खेती ही करता हूँ, दिन-रात करता हूँ और अनाज उगाता हूँ।“

यह सुनकर धनी व्यक्ति आश्चर्य में पड़ गया और बोला, “अगर खेती करते हो तो तुम्हारे पास बैल कहाँ है और तुम्हारा अन्न कहा है।“ यह सुनकर भगवान बुद्ध ने कहा कि, “मैं अन्तः करण में खेती करता हूँ। विवेक मेरा हल और संयम एवं वैराग्य मेरे बैल हैं। मैं प्रेम, ज्ञान और अहिंसा का बीज बोता हूँ एवं पश्चाताप के जल से उन्हें सींचता हूँ। अपनी सारी उपज मैं विश्व को बाँट देता हूँ, यह मेरी खेती है।“ भगवान बुद्ध की यह बात सुनकर धनी व्यक्ति काफी शर्मिंदा हुआ।

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