अध्यात्म

8 नवंबर को शुरू हो रहा आस्था का प्रतीक छठ व्रत, जानें नहाय, खाय और खरना की तारीखें व महत्व

देश के कुछ राज्यों में छठ पूजा (Chhath Puja 2021) का विशेष महत्व है. शास्त्रों की माने तो छठ पूजा का व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है. कहा जाता है कि, भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा को छठ पूजा करने की सलाह दी थी तभी से महिलाएं यह व्रत करती आ रही हैं. छठ व्रत के नियम बहुत ही कठिन होते हैं. बावजूद इसके छठ मैया के भक्त पूरी श्रद्धा से ये पूजा करते हैं.

छठ मइया का व्रत रखने वाले व विधि-विधान से पूजा करने वाले दम्पति को संतान का सुख प्राप्त होता है. साथ ही पूरे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

chhath puja

आपको बता दें कि छठ पूजा (Chhath Puja 2021) का व्रत सूर्य देव को समर्पित होता है जो मुख्य रूप से तीन दिनों तक चलता है. यह पहले दिन नहाए खाय से शुरू होकर चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर पूर्ण होता है.

छठ पूजा का पहला दिन

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इस बार 8 नवंबर, सोमवार को नहाय खाय के साथ छठ पूजा शुरू होगी. इस दिन जो लोग व्रत का पालन करते है वह स्नान आदि करने के बाद सात्विक भोजन लेते है. इसके बाद ही वह छठी मैया का व्रत करते हैं. इस दिन व्रत से पहले व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करने की प्रक्रिया को ही नहाय-खाय कहा जाता है. मुख्य रूप से इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति लौकी की सब्जी और चने की दाल का सेवन करता है.

छठ पूजा का दूसरा दिन

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कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को छठ व्रत का दूसरा दिन होता है. इस दिन को खरना या लोहंडा भी कहा जाता है. इस बार यह 9 नवंबर, मंगलवार को है. खरना के दिन व्रती दिन भर व्रत रखते हैं और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार करते हैं. संध्या के समय नदी या सरोवर पर जाकर सूर्य को जल दिया जाता है.

महिलाएं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं. उनके खाने के बाद ये प्रसाद घर के बाकी सदस्यों में बांटा जाता है. इसके बाद छठ का कठिन व्रत आरंभ हो जाता है.

छठ पूजा का तीसरा दिन

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बुधवार 10 नंवबर को छठ पूजा का तीसरा दिन है. इस दिन व्रत रखने वाले छठी मइया की पूजा करते हैं और डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर जल्दी उगने और संसार पर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं. इस दिन अस्त होते सूर्य को 3 बार अर्ध्य चढ़ाया जाता है. इस दिन अर्घ्य देने से पहले सूर्यदेव को कई चीजें चढ़ाई जाती हैं जैसे केला, गन्ना, नारियल और अन्य फल.

छठ पूजा का चौथा और आखरी दिन

गुरुवार 11 नवंबर को व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाती हैं और इसी के साथ छठ पूजा का समापन हो जाता है. कहा जाता है कि, इस प्रकार व्रत पूर्ण करने पर छठ मैया और सूर्यदेव की कृपा हम पर हमेशा बनी रहती है और हमारे परिवार पर किसी तरह की कोई विपत्ति नहीं आती है. इस व्रत से संतान सुख की कामना भी की जाती है.

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