मौत को करीब से देखने के बाद टूट गए थे संजय मिश्रा, फिल्मी दुनिया को अलविदा कह मैगी बेचने लगे थे
6 अक्टूबर 1963 को बिहार के दरभंगा में जन्मे संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। संजय मिश्रा ने 1995 में शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘ओ डार्लिंग ये है इंडिया’ से एक्टिंग करियर की शुरुआत की। इस फिल्म में उन्होने हारमोनियम वादक का किरदार बखूबी निभाया था। लेकिन 3 साल बाद 1998 में फिल्म सत्या ने उनकी ख्याती में चार चांद लगा दिए।
दिग्गज हास्य कलाकार संजय मिश्रा ने 26 साल की एक्टिंग करियर में 150 से अधिक फिल्मों में काम किए। इस दौरान उन्होनें खूब दौलत-शोहरत कमाया लेकिन इस दौरान एक ऐसा भी समय आया जब संजय मिश्रा ने इस चमक-धमक की दुनिया को बाय-बाय कह दिया।
संजय मिश्रा ने मौत को जब करीब से देखा
संजय मिश्रा ने एक इंटरव्यू में खुलासा करते हुए बताया कि उनके जीवन में एक दौर ऐसा भी आया जब उन्होंने मौत को अपने नजदीक से देखा और इसके बाद वो बिल्कुल टूट गए । साक्षात्कार में संजय ने बताया कि एक समय वह काफी बीमार रहने लगे थे । उस दौरान जांच कराने पर पता चला कि उनके पेट में इंफेक्शन है। इस इंफेक्शन के कारण एक समय ऐसा भी आ गया जब वह बिल्कुल मृत्यू शैया (डेथ बेड) पर चले गए।
उस समय उनको साथ मिला उनके पिताजी का, लेकिन कुछ समय बाद उनके पिताजी भी चल बसे। पिताजी के जाने के बाद संजय की जिंदगी बेजान सी हो गई। पिताजी की अंतिम संस्कार के बाद वे अभिनय नगरी से कोसों दूर मां गंगा की गोद में चले गए। जिसके बाद उन्होने चमक-धमक की दुनिया को छोड़ एक साधारण इंसान की तरह जिवन बिताने की ठानी। उस समय उनके ध्यान में आया कि क्यों ना हम भगवान की बनाई हुई चीजों को देखें। और उसी समय वे पहाड़ों की ओर चल पड़े।
जब ढाबे पर मैगी-ऑमलेट बेचने लगे थे दिग्गज कलाकार संजय मिश्रा
इस बेजान भरी जिंदगी में संजय मिश्रा ने शांति की तलाश में गंगोत्री की ओर रुख किया और पहाड़ों में जा पहुंचे। इसके बाद जीवन यापन के लिए संजय मिश्रा गंगा नदी के किनारे एक बूढ़े आदमी के साथ ढाबे पर मैगी और ऑमलेट बनाने लगे । संजय मिश्रा ने इंटरव्यू में बताया कि ढाबे के मालिक ने मुझसे कहा…मुझे रोज 50 कप धोने होंगे और फिर जाकर 150 रुपये मिलेंगे। ये राशि कम तो लगी लेकिन जीवन जीने की बात थी इसलिएइस काम को स्वीकार कर लिया।
रोहित शेट्टी ने सिनेमा जगत में कराई वापसी
ढाबे पर काम शुरू करने के कुछ समय बाद ही वहां लोगों ने संजय को पहचान लिया और उनके साथ सेल्फी लेने लगे। इस दौरान उनकी माताजी भी कई बार कॉल करती रहती थी । इसी समय रोहित शेट्टी (Rohit Shetti ) ने फिल्म ऑल द बेस्ट के लिए संजय मिश्रा से संपर्क किया और इसके बाद उन्होंने फिल्मों में वापसी करने की ठानी जिसके बाद से उनके करियर में चार चांद लग गए ।
इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और गोलमाल 3, अतिथि तुम कब जाओगे, सन ऑफ सरदार, जॉली एलएलबी, किक, दिलवाले, मसान, तानाजी जैसे फिल्मों से दर्शकों के दिल पर छा गए।