अध्यात्म

संत ने बच्ची से माँगा एक मुट्ठी मिट्टी का दान, शिष्य को बताई इसके पीछे की वजह

बच्चों को बचपन से ही अच्छे काम करने के लिए कहना चाहिए. तभी वह बड़े होकर समाज के लिए एक आदर्श नागरिक बन पाते है. संस्कारों की नींव बच्चों में बचपन से ही डालनी चाहिए. उन्हें संस्कारों से ही सींचना चाहिए. इसी के चलते आज हम आपको एक ऐसा प्रसंग बताने जा रहे है जिसका सार यही है बच्चों को शुरू से ही अच्छे कामों के लिए प्रेरित करना चाहिए.

जब एक महान संत ने बच्ची से मांगी एक मुट्ठी मिट्टी
बहुत ही पुराने समय की बात है एक संत हुआ करते थे. संत अपने शिष्य के साथ एक गांव में भिक्षा मांग रहे थे. इस दौरान भिक्षा मांगते हुए वह एक घर के बाहर पहुंचे. उन्होंने भिक्षा के लिए अंदर आवाज़ लगाई तो अंदर से एक छोटी सी बच्ची बाहर आई. उस बच्ची ने संत से कहा कि “हमारे पास आपको देने को कुछ भी नहीं है.” उस संत ने बच्ची से कहा, ‘बेटी मना मत कर, कुछ नहीं है तो अपने आंगन की थोड़ी सी मिट्टी ही दान में हमें दें दें.’

छोटी सी बच्ची ने तुरंत ही आंगन से एक मुट्ठी मिट्टी उठाई और भिक्षा पात्र में डाल दी. बाद में संत ने बच्ची को आशीर्वाद दिया और आगे बढ़ गए. रास्ते में कुछ दूर आगे चलने के बाद शिष्य ने संत से पूछा कि “गुरुजी आपने भिक्षा में मिट्टी ही क्यों ली? ये तो हमारे किसी काम की भी नहीं है.” उस संत ने शिष्य को बताया कि, ‘आज वह कन्या छोटी है और अगर वह अभी से मना करना सीख जाएगी तो बड़ी होकर भी सभी को दान देने से मना कर देगी. आज उसने हमें दान में थोड़ी सी मिटटी दी है. इस मिटटी से उसके मन में दान देने की भावना जागेगी. इस तरह भविष्य में जब वह बड़ी होकर सामर्थ्यवान बन जायेगी तो फल-फूल और धन का भी दान करेगी.’

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इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि, अपने बच्चों को बचपन से ही अच्छे काम करना सिखाना चाहिए. हमेशा उन्हें अच्छे संस्कार देना चाहिए. बचपन से उन्हें अच्छे कामों के लिए ही प्रेरित करेंगे तो वे बड़े होकर अच्छे इंसान बनेंगे और बुराइयों से बचे रहेंगे. लोगो की मदद करेंगे. अगर आपके पास भी शिक्षा देने की इस तरह की कहानिया है तो हमारे साथ जरूर शेयर करे.

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