अध्यात्म

गौ दान करने से स्वर्ग में मिलती है जगह, माफ हो जाते हैं बुरे कर्म, जाने गौ दान का सही तरीका

लगभग हर धर्म में स्वर्ग और नर्क की बात कही गई है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति  जीवन में अच्छे कर्म करता है उसे स्वर्ग नसीब होता है। वहीं जो बुरे कर्म करता है वह मरने के बाद नर्क जाता है। नर्क में जीवन बहुत ही कठिन होता है, वहीं स्वर्ग में आरामदायक होता है। इसलिए सभी लोग मरने के बाद स्वर्ग जाने की इच्छा रखते हैं।

हालांकि कई बार भूलचूक में हम बुरे काम भी कर जाते हैं।ऐसे में हमारे नर्क जाने के चांस बढ़ जाते हैं। इस चीज को सुधारने में दान धर्म आपके काम आ सकता है। यदि आप चाहें तो अपने बुरे कर्मों दुष्ट प्रभाव को अच्छे कर्मों से कम कर सकते हैं।

सनातन धर्म में है दान का महत्व

सनातन धर्म में भी दान को बहुत अहमियत दी जाती है। कहते हैं कि हर इंसान को जीवन में कभी न कभी किसी न किसी चीज का दान जरूर करना चाहिए। आप दान में क्या चीज देते हैं ये भी बहुत मायने रखती है। इन चीजों के आधार पर आप अपनी किस्मत भी बदल सकते हैं।

उदाहरण के लिए यदि कुंडली में बुध कमजोर हो तो उसे मजबूत बनाने के लिए किन्नरों को दान किया जाता है।वहीं मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए गरीबों को दान दिया जाता है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे दान के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपको सीधा स्वर्ग की प्राप्ति करा सकता है।

गौ-दान से मिलता है स्वर्ग

cow donation

हिंदू धर्म में गाय को पवित्र माना जाता है। लोग उसकी पूजा पाठ भी करते हैं। गौ सेवा को सबसे ज्यादा पुण्य का काम माना जाता है। इसी तरह यदि आप गौ दान करते हैं तो कई दोषों से मुक्ति मिल जाती है। मान्यताओं के अनुसार गाय का दान करने से इंसान को मरने के बाद स्वर्ग में स्थान मिलता है। हालांकि इस गौदान को लेकर भी शास्त्रों में अलग-अलग नियम बताए गए हैं। आपको इन्हीं नियमों को ध्यान में रखते हुए गौ दान करना चाहिए।

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गाय के सभी अंगों में बसते हैं देवता

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धार्मिक मान्यताओं की माने तो गाय के सभी अंगों में देवी देवताओं का वास होता है। गाय के सिर में महादेव, माथे पर गौरी और नथनों में कार्तिकेय विराजते हैं। गाय की आंखों में सूर्य-चंद्रमा, कानों में अश्विनी कुमार, दांतों में श्री कृष्ण, जीभ में वरुण और गले में देवराज इन्द्र होते हैं। गाय की बाल में सूर्य की किरणें, खुर में गंधर्व, पेट में पृथ्वी और चारों थनों में चारों समुद्र का वास होता है। गाय के गोमूत्र में गंगा और गोबर में यमुना रहती हैं। गाय के सींगों में ब्रह्मा और विष्णु विराजित होते हैं।

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इस विधि से करें गौ दान

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गौदान करने के पूर्व गाय का श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान कपड़े, श्रृंगार का सामान, आभूषण आदि की पूजा होती है। शास्त्रों के अनुसार किसी ब्राह्मण को गौ दान करने का सबसे अधिक लाभ मिलता है। दान की जा रही गाय के सींग और खुर चमकदार होने चाहिए। गाय दूध देने वाली होनी चाहिए। उसकी पीठ तांबे की तरह होनी चाहिए। गौ दान में बूढ़ी गाय कभी नहीं देनी चाहिए। गौ दान करते समय दाहिने हाथ में गाय की पूंछ पकड़कर खुद का मुंह दक्षिण में रखाना चाहिए।

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