अध्यात्म

शनिदेव बदल रहे हैं अपनी चाल 21 जून को, कुदृष्टि से बचने के लिए करें ये काम!

शनिदेव के बारे में हिन्दू धर्म में कहा गया है कि वह बहुत ही क्रोधी देवता हैं। यह बात सच है कि वह क्रोधी देवता हैं, लेकिन उनका क्रोध केवल पापियों के लिए होता है। जो सज्जन व्यक्ति होता है और हमेशा अच्छे कर्म करता है, उस पर शनिदेव की कृपादृष्टि हमेशा बनी रहती है। शनिदेव को कर्म फलदाता कहा जाता है। वह लोगों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।

जो लोग पापी होते हैं वह शनिदेव की कुदृष्टि से बच नहीं सकते, जबकि पवित्र काम करने वालों पर वह अपना बुरा प्रभाव बिल्कुल भी नहीं डालते हैं। जब भी शनिदेव ने अपनी चाल बदली, लोगों के जीवन में भारी बदलाव हुए हैं। किसी के लिए खुशियों की सौगात आयी तो किसी के ऊपर ग़मों का पहाड़ टूट पड़ा। इस बार शनिदेव अपनी चाल 21 जून को बदल रहे हैं। 21 जून बुधवार के दिन सुबह 4:28 पर बकरी शनि वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहे हैं।

चाल बदलने के बाद भी बनी रहेगी शनि की कृपा दृष्टि:

इसके बारे में यह कहा जा रहा है कि यह 2017 का सबसे बड़ा राशि परिवर्तन है। दिशा बदलने के बाद क्या परिवर्तन होंगे, इसके बारे में केवल अनुमान लगाया जा सकता है। उनकी कृपा दृष्टि आपके ऊपर बनी रहे, इसके लिए आज हम आपको कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। इसका इस्तेमाल करके आप शनिदेव की चाल बदलने के बाद भी उनकी कृपा पा सकते हैं।

आप शनि चालीसा, शनि कवच और शनि नाम माला का जाप करें :

शनिदेव का प्रकोप आपके ऊपर ना पड़े, इसके लिए आपको उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आप शनि चालीसा, शनि कवच और शनि नाम माला का जाप करें ऐसा भी माना जाता है कि शनिदेव की पत्नी के नामों का हर रोज पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है। इस श्लोक के माध्यम से आप उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं।

श्लोक:

ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी
महिषी अजा।
शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि
संजयपन् पुमान्।
दुखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम्।।

शनि को सूर्य का पुत्र कहा जाता है, लेकिन उसके बाद भी दोनों के बीच अच्छे सम्बन्ध नहीं हैं। इसके बाद भी शनि सूर्य से प्रभावित होते हैं। प्रतिदिन सूर्यदेव को जल चढाने से अपेक्षित लाभ मिलता है। सूर्यदेव के बीज मन्त्र का 11 हजार बार जप करने से चमत्कारिक रूप से शनि का निवारण होता है।

ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सूर्याय नम:

नीचे दिए गए श्लोक को सूर्योदय के समय सूर्य के दर्शन करते हुए पढ़ने से शनिदेव की कृपा हमेशा बनी रहती है।

सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय:।
मंदचार: प्रसन्नात्मा पीड़ां दहतु
में शनि:।।

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