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लखबीर सिंह मर्डर: पुलिस के हत्थे चढ़ा एक और हत्यारा, कहा- मैंने ही तलवार से उसका पांव काटा था

निहंगों का ऐसा खौफ की श्मशानघाट की लाइट बंद की, केरोसिन छिड़क कर अंतिम संस्कार, प्लास्टिक कवर भी नहीं हटाया, चेहरा छुपा कर किया अंतिम संस्कार

नई दिल्ली : किसान आंदोलन में हाल ही में हुई लखबीर सिंह नामक शख़्स की हत्या में पुलिस को एक और बड़ी सफ़लता हाथ लगी है. लखबीर की हत्या के मामले में पुलिस ने एक और निहंग सिख आरोपी को गिरफ़्तार कर लिया है. इस आरोपी का नाम नारायण सिंह बताया जा रहा है जो कि मिसल शहीदां बाबा बाज सिंह शिरोमणि पंथ अकाली तरना दल का प्रमुख है. यह जानकारी एसएसपी राकेश कौशल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी. इससे पहले पुलिस ने सरवजीत नाम के आरोपी को गिरफ़्तार किया था.

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लखबीर सिंह की हत्या के बाद सरवजीत ने खुद ही पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर लिया था जबकि अब नारायण सिंह नाम का एक और हत्यारा पुलिस के हत्थे चढ़ गया है. बता दें कि, शुक्रवार सुबह मृतक लखबीर सिंह की बेहद निर्दयता के साथ कुंडली बार्डर पर हत्या कर दी गई थी.

नारायण सिंह भी करने जा रहा था आत्मसमर्पण…

जिस तरह पुलिस के सामने पहले पकड़ाए गए आरोपी सरवजीत ने आत्मसमर्पण कर दिया था वैसे ही नारायण सिंह भी आत्मसम्पर्ण करने जा रहा था. बताया जा रहा है कि वह श्री अकाल तख्त साहिब पर आत्मसमर्पण करने जा रहा था हालांकि पुलिस ने इससे पहले ही उसे पकड़ लिया था. पंजाब पुलिस ने नारायण सिंह को अमृतसर के जंडियाला गुरु के गांव अमरकोट देवीदास पुरा से गिरफ़्तार किया है. नारायण ने खुद लखबीर की हत्या की बात कुबूली है.

नारायण सिंह बोला- मैंने ही तलवार से लखबीर का पांव काटा…

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नारायण सिंह ने गिरफ़्तारी के बाद लखबीर सिंह के साथ की बर्बरता के बारे में भी बात की. उसने बताया कि, उसे निहंगों ने बताया था कि, मृतक लखबीर ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की थी और वह ऐसा करके भाग रहा था. कई निहंग इसके चलते उसे बुरी तरह से पीट चुके थे जबकि मैंने खुद तलवार से तीन वार किए और उसका पांव काट कर अलग कर दिया. आरोपी ने अंत में यह भी कहा कि उसे इस बात का कोई दुःख या मलाल नहीं है कि उसने लखबीर सिंह को मार दिया.


चोरी-छिपे रात को हुआ हुआ लखबीर का अंतिम संस्कार…

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दूसरी ओर मृतक लखबीर सिंह का अंतिम संस्कार तरनतारन के चीमा खुर्द गांव में कर दिया गया है हालांकि निहंग सिंहों के भय और सत्कार कमेटी की घोषणा के बीच लोग इसमें शामिल नहीं हुए. न ही अंतिम संस्कार की कोई रस्म हुई. मृतक को एक ग्रामीण ने चेहरा छिपाकर मुखाग्नि दी. कड़ी पुलिस सुरक्षा के बीच शनिवार रात करीब सवा सात बजे अंतिम संस्कार हुआ.

क्या है पूरा मामला ?

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बता दें कि, कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन के मुख़्य मंच के ठीक पास यह घटना घटी थी. मृतक पर आरोप था कि उसने गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी की थी. घाघरा पहने निहंग सिखों ने यहां अस्थायी गुरु ग्रंथ साहब की स्थापना की है. इस आरोप में निहंगों ने लखबीर की बर्बरता के साथ हत्या कर दी. शुक्रवार सुबह मृतक को बांधकर और लटककर बड़ी बेहरहमी के साथ मौत के घाट उतार दिया गया. बता दें कि, घटनास्थल के समीप ही करीब 225 निहंग मौजूद है.

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