अध्यात्म

ना पूजा ना अर्चना, ईश्वर को आप सिर्फ ‘ॐ’ के जाप से ही कर सकते है प्रसन्न, जानें सही तरीका

भारत में रहने वाले किसी भी इंसान के लिए अध्यात्म काफी महत्त्व रखता है. यहाँ की जड़ें अध्यात्म से ही जुडी हुई है. इसीलिए तो हमें जीवन में जब भी कोई कष्ट घेरता है तो हम सबसे पहले ईश्वर को ही याद करते है. हर कोई अपने-अपने तरीके से ईश्वर की पूजा अर्चना करता है. जब भी हम पूजा करते हैं तो कई मंत्रों का जाप करते हैं.

दरअसल हिंदू धर्म में मंत्रोच्चारण का एक विशेष महत्व है और अमूमन हमारे सभी मन्त्रों का उच्चारण ॐ से ही शुरु होता है. सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार, ॐ सिर्फ एक शब्द नहीं है बल्कि इसमें पूरा संसार व्याप्त है.

benefits of om chants

यह अभी की बात नहीं है, सदियों से हमारे ऋषि मुनि केवल ॐ का उच्चारण करके ही कठिन तप योग और साधना के जरिये प्रभु के साक्षात दर्शन करते थे. ॐ किसी भी चमत्कारी शब्द से कम नहीं है, जिसमें कई तरह की शक्ति व्यापत हैं. मान्यता है कि केवल सिर्फ ॐ के जाप से ही ईश्वर को पाया जा सकता है. तो आइए जानते हैं ॐ की कल्याणकारी शक्तियों के बारे में और ‘ॐ’ का उच्चारण किस तरह से करना चाहिए.

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ये है ॐ का पौराणिक महत्व
सनातन धर्म की माने तो ॐ के उच्चारण में संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान छिपा हुआ है. केवल ॐ के जाप से ही परमपिता परमेश्वर प्रसन्न हो जाते हैं और जीवन के हर एक कष्ट को दूर कर देते हैं. पौराणिक कथाओं की माने तो ॐ ईश्वर के सभी रूपों का एक संयुक्त रूप है. ॐ शब्द में ही पूरा ब्रह्मांड टिका हुआ है.

ॐ के उच्चारण करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. ये ध्वनि इंसान की सुनने की क्षमता से काफी ऊपर है. माना जाता है कि इस संसार के अस्तित्व में आने से पहले जिस प्राकृतिक ध्वनि की गूंज हुई थी वह ॐ की ही थी. यही कारण है कि इसको ब्रह्मांड की आवाज भी कहा जाता है.

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गौरतलब है कि ‘ॐ’ का उच्चारण करते समय जब ‘म’ की ध्वनि हमारे मुख से निकलती है तो इससे हमारे मस्तिष्क को पॉजिटिव ऊर्जा मिलती है और इससे व्यक्ति की मानसिक शक्तियों का विकास होता है. ॐ के जाप करने से अशांत मन भी शांत और स्थिर होने लगता है. केवल ॐ के पूरे दिन जाप करने से आप अपने ईष्ट देव को खुश कर उनकी कृपा पा सकते हैं.

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हमेशा ॐ का उच्चारण करते समय रखें इन बातों का ख्याल
ॐ का उच्चारण करने से पहले अपने मन को स्थिर करे. ॐ का उच्चारण हमेशा ही खुले और स्वच्छ वातावरण में ही करना चाहिए. ॐ का उच्चारण करने से आपकी सांसे तेज हो जाती हैं, ऐसे में खुले स्थान पर इसका उच्चारण करने से सकारात्मकता प्राप्त होती है.

आप ॐ का उच्चारण पद्मासन, वज्रासन ,सुखासन आदि मुद्रा में बैठ कर कर सकते हैं. इसके साथ ही 5,7,11 या 21 बार ॐ का उच्चारण करना स्वास्थ के लिए बेहद उपयोगी माना गया है. आप पूजा के समय विशेष रूप से ॐ का जाप अपने हिसाब से करें और भगवान की कृपा पाएं. इसे आज ही शुरू करे.

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