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पथरी के इलाज के लिए भर्ती हुआ था युवक, डॉक्टर ने निकाल ली किडनी, तड़प कर हुई मरीज की मौत

गुजरात से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आ रहा है. यहाँ एक डॉक्टर ने अपने मरीज की पथरी की जगह किडनी ही निकाल ली. इससे मरीज की मौत हो गई. यह मामला गुजरात स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट कमीशन के पास पहुंचा. इस कमीशन ने बालासिनोर के हॉस्पिटल को मरीज के परिवार को 11 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है. यह सनसनीखेज मामला वर्ष 2012 का है.

इस युवक का पथरी हटाने के लिए ऑपरेशन किया गया, लेकिन उसकी बाईं तरफ की किडनी ही निकाल लेने की वजह से ऑपरेशन के बाद उसकी मौत हो गई. यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब दूसरे हॉस्पिटल के डॉक्टर ने बताया कि मौत की वजह क्या थी.

पथरी के ऑपरेशन में इस वजह से निकाली किडनी


इस मामले में गुजरात के महिसागर जिले के हॉस्पिटल पर बड़ी लापरवाही का आरोप भी लगा है. अस्पताल को उस व्यक्ति के परिवार को 11 लाख रुपए का मुआवजा देने के लिए कहा गया है. जानकारी के मुताबिक मृतक देवेंद्रभाई रावल को किडनी स्टोन निकालने के लिए 2011 में बालासिनोर के केएमजी जनरल हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था.

मामले में मृतक के एक रिश्तेदार की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात स्टेट कंज्यूमर डिस्प्यूट कमीशन की तरफ से केएमजी जनरल हॉस्पिट को परिजनों को मुआवजे के तौर पर 11.23 लाख की रकम देने के लिए कहा गया है. इतना ही नहीं पैनल ने माना कि अपने कर्मचारी की लापरवाही के लिए हॉस्पिटल ही जिम्मेदार है.

इस मरीज को 15 मिमी की पथरी थी

गुजरात के खेड़ा जिले के वंघरोली गांव में रहने वाले देवेंद्रभाई रावल को मई 2011 के दिन अचानक पीठ दर्द और पेशाब करने में परेशानी हो रही थी. इसके बाद उन्हें जल्दी से केएमजी जनरल हॉस्पिटल के डॉक्टर को दिखाया गया. ऐसे में रावल के बाएं गुर्दे में 15 मिमी की पथरी पाई गई. इसके बाद देवेंद्रभाई का ऑपरेशन 3 सितंबर 2011 को किया गया. इसमें ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने मरीज के परिवार को यह बताया कि, मरीज की बाईं किडनी को निकालना होगा. डॉक्टर ने अपनी बात पर जोर देकर कहा कि रोगी को स्वस्थ करने के लिए ये निर्णय लिया गया है.

ऑपरेशन के बाद सामने आने लगी परेशानी

ऑपरेशन होने के बाद मरीज को यूरिन पास करने में काफी ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. इसके बाद देवेंद्र रावल को इलाज के लिए नडियाद के एक किडनी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. यहाँ से उन्हें अहमदाबाद में इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर (IKDRC) में रेफर किया गया. यहाँ उनकी 8 जनवरी 2012 को गुर्दे की दिक्कत की वजह से मौत हो गई.

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