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कभी भैंस चराती थी कैब ड्राइवर की बेटी, शादी के खिलाफ की बगावत, मेहनत से बनीं IAS

इस दुनिया में हर इंसान कामयाब बनना चाहता है परंतु सोचने मात्र से कामयाबी नहीं मिलती है। कामयाबी पाने के लिए जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है परंतु कई बार तो ऐसा भी होता है कि कठिन संघर्षों के बावजूद भी लोगों को असफलता का सामना करना पड़ जाता है, जो इस परिस्थिति में हार मान जाता है उसको कामयाबी नहीं मिलती है परंतु जो लोग असफल होने के बावजूद भी प्रयास करते रहते हैं, सफलता उनके कदम एक ना एक दिन जरूर चूमती है।

आजकल के समय में ज्यादातर देखा गया है कि लोग आईएएस/आईपीएस बनने का सपना देखते हैं परंतु यह इतना आसान नहीं है क्योंकि उसके लिए यूपीएससी की परीक्षा देनी पड़ती है और यह परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षा मानी जाती है। अगर कोई यूपीएससी की तैयारी करता है तो वह घर परिवार, खाना-पीना सब कुछ भूलकर खुद को इस परीक्षा की तैयारी में झोंक देता है।

यूपीएससी की कहानी सिर्फ परीक्षा तक ही सीमित नहीं होती है बल्कि इसके लिए लोगों को आगे भी बहुत कुछ करना पड़ता है। हर बुरे हालातों और आर्थिक परेशानियों से लड़कर इंसान किसी ना किसी तरह परीक्षा तो दे देता है परंतु इसके आगे जब वह जाता है तो उसमें कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो अपने अधिकारी बनने के सपने को साकार कर पाते हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक अभ्यर्थी के बारे में बताने वाले हैं, जिसने अपने जीवन की हर परिस्थितियों से लड़ते हुए अपना सपना पूरा किया है।

दरअसल, आज हम आपको जिसकी कहानी बताने जा रहे हैं उनका नाम सी. वनमती है, जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है। उनका जन्म केरल के एक गरीब परिवार में हुआ था। जब सी. वनमती का जन्म हुआ तो किसी ने यह सोचा भी नहीं होगा कि ऐसे परिवार और ऐसे हालात से निकलकर कोई बेटी देश के एक सम्मानित पद पर बैठ सकती है।

आपको बता दें कि सी. वनमती के पिता क्या कैब ड्राइवर थे, जो अपने घर का गुजारा किसी तरह से चलाते थे। वहीं बेटी सी. वनमती ने भी अपने जीवन में खूब मेहनत की और अपने लगन से यह साबित कर दिखाया कि अगर इंसान कुछ करने की ठान ले तो उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होता।

बता दे किसी सी. वनमती को दो चीज़ों से प्रेरणा मिली थी। पहली उनके जिले की कलेक्टर, जिन्हें देखकर सी. वनमती काफी प्रभावित हुई थीं। इसके अलावा उन्होंने गंगा यमुना सरस्वती नाम का सीरियल देखा था, जिसमें अभिनेत्री आईएएस अफसर होती है। इसके बाद ही सी. वनमती ने यह तय कर लिया कि उनको भी आईएएस अफसर बनना है। भले ही सी. वनमती ने अपना लक्ष्य तय कर लिया परंतु उनको अपने लक्ष्य तक पहुंचना बहुत कठिन था। उनको अपने जीवन की परिस्थितियों से लड़ाई लड़नी थी।

सी. वनमती के घर की हालत बहुत खराब थी। किसी तरह घर का गुजारा चलता था। बिगड़े हालात की वजह से उन्हें स्कूल जाने के साथ-साथ घर के काम भी करने पड़ते थे। भैंस चराने के लिए जाना पड़ता था, इसके साथ ही घर के जानवरों को दाना पानी खिलाना भी सी. वनमती की ही जिम्मेदारी थी। इन सबके अलावा जब 12वीं में वह पढ़ाई कर रही थीं तो रिश्तेदारों ने उनके घर वालों पर उनकी शादी के लिए दबाव बनाया। तब सी. वनमती के सामने सबसे बड़ी समस्या खड़ी हुई।

सी. वनमती ने ठान लिया था कि वह किसी तरह अपने सपनों को साकार करेंगी। इसलिए उन्होंने किसी की भी नहीं सुनी और आईएएस बनने के लिए उन्होंने बगावत तक कर दी और शादी से मना कर दिया था। ग्रेजुएशन के बाद सी. वनमती ने कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद वह इतनी काबिल हो चुकी थीं कि वह अपने खर्चे खुद से उठा सकती थी। इसलिए उन्होंने एक प्राइवेट बैंक में जॉब करनी शुरू की।

सी. वनमती को पहले प्रयास में असफलता का सामना करना पड़ा परंतु इसके बावजूद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लगातार कोशिश करती रहीं। वर्ष 2015 में उन्होंने फिर से यूपीएससी की परीक्षा दी और उनको अपनी मेहनत का फल मिला। इस बार यूपीएससी की परीक्षा में उन्होंने सफलता हासिल कर ली।

सी. वनमती ने यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 152वां स्थान हासिल किया। अब सी. वनमती एक जिला आईएएस अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए अपने जिले को बेहतर बनाने के प्रयास में जुटी हुई हैं। सी. वनमती ने यह साबित कर दिखाया कि मेहनत और लगन से कठिन से कठिन हालातों में भी अपने सपने को साकार किया जा सकता है।

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