अध्यात्म

नवरात्रि: क्यों होता है कन्या पूजन? कितने उम्र की लड़कियों की होती है पूजा? जाने इसके लाभ

नवरात्रि में 2 से 10 वर्ष की कन्याओं की होती है पूजा, हर उम्र की कन्या के पूजन का है खास महत्व

नवरात्रि खत्म होने को अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में भक्त जन माता रानी को खुश करने में लगे हुए हैं। नवरात्रि में कन्याओं को भोजन कराने की भी परंपरा है। यदि आप ने अभी तक कन्याओं को भोजन नहीं कराया है तो नवरात्रि समाप्त होने के पहले करा दें। इसके कई फायदें होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शास्त्रों में कन्या के पूजन का भी जिक्र है। श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार कन्या पूजन करने से मां दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती हैं। आप प्रतिदिन एक कन्या का पूजन कर सकते हैं, या फिर अपनी क्षमता के मुताबिक तिथिवार संख्या के अनुसार कन्या की पूजा भी कर सकते हैं।

कितने वर्ष की कन्याओं की होती है पूजा?

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शास्त्रों की माने तो 2 से 10 साल तक की कन्याओं का पूजन किया जाना चाहिए। इस उम्र की कन्याओं का पूजन करने का अपना अलग महत्व होता है। हर उम्र की लड़की की पूजा हमे एक विशेष लाभ देती है। ऐसे में आज हम आपको इसी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

दो वर्ष की कन्या: श्रीमद्देवीभागवत के प्रथम खण्ड के तृतीय स्कंध में दो वर्ष की कन्याओं को ‘कुमारी’ कहा गया है। कुमारी पूजा करने से घर के दुख-दर्द दूर होते हैं। इस पूजन से गरीबी भागती है और धन का आगमन होता है। यदि आप शत्रु से परेशान है तो भी कुमारी पूजा आपके लिए लाभकारी रहती है। इससे शत्रुओं का नाश होता है। यह पूजन आपकी शक्ति भी बढ़ाता है।

तीन वर्ष की कन्या: इस उम्र की कन्या को ‘त्रिमूर्ति’ कहा जाता है। इनका पूजन करने से घर में धन और अन्न की कभी कोई कमी नहीं होती है। इससे संतान सुख भी मिलता है। वहीं आप जिस भी काम में हाथ डालते हैं वह अच्छे से और बिना किसी परेशानी के पूर्ण होता है।

चार वर्ष की कन्या: ऐसी कन्याओं को ‘कल्याणी’ कहा जाता है। इनकी पूजा करने से हर काम में विजय प्राप्त होती है। इससे आपको जीवन में सुख मिलता है। वहीं विद्या के क्षेत्र में भी बहुत लाभ होता है। ये पूजा स्टूडेंट्स के लिए बहुत लाभकारी होती है।

पांच वर्ष की कन्या: ऐसी कन्याओं को ‘कालिका’ कहा जाता है। इनकी पूजा करने से शत्रु आपके आसपास भी नहीं भटकता है। यदि आप अपने शत्रु से दुखी हैं तो ये इस उम्र की कन्या का पूजन जरूर करें।

छह वर्ष की कन्या: यह कन्यायाएं ‘चंडिका’ कहलाती हैं। इनका पूजन करने से घर में धन की कमी नहीं होती है। पैसों का आगमन बढ़ जाता है। ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

सात वर्ष की कन्या: इन्हें ‘शाम्भवी’ कहते हैं। इनके पूजन से दुख और गरीबी का नाश होता है। लड़ाई झगड़ा या विवाद में जीत हासिल करने के लिए इन कन्याओं का पूजन लाभकारी होता है।

आठ वर्ष की कन्या: इन कन्याओं को ‘दुर्गा’ का रूप माना जाता है। इनके पूजन से मरने के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है। जीवन में सफलता आपके कदम चूमती है।

नौ वर्ष की कन्या: ये ‘सुभद्रा’ कहलाती हैं। इनके पूजन से मनचाही इच्छा पूर्ण होती है।

10 वर्ष की कन्या: इन्हें ‘रोहिणी’ स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से जटिल से जटिल समस्या का भी निराकरण हो जाता है।

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