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कल को होने जा रहा है अग्नि-5 मिसाइल का टेस्ट, लेकिन पहले ही घबरा गया ड्रैगन, जानिए पूरा मामला

जानिए अग्नि-5 मिसाइल की क्या हैं खूबियां, जिसकी वज़ह से घबराया हुआ है ड्रैगन

भारत (India) की अंतर-महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 (Agni-V) की आहट से ही चीन (China) के होश उड़ गए हैं। जी हां अभी ऐसी सम्भावना है कि भारत 23 सितंबर को अग्नि-5 मिसाइल का टेस्ट कर सकता है। लेकिन उसके पहले ही चीन घबराया हुआ है। वैसे भी चीन की घबराहट वाज़िब है, क्योंकि उसे पता है कि यदि भारत अग्नि-5 का टेस्ट करने में सफल होता है, तो उसके कई शहर मिसाइल की जद में आ जाएंगे।

इसलिए वो मिसाइल के परीक्षण के पहले दबाव बनाने की रणनीति के तहत भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का नियम याद दिला रहा है। बता दें कि बीजिंग ने कहा है कि दक्षिण एशिया के सभी देशों को क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखने के लिए काम करना चाहिए। अब सोचिए भारत को शांति का पाठ वह देश पढाने की सोच रहा, जिसकी फ़ितरत ख़ुद अशांति फैलाने की हो।

वहीं बता दें कि भारत की तरफ़ से न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल का ये 8वां टेस्ट होगा। 5000 किलोमीटर तक रेंज की इस मिसाइल की जद में चीन के कई शहर भी आ जाएंगे। मीडिया में मिसाइल के टेस्ट की खबरों के बीच अपनी विस्तारवादी नीतियों के लिए कुख्यात चीन भी शांति और सुरक्षा की बातें करने लगा है।

Agni-5

गौरतलब हो कि भारत ने इसी साल जून में अग्नि प्राइम का भी टेस्ट किया था और अग्नि-6 पर भी काम कर रहा है। वहीं इस मिसाइल के सेना में शामिल होने के बाद भारत दुनिया के उन एलीट देशों में शामिल हो जाएगा, जिनके पास न्यूक्लियर हथियारों से लैस इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है।

क्या है अग्नि-5 की ताकत, जिससे भयभीत दिख रहा चीन…

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बता दें कि अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है। ये भारत के पास मौजूद लंबी दूरी की मिसाइलों में से एक है। मालूम हो इस मिसाइल की रेंज 5 हजार किलोमीटर है और अग्नि- 5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ कई हथियार ले जाने में सक्षम है। इतना ही नहीं ये मिसाइल मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) से लैस है। यानी एक साथ मल्टिपल टार्गेट के लिए लॉन्च की जा सकती है।

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वहीं सामान्य जानकारी के लिए बता दें कि यह मिसाइल डेढ़ टन तक न्यूक्लियर हथियार अपने साथ ले जा सकती है और इसकी स्पीड मैक 24 है, यानी आवाज की स्पीड से 24 गुना ज्यादा। अग्नि-5 के लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से इस मिसाइल को कहीं भी आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। इसके अलावा अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल भी बेहद आसान है, इस वजह से देश में कहीं भी इसकी तैनाती की जा सकती है और यही सब वजहें हैं जिसकी वज़ह से चीन जैसा अडियल देश भी अब शांति की बात कर रहा है।

मिसाइल के इतिहास पर एक नजर…

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गौरतलब हो कि ये अग्नि सीरीज की 5वीं मिसाइल है। 19 अप्रैल 2012 को उड़ीसा में इसका पहला टेस्ट किया गया था, जो सफल रहा था। जनवरी 2015 में मिसाइल का पहला कैनिस्टर टेस्ट किया गया था। तब मिसाइल को रोड मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया गया था। 10 दिसंबर 2018 को मिसाइल का आखिरी टेस्ट किया गया। खास बात ये है कि अब तक मिसाइल के 7 टेस्ट किए जा चुके हैं, सभी सफल रहे हैं। वहीं अग्नि-5 को 2020 में ही सेना में शामिल करने की तैयारी थी, लेकिन कोरोना की वजह से टेस्ट में देरी हो गई।

क्या पाकिस्तान-चीन के पास है ऐसी कोई मिसाइल?…

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बता दें कि पाकिस्तान की गौरी-2 मिसाइल की रेंज 2300 किलोमीटर और शाहीन-2 मिसाइल की रेंज 2500 किलोमीटर है। पाकिस्तान शाहीन-3 पर भी काम कर रहा है, जिसकी रेंज 2700 किलोमीटर तक हो सकती है। इसके अलावा चीन के पास भारत के मुकाबले ज्यादा रेंज और आधुनिक तकनीक की मिसाइल है। चीन की डीएफ-31 मिसाइल की रेंज 8000 किलोमीटर और डीएफ-41 मिसाइल की रेंज 12000 किलोमीटर है।

मिसाइल के टेस्ट को लेकर चीन की बयानबाजी…

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बता दें कि अग्नि-5 के टेस्ट के बारे में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने कहा है कि दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में सभी का साझा हित है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष इस दिशा में रचनात्मक प्रयास करेंगे। लिजान ने कहा कि भारत न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास नहीं कर सकता है। इस बारे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव 1172 में पहले ही स्पष्ट नियम हैं।

आइए जानें यूएनएससी के प्रस्ताव 1172 में क्या लिखा…

गौरतलब हो कि चीन यूएनएससी (UNSC) के जिस प्रस्ताव 1172 के बारे में बात कर रहा है। सुरक्षा परिषद का वह प्रस्ताव 1172, जून 1998 में किए गए परमाणु परीक्षण के बाद लागू किया गया था। प्रस्ताव में भारत और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को बंद करने और दोनों देशों से और परमाणु परीक्षणों से परहेज करने को कहा गया था। इसमें दोनों देशों से न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों के डेवलपमेंट को रोकने का आग्रह भी किया गया था। हालांकि भारत इस प्रस्ताव को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

इन देशों के पास पहले से है आईसीबीएम( ICBM)…

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वहीं जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया के कुछ देशों के पास पहले से ही इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) हैं। इनमें रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस, इजराइल, ब्रिटेन,चीन और उत्तर कोरिया शामिल हैं। ऐसे में अगर भारत इस ताकत से लैस हो जाएगा, तो वह दुनिया का 8वां देश होगा।

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