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किसान आंदोलन को लेकर SC की खरी-खरी, कहा आपने शहर का गला घोंट दिया, फ़िर भी चैन नहीं

'आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया है', जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए किसानों की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की खरी खरी

पिछले क़रीब दस महीने से देश के भीतर किसानों का आंदोलन चल रहा है। ऐसे में उसका नफ़ा-नुकसान क्या है। वह एक अलग बात है, लेकिन अब जंतर-मंतर पर किसानों के सत्याग्रह की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसा कहा है, जिससे दिल्ली- एनसीआर (Delhi- NCR) में रहने वाले हजारों लोगों की तकलीफें उभरकर सामने आ गईं।

जी हां सुप्रीम कोर्ट (SC) ने सख्त लहजे में कहा है कि, “आपने पूरे शहर का गला घोंट दिया है, अब आप अंदर आना चाहते हो?” बता दें कि दरअसल, बॉर्डर पर नाकेबंदी और विरोध प्रदर्शन के चलते नोएडा, गाजियाबाद के लोगों को दिल्ली जाने में काफी परेशानी हो रही है। तो आइए ऐसे में समझते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने आख़िर गला घोंटने वाली बात क्यों की?

Supreme Court

बता दें कि किसान महापंचायत नामक एक संगठन की ओर से दायर की गई एक अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई है। जी हां सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंदोलनकारी किसानों ने पूरे शहर को बंधक बनाया हुआ है और अब शहर के अंदर घुसना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन के चलते रेल यातायात तथा हाईवे जाम करने को लेकर भी याचिकाकर्ता को फटकारा है। किसान महापंचायत ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर मांग की थी कि उन्हें जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति दी जाए।

Kisan Andolan

गौरतलब हो कि न्यायमूर्ति खानविलकर ने किसान समूह ‘किसान महापंचायत’ से मौखिक रूप से यह सवाल किया, जिसने सत्याग्रह की अनुमति के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया है। बाद में किसान महापंचायत ने कोर्ट से कहा कि हमने सड़क ब्लॉक नहीं की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने दो टूक कहा कि आप हलफनामा दायर करें कि आपने सड़क ब्लॉक नहीं की है। वहीं कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सोमवार तक का समय एफिडेविट दाखिल करने के लिए दिया है।

Kisan Andolan

उल्लेखनीय है कि इस समय आंदोलनकारी किसान दिल्ली के गाजीपुर, सिंघु बॉर्डर तथा टिकरी बॉर्डर पर बैठे हुए हैं जिसके कारण यातायात प्रभावित हो रहा है तथा लोगों को आवागमन में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सरकार को रास्ते खाली करवाने को लेकर भी आदेश दे चुका है।

जानिए मूल समस्या क्या है…

बता दें कि नोएडा में रहने वाले लोगों की समस्या यह है कि दिल्ली बॉर्डर ब्लॉक किए जाने से दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट के बजाय दो घंटे लग रहे हैं। इसी तकलीफ में नोएडा की एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने कहा कि नोएडा से दिल्ली का सफर इस समय बुरे सपने की तरह है।

वहीं इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन सड़कों को अनिश्चितकाल के लिए ब्लॉक नहीं कर सकते। अदालत ने केंद्र सरकार और संबधित राज्यों से कहा था कि वह इसका हल निकालें। इसके अलावा अदालत ने केंद्र और संबंधित राज्यों से यह भी कहा था कि वह किसानों के प्रदर्शन से एनआरसी (NCR) में रहने वाले लोगों को आने जाने में जो परेशानी हो रही है उसका निराकरण निकालें।

गाजीपुर बॉर्डर…

Kisan Andolan

बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर किसान पिछले कई महीने से धरने पर बैठे हैं। इससे लोगों को नोएडा और गाजियाबाद आने जाने में काफी दिक्कत हो रही है। आसपास की दुकानों के अलावा ऑटो ड्राइवरों को भी दिक्कत हो रही है। सुबह-शाम इतना ट्रैफिक हो जाता है कि अगर फंसे तो घंटे, दो घंटे बर्बाद समझिए। ऑटो ड्राइवरों का कहना है कि गाजीपुर बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन के चलते 4 किमी बेवजह घूमकर जाना पड़ता है, सवारियां उसका पैसा भी देना नहीं चाहती हैं।

आम यात्रियों से बात कीजिए तो वे यही कहते हैं कि आंदोलन अपनी जगह है लेकिन आपके किसी ऐक्शन से दूसरों को परेशानी हो तो क्या मतलब है। कोरोना काल में इस आंदोलन के चलते आसपास के लोगों का 40 फीसदी तक व्यापार प्रभावित हुआ है। यहां भी 300 से ज्यादा किसान लगातार बैठे हुए हैं। दिल्ली से मेरठ, गाजियाबाद, सहारनपुर जाना है तो यह बॉर्डर खुला है लेकिन देहरादून, मेरठ, हरिद्वार से आने वाले लोगों को गाजीपुर बॉर्डर बंद होने के चलते रूट डायवर्जन के कारण दिक्कत होती है।

किसानों से यह भी कहा सुप्रीम कोर्ट ने…

एक बात और सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों ने जब कृषि कानूनों के विरुद्ध कोर्ट में अपील की है तो उन्हें जूडिशियल सिस्टम पर भी भरोसा रख कर फैसला आने का इंतजार करना चाहिए। किसान आंदोलन की वजह से नागरिकों का कहीं भी बिना रोकटोक आने-जाने के मूल अधिकार का हनन हो रहा है। ऐसे में कुल-मिलाकर देखें तो सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन से जुड़े नेताओ और किसानों को राह दिखाने की कोशिश है। जो कहीं न कहीं सही है। वैसे आख़िर में जानकारी के लिए बता दें कि गत वर्ष मोदी सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि विधेयकों का विरोध करते हुए किसान पिछले दस महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं और वहीं किसानों तथा सरकार के बीच कई दौर की मीटिंग होने के बाद भी यह मुद्दा समाप्त नहीं हो पाया है।

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