स्वास्थ्य

विटामिन- डी की कमी को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी, समय से दें ध्यान नहीं तो होगा यह नुकसान

विटामिन- डी (Vitamin D) मानव स्वास्थ्य के लिए काफी अहम होती है और यह बात हम सभी जानते और समझते हैं कि विटामिन- डी का मुख्य स्रोत्र सूर्य है। वहीं एक रिपोर्ट की मानें तो बीते कुछ वर्षों में दुनियाभर के लोगों में विटामिन- डी की कमी भारी मात्रा में देखी गई है। मालूम हो कि विटामिन- डी की शरीर में कमी होने से दिल संबंधी बीमारियां आदि होती हैं।

Vitamin-D

ऐसे में विटामिन- डी की कमी को पूरा करने के लिए लोग काफी सप्लीमेंट्स का सहारा भी लेते हैं, लेकिन कई बार लोग डॉक्टरी सलाह लेने से पहले ही कई तरह के सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं। जो कहीं न कहीं समस्या का कारण भी बन जाता है। आइए ऐसे में समझें विटामिन- डी की कमी से शरीर को कैसे बचाएं…

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बता दें कि विटामिन-D का मुख्य स्रोत्र सूर्य का प्रकाश होता है, जो हमारे शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट की मात्रा को नियंत्रित करने में हेल्प करता है। वहीं कैल्शियम और फॉस्फेट के संतुलन से ही शरीर में हड्डियां, दांत और मांसपेशियों स्वस्थ और मजबूत रहती है।

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लेकिन कई मर्तबा ऐसा होता है कि ठंड के मौसम में मांसपेशियों और हड्डी से संबंधित दर्द एकाएक व्यक्ति के शरीर में शुरू हो जाता है। ऐसे में यह कहीं न कहीं विटामिन- डी के स्तर में कमी आने का संकेत होता है।

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मालूम हो कि कई बार विटामिन-डी के स्तर में आई कमी कई गंभीर बीमारियों को भी बुलावा देती है, जिसमे आजकल कोरोना रूपी गंभीर खतरा भी शामिल है।

एक हालिया अध्ययन की मानें तो कोविड संक्रमण से पहले विटामिन- डी का स्तर महामारी के गंभीर रूप लेने से संबंधित है और यह हड्डियों के स्वास्थ्य में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में अगर किसी मानव शरीर में इसके पूरक का स्तर कम हो जाता है तो आटोइम्यून, कार्डियोवैस्कुलर और संक्रामक बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।

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ऐसे में महामारी के प्रारंभिक चरण में स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अधिकारियों ने लोगों को विटामिन डी लेने के लिए प्रोत्साहित करना शुरू किया और उनका कहना यह रहा कि यह इम्यून प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करने में भूमिका निभाता है और कोविड-19 से बचाव कर सकता है। इजरायल के साफेड में बार-इलान यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर किए गए अपने अध्ययन में पाया कि विटामिन

डी की कमी (20 एनजी-एमएल से कम) वाले रोगियों में 40 एनजी-एमएल से ज्यादा वालों के मुकाबले कोविड के गंभीर या नाजुक होने का खतरा 14 गुना ज्यादा रहता है। इतना ही नहीं यहाँ जो ध्यान देने योग्य बात है उसके मुताबिक पर्याप्त विटामिन- डी स्तर वाले रोगियों में मृत्यु दर 2.3 फीसद पाई गई जबकि इसके विपरीत विटामिन- डी की कमी वाले समूह में यह दर 25.6 फीसद मिली।

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ऐसे में कुल-मिलाकर देखें तो विटामिन- डी की कमी हमें मौत के करीब ले जाने में अहम भूमिका इस शोध के अनुसार निभाती है। फिर जो जरूरी बात हो जाती है कि ऐसे में विटामिन-डी की पूर्ति शरीर के लिए कैसे करें, तो व्यक्ति को सूर्य की रोशनी में थोड़ा समय बिताने की आदत डालने की बेहद जरूरत है।

इसके अलावा हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना भी जरूरी होता है और अगर हम मछली का तेल, रेड मीट, अंडे की जर्दी आदि का सेवन करते हैं तो विटामिन- डी की कमी से बच सकते हैं। इसके अलावा जो शाकाहारी हैं, उन्हें सूर्य की किरणों से विटामिन- डी मिल सकता है और इसके अलावा भी कई उपाय हो सकते हैं।

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