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ओमिक्रॉन खतरनाक नहीं, लेकिन अनदेखी से हो सकता है बड़ा नुकसान: एक नहीं कई तरह के हैं जोखिम

कोरोना वायरस का ओमिक्रोन वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट की तरह खतरनाक नहीं है। जो लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित हो रहे हैं उनमें से ज्यादातर में कोई लक्षण ही नहीं दिख रहे हैं, जिन लोगों में लक्षण दिख रहे हैं वो भी हफ्ते भर के अंदर ही ठीक हो जा रहे हैं। इसीलिए हममें से ज्यादातर लोग इसे बहुत गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।

लेकिन यूरोप और अमेरिका, जहां ओमिक्रॉन ने कहर मचाया हुआ है, के अनुभवों को देखें तो यह साफ हो जाएगा कि इसे लेकर अगर अनदेखी की गई, तो उसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसका सबसे बड़ा असर पूरी व्यवस्था या सिस्टम पर पड़ सकता है और पूरी की पूरी व्यवस्था चौपट हो सकती है।

कोरोना वायरस के पहले रूप और डेल्टा वेरिएंट से 70 गुना ज्यादा तेजी से फैलने वाले ओमिक्रॉन वैरिएंट ने अमेरिका और ब्रिटेन के सिस्टम को भेदना शुरु कर दिया है। भारत में भी हालात दिनों-दिन खराब होते जा रहे है। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इसके संक्रमण की तेज रफ्तार की वजह से व्यवस्था के चरमराने का खतरा बढ़ सकता है, खासकर भारत जैसे विशाल आबादी वाले देश में।

हेल्थ सिस्टम चरमरा सकता है

हेल्थ सिस्टम या स्वास्थ्य व्यवस्था में मैनपावर का संकट शुरू हो चुका है। इस संकट को भारत में सामने आ रहे कुछ उदाहरणों से समझना आसान हो सकता है। पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में हेल्थवर्कर कोरोना की चपेट में आ गए हैं, जिसके चलते वहां मैनपावर का संकट छा गया है। पूरे बंगाल खासकर कोलकाता में बड़ी संख्या में अस्पतालों के डॉक्टर और दूसरे स्टाफ कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।

इसकी वजह से राज्य सरकार हेल्थकेयर वर्करों की 10 दिनों के अनिवार्य आइसोलेशन की व्यवस्था को घटाकर 5 दिन करने पर विचार करने को मजबूर हुई है। बिहार में भी आईएमए के एक कार्यक्रम में शामिल 100 से ज्यादा डॉक्टर संक्रमित हुए हैं, जिसमें से 84 तो सिर्फ नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के हैं। लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भी डॉक्टर समेत 40 हॉस्पिटल स्टाफ के संक्रमित होने की बात सामने आई है। ये मामले हमें गंभीर संकट को लेकर आगाह करने वाले हैं।

सार्वजनिक सेवाओं पर पड़ सकता है असर

अगर ब्रिटेन का उदाहरण लें तो ओमिक्रॉन की वजह से वहां सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं के सामने ही अव्यवस्था का संकट पैदा नहीं हुआ है, बल्कि, पब्लिक डीलिंग में लगी कई अन्य सेवाएं भी ठप होने वाली हैं । वहां, कोविड संक्रमण की वजह से उद्योगों के सामने स्टाफ की किल्लत है। रेलवे, बस सेवाएं और ट्यूब लाइंस सर्विस बाधित हो चुकी हैं। क्योंकि, संक्रमण की वजह से भले ही लक्षण गंभीर नहीं हों, संक्रमित स्टाफ को खुद को अलग करके रहना पड़ रहा है। इसी वजह से आइसोलेशन की मियाद घटाने की नौबत आई है।

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नजरअंदाज करना पड़ेगा भारी

संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं को आवाजाही की छूट मिली हुई थी। इसलिए देश में लोगों तक जरूरी वस्तुएं पहुंचाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। लेकिन ओमिक्रॉन के बारे में जानकारों की राय अलग है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि संक्रमित के संपर्क में थोड़ी देर के लिए भी आना, संक्रमण को बुलावा देना है।

ऐसे में बैंक हो या एटीएम सेवा या फिर मेडिकल कारोबार, या फिर कोई भी सार्वजनिक कार्यालय या फिर होम डिलिवरी व्यवसाय इसकी चपेट में आ सकते हैं। अगर संक्रमण की वजह से मैनपावर की कमी हुई तो हाहाकार की स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए ओमिक्रोन से निपटने को लेकर शासन और प्रशासन दोनों को बहुत फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ाना होगा।

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