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युवती को जबर्दस्ती अपने साथ रखता था दरोगा, पीड़ित होकर युवती ने की खुदकुशी

जिला महिला अस्पताल की आउटसोर्सिंग कर्मचारी शहाना निशा ने क्षेत्रीय अधिसूचना दरोगा की प्रताड़ना से त्रस्त होकर सुसाइड कर लिया था। जी हाँ रविवार को कोतवाली थाना पहुंचे मृतक शहाना निशा के परिवार वालों ने दरोगा राजेंद्र सिंह पर आरोप लगाया है। परिवार वालों ने दरोगा राजेंद्र सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि दरोगा खुद शादीशुदा है फिर भी जबरन निशा को अपने पास रखता था, जिसकी वज़ह से परेशान होकर उसने खुदकुशी कर ली।

इतना ही नहीं घटना के बाद मुंबई से शहाना की बड़ी बहन शब्बो व जीजा जावेद गोरखपुर पहुंचे। जिसके बाद वे बेलीपार के भीटी में रहने वाले स्वजन व रिश्तेदारों को लेकर कोतवाली थाने पहुंचे। शहाना की मां तैरुननिशा ने थाने में मौजूद एसपी सिटी सोनम कुमार, सीओ कोतवाली विपुल सिंह को बताया कि जब भी उन्होंने बेटी से मिलने और साथ ले जाने का प्रयास किया तो दारोगा राजेंद्र सिंह जान से मारने की धमकी देकर भगा देता था। घटना के समय वह घर में मौजूद था, जिसका प्रमाण उन लोगों के पास है। शहाना के जीजा जावेद ने बताया कि बीते शुक्रवार की सुबह दारोगा ने उनके पास फोन करके बताया कि शहाना ने खुदकुशी कर ली है।

वहीं घटना कैसे हुई यह पूछने पर बताया कि रात को दोनों अलग-अलग कमरे में थे, इसलिए जानकारी नहीं हो पाई। प्रमाण के तौर पर बातचीत की रिकार्डिंग मौजूद है। एसपी सिटी सोनम कुमार ने बताया कि शहाना की मां तैरुननिशा ने कोतवाली थाने में दारोगा राजेंद्र सिंह के खिलाफ आत्महत्या के लिए उत्प्रेरित करने का केस दर्ज कराया है। साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई होगी।

साहब बच्चे के साथ तो न्याय कीजिए!…

वहीं शहाना की मां और बहन उसके 10 माह के बेटे को भी लेकर थाने पहुंची थीं। एसपी सिटी और सीओ कोतवाली से उन्होंने कहा कि साहब इस मासूम के साथ इंसाफ करिए। दारोगा ने इसके सिर से मां का साया छीन लिया। अब कौन इसकी देखभाल करेगा। एसपी सिटी ने उन्हें मदद का भरोसा दिया।

यह है पूरा मामला…

बता दें कि बेलीपार के भीटी गांव निवासी शहाना जिला महिला अस्पताल में आउटसोर्सिंग कर्मचारी थी। कोतवाली क्षेत्र के बक्शीपुर में किराए पर कमरा लेकर अपने 10 माह के बच्चे और दारोगा के साथ रहती थी। शुक्रवार की सुबह कमरे में उसका शव फंदे से लटकता मिला था। संदेह के आधार पर कोतवाली पुलिस ने दारोगा को हिरासत में ले लिया। स्वजन ने अनहोनी की आशंका जताते हुए जांच व कार्रवाई के लिए प्रार्थना पत्र दिया और रविवार को कोतवाली थाने पहुंचकर तहरीर दी।

हो सकती है 10 साल की सजा…

वहीं आख़िर में बता दें कि किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने या उकसाने के लिए सत्र न्यायालय 10 वर्ष कारावास व आर्थिक दंड अथवा दोनों के लिए उत्तरदायी कर सकती है। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है।

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