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जानिए कौन हैं रानी कमलापति, जिनके नाम पर हबीबगंज रेलवे स्टेशन का बदला गया नाम…

हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर रखा गया है रानी कमलापति रेलवे स्टेशन

देश के दिल मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम ‘रानी कमलापति’ हो गया है। जी हां शिवराज सिंह चौहान सरकार के प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ इस रेलवे स्टेशन का नाम सबसे कम समय में परिवर्तित हो गया। वहीं एक दिलचस्प बात यह है कि सिर्फ़ इस रेलवे स्टेशन का नाम ही नहीं बदला, बल्कि आनन-फ़ानन में रानी कमलापति के नाम से नया कोड ‘आरकेएमपी’ भी जारी कर दिया गया है। बता दें कि रेलवे के दस्तावेजों में यह स्टेशन का संक्षिप्त (शार्ट नेम) नाम होता है।

Rani Kamlapati Station

वहीं गौरतलब हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नए हबीबगंज रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करेंगे। हबीबगंज स्टेशन का नाम रानी कमलापति के नाम पर रखने का फैसला उनकी वीरता और पराक्रम को देखते हुए लिया गया है। बता दें कि जिस रानी कमलापति के नाम पर अब हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण किया गया है, उनका इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं उनसे जुड़ी हुई कुछ अहम जानकारियां…

Rani Kamlapati Station

18वीं शताब्दी की गोंड रानी थीं रानी कमलापति…

Rani Kamlapati Station

बता दें कि रानी कमलापति 18वीं शताब्दी की गोंड रानी थीं। रानी कमलापति का विवाह गिन्नौरगढ़ के मुखिया और गोंड राजा सूरत सिंह के बेटे निजाम शाह से हुआ था। खूबसूरत और बहादुर रानी कमलापति राजा को सबसे ज्यादा प्रिय थीं। निजाम शाह की हत्या के लिए उनका भतीजा आलम शाह लगातार षड्यंत्र रचता रहता था। एक बार मौका पाकर उसने राजा के खाने में जहर मिलवा कर उसकी हत्या कर दी। उससे रानी और उनके बेटे को भी खतरा पैदा हो गया।

फ़िर ऐसे लिया पति की हत्या का बदला..

Rani Kamlapati Station

वहीं खुद को बचाने के लिए रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह के साथ गिन्नौरगढ़ से भोपाल के रानी कमलापति महल में आ गई थीं। आज का भोपाल उस समय का एक छोटा सा गांव हुआ करता था जिस पर निजाम शाह की हुकूमत थी। रानी कमलापति अपने पति की मौत का बदला लेना चाहती थीं, लेकिन दिक्कत ये थी कि उनके पास न तो फौज थी और न ही पैसे थे। रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी। वह मदद को तैयार तो हो गया, लेकिन इसके एवज में उसने रानी से एक लाख रुपये की मांग कर दी।

इस वज़ह से मोहम्मद खान को रानी ने दे दिया था भोपाल…

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वहीं दोस्त मोहम्मद ने राजा आलम शाह पर हमला कर उसकी हत्या कर दी। हालांकि करार के मुताबिक, रानी के पास दोस्त मोहम्मद को देने के लिए एक लाख रुपये नहीं थे। ऐसे में रानी ने भोपाल का एक हिस्सा उसे दे दिया, लेकिन रानी कमलापति के बेटे नवल शाह अपनी मां के इस फैसले से सहमत नहीं थे। ऐसे में नवल शाह और दोस्त मोहम्मद के बीच लड़ाई हो गई। बताया जाता है कि दोस्त मोहम्मद ने नवल शाह को धोखे से जहर देकर मार दिया था।

अंतिम हिंदू साम्राज्ञी थीं रानी कमलापति…

Rani Kamlapati Station

रानी कमलापति अंतिम हिंदू साम्राज्ञी थीं। जिनके सम्मान में शिवराज सरकार ने अब हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति कर दिया है। उनके पिता का नाम कृपाराम चंदन गोंड था। कहते हैं कि रानी इतनी खूबसूरत थी कि जब वह पान खातीं तो पान की पीक गले में दिखाई देती थी।

Rani Kamlapati Station

इसलिए आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं रानी कमलापति…

आख़िर में बता दें कि नारी अस्मिता और अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए रानी कमलापति ने जल समाधि लेकर इतिहास में अमिट स्थान बनाया था। उनका यह कदम उसी जौहर परंपरा का पालन था, जिसमें हमारी नारी शक्ति ने अदम्य साहस के साथ अपनी अस्मिता, धर्म और संस्कृति को बचाया है। उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए रानी कमलापति ने भी सब गंवाया, लेकिन जीवन रहते अपनी नारी गरिमा को विधर्मियों से बचा लिया।

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