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आश्रम में ससुर रोते हुए बोले- 2 रोटी नहीं दे सकते? फिर बहू ने जो किया वह देख नम हो गई आंखें

“बेटा, हमने तुम्हें बड़ी कठिनाइयों से पढ़ाया, बड़ा किया और आज हम खुद रोटी को तरस रहे हैं। हमे रहने-खाने के लिए आश्रम की शरण लेना पड़ रही है। यहां बुजुर्गों के बीच में हमें अनजान लोग गरम रोटी दे रहे हैं। हमने तुम्हें पैदा किया, तुम हमे रोटी नहीं खिला सकते..?

हम दो लोग तुमसे संभल नहीं सकते। बचपन में हमने तुम्हें अपने हाथों से गरम खाना खिलाया, अपने कंधे पर बैठा घुमाया, हाथ थाम चलना सिखाया, और जब आज हमे तुम्हारे हाथ थामने की जरूरत है तो तुमने हमे छोड़ दिया। हम इस आश्रम में रहने को मजबूर हैं।”

पिता की ये दर्द भरी बातें सुन बेटे की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगी, बहू भी फूट-फूट कर रोने लगी। बोली- “घर चलो ससुर जी। आप जब कहोगे तब गरम खाना बनाकर देंगे।” भावुक कर देने वाला यह नजारा बीते रविवार मध्य प्रदेश के देवास शहर के वृद्धा आश्रम में देखने को मिला। यहां जब दो बेटे माता-पिता को घर वापस ले जाने आश्रम आए तो बूढ़े पिता के दिल की भड़ास जज़्बातों में बाहर निकल पड़ी।

आश्रम में रहने को मजबूर था बुजुर्ग जोड़ा

दरअसल 72 वर्षीय फुलसिंह जमोद निमलाय कांटाफोड़ के रहने वाले हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने बेटों खिलाफ कांटाफोड़ थाने पर शिकायत की थी। उन्होंने कहा था “बेटे-बहू देखभाल नहीं करते रोटी नहीं देते।” इसके बाद पुलिस जांच करते हुए बेट कैलाश व पितलाया जमोद के घर पहुंची। यहां जब बेटों को पता चला कि मां-बाप आश्रम में हैं तो वे उन्हें लेने जा पहुंचे।

बेटे-बहुओं माफी मांग लेने आए

बेटों को देख मां-बाप ने जाने से मना कर दिया। पिता ने कहा “हमने तुम्हें मजदूरी कर बड़ा किया, बचपन में हाथों से गरम रोटियाँ दी और जब हम बूढ़े हुए तो तुम हमे रोटी तक नहीं खिला सके।” पिता का दर्द सुन बेटों और बहुओं की आंखें नम हो गई। उन्होंने करीब डेढ़-दो घंटे तक माता-पिता को मनाया। मां तो जल्दी राजी हो गई थी, लेकिन बाप का गुस्सा आसानी से शांत नहीं हुआ। हालंकी अंत में वे भी मान गए।

बहू बोली- अब देंगे गर्म रोटी

बहुओं लीला व करमाबाई ने सास-ससुर के पैर छूए और उन्हें अब से गर्म रोटी देने का वादा किया। इसके बाद बुजुर्ग दंपति खुशी-खुशी अपने घर लौट गया। कांटाफोड़ थाने पर पदस्थ पुलिसकर्मी अशोक जोसवाल ने बताया कि बुजुर्गदंपत्ति के चार बेटे हैं। दो नेमावर में जबकि दो निमलाय में रहते हैं। बुजुर्ग की शिकायत के बाद हम बेटे कैलाश व पातलिया जमोद के पास गए थे। उन्होंने कहा कि हमे लगा माता-पिता किसी रिश्तेदार के घर होंगे, आश्रम में रहने की बात उन्हें नहीं पता थी।

आश्रम संचालक दिनेश चौधरी के अनुसार बुजुर्ग फुलसिंह व उनकी पत्नी सायरीबाई 11 जनवरी को आश्रम आए थे। इसके बाद 24 जनवरी को उनके दोनों बेटे व बहू उन्हें मनाकर वापस ले गए।

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