वसीम रिजवी ने कहा हर जुम्मे की नमाज के बाद मेरा सिर काटने की होती थी बात, इसलिए बना हिन्दू
हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय! - सभी धर्मों में हिंदू धर्म अच्छा लगा, दुनिया का सबसे पुराना धर्म है
लखनऊ : सोमवार को उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने खुशी-खुशी इस्लाम को छोड़कर हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया. हिंदू बनने के बाद वसीम काफी खुश है और वे काफी सुरक्षित भी महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया है कि आखिर किस वजह से उन्होंने इस्लाम को छोड़कर सनातन धर्म में प्रवेश किया.
मुसलमान से हिंदू बने रिजवी ने सनातन धर्म स्वीकार करने के बाद कहा कि, शुक्रवार के दिन जुम्मे की नमाज होने के बाद मेरा सिर काटने का फतवा जारी किया जाता था और मुझ पर रखा इनाम बढ़ा दिया जाता था. वसीम ने बताया कि इस वजह से मैंने हिंदू बनना उचित समझा. मैंने अब सनातन धर्म अपना लिया है.
परिवार में जो हिंदू धर्म नहीं अपनाएगा उन्हें त्याग दूंगा…
वसीम रिजवी तो मुसलमान से हिंदू बन गए है हलांकि अब सभी की नजरें उनके परिवार के लोगों पर टिकी हुई है. यह देखना दिलचस्प होगा कि वसीम रिजवी के परिवार के लोग इस्लाम में हे रहते हैं या वे भी रिजवी के बाद सनातन धर्म स्वीकार कर लेंगे. रिजवी ने परिवार को लकर कहा है कि, मेरे परिवार में जो हिंदू धर्म नहीं अपनाएगा, मैं उनको त्याग दूंगा.
वसीम रिजवी का हिंदू नाम जितेंद्र नारायण त्यागी…
हिंदू धर्म स्वीकार करने के बाद वसीम रिजवी का नाम भी बदल गया है. उन्होंने कहा था कि मेरा नया नाम डासना मंदिर के यति नरसिंहानंद तय करेंगे. बता दें कि वसीम रिजवी को हिंदू नाम जितेंद्र नारायण त्यागी दिया गया है.
मैंने सभी धर्मों को पढ़ा, सबसे अच्छा हिंदू धर्म लगा…
वसीम रिजवी से जितेंद्र नारायण त्यागी बनने के बाद उत्तर प्रदेश शिया वफ्फ सेंट्रल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी बताया कि मैं इस्लाम छोड़ना चाहता था. इसके लिए मैंने सभी धर्मों को पढ़ा और जाना. किताब के विमोचन के बाद मुझे इस्लाम धर्म से निष्कासित कर दिया गया था.
ऐसे में मैं दूसरा धर्म अपनाने के बारे में सोच रहा था. मुझे सभी धर्मों में हिंदू धर्म सबसे अच्छा लगा. इसमें इंसानियत की रक्षा की बात कही जाती है. हिंदू धर्मा दुनिया का सबसे पुराना धर्म है.
यति नरसिंहानंद ने हिंदू धर्म में कराया शामिल…
वसीम रिजवी डासना मंदिर के यति नरसिंहानंद की मौजूदगी में हिंदू धर्म में शामिल हुए. उन्हें सोमवार को गाजियाबाद में यति नरसिंहानंद सरस्वती ने सनातन धर्म में शामिल कराया. डासना मंदिर में इस दौरान कई लोगों की उपस्थिति भी रही. मंदिर में विधिवत तरीके से वसीम ने हिंदू धर्म अपनाया.
उनके माथे पर तिलक लगाया गया. वसीम ने भगवा बाना पहना और मंदिर में विधिवत रूप से भगवान की पूजा-पाठ की. इसके बाद वे हिंदू धर्म में शामिल हो गए.
यति नरसिंहानंद बोले- मेरे पिता के तीसरे पुत्र के रूप में जाने जाएंगे वसीम…
वहीं वसीम रिजवी को हिंदू धर्म में शामिल करवाले वाले यति नरसिंहानंद महाराज ने कहा कि, वसीम अब मेरे पिता के तीसरे पुत्र और मेरे भाई के रूप में जाने जाएंगे. हम उन पर कोई आंच नहीं आने देंगे. वे एक दिलेर इंसान हैं. यति नरसिंहानंद ने यह भी बताया कि करीब 15 दिनों पहले वसीम का उनके पास फोन आया था और वे एक मुसलमान का फोन आने से हैरान थे जो कि हिंदू धर्म में रूचि रखते हैं. उन्होंने कहा कि अब हिंदूओं को तन, मन और धन से जितेंद्र त्यागी का साथ देना होगा.