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45 रुपए किलो के भाव से बसें बेच रहा बस का मालिक, वजह बताते हुए छलक पड़े आंसू

कोरोना महामारी के चलते बीते कुछ वर्षों में कई लोग आर्थिक रूप से कमजोर हुए हैं। खासकर बिजनेस करने वाले लोगों पर इसका काफी नेगेटिव प्रभाव पड़ा है। बस इंडस्ट्री को भी बड़ा नुकसान हुआ। कोरोना को देखते हुए कई लोग पर्यटन स्थलों पर भी नहीं जा रहे हैं। यदि जाते भी हैं तो पर्सनल वाहन का उपयोग करते हैं। ऐसे में केरल के टूरिस्ट बस ऑपरेटर्स की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। आलम ये है कि एक बस ऑपरेटर अपनी बस को 45 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से बेचना चाहता है।

बस को कबाड़ के भाव बेचने को मजबूर हुआ ऑपरेटर

दरअसल केरल के कोच्चि जिले का एक बस ऑपरेटर अपनी बसों को महज 45 रुपए प्रति किलोग्राम के भाव से बेच रहा है। वह ऐसा खुद को कर्ज के दलदल से बाहर निकालने के लिए कर रहा है। एर्नाकुलम में रॉय टूरिज्म के मालिक रॉयसन जोसेफ ने अपना ये दर्द सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किया है। उन्होंने कांट्रेक्ट कैरिज ऑपरेटर्स एसोसिएशन केरल के टूरिस्ट बस मालिकों के संघ को फेसबुक पोस्ट कर कहा कि वह अपनी बसों को 45 रुपए प्रति किलो के स्क्रैप रेट पर बेचना चाहते हैं।

कोरोना महामारी से प्रभावित हुआ कारोबार

रॉयसन ने शुक्रवार को फेसबुक पोस्ट साझा कर कहा कि केरल में टूरिस्ट बस इंडस्ट्री की हालत बेहद खराब है। उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई है। अब उनके सामने मरने जैसे हालात पैदा हो गए हैं। कोरोना महामारी ने बिजनेस बहुत अधिक प्रभावित किया है। इसके चलते वे बीते वर्ष भी अपनी 20 में से 10 बसें बेच चुके हैं।

कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा

वहीं रॉयसन जोसेफ ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि अब जिंदगी जीना भी मुश्किल हो रहा है। फाइनेंसरों और कर्जदाताओं का भुगतान नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में मैं जिन हालातों से गुजर रहा हूँ वही हाल देश के और भी कई लोगों का है। अब मेरे पास तुरंत अपनी 3 बसों को कबाड़ के भाव बेचने के अलावा कोई चारा नहीं है। मैं अपने कर्जों का भुगतान समय पर नहीं कर पा रहा हूं।

सरकार बैंक कोई मदद नहीं कर रहा

जोसेफ ने आगे बताया बस को चलाने के लिए 40 हजार रुपए टैक्स और 75 हजार रुपए इंश्योरेंस देना होता है। वहीं कर्मचारियों की सैलरी, बस का मेंटनेंस और अन्य खर्चों के बाद अपनी जीविका चलाना भी कठिन हो गया है। सरकार ने बस मालिकों की सहायता का जो वादा किया था वह अभी तक पूरा नहीं किया। हमे बैंक की ओर से भी कोई राहत नहीं दी जा रही है।

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