अध्यात्म

विष्णु पुराण के अनुसार मनुष्य को नि-र्व-स्त्र होकर नहीं करने चाहिए ये काम

हिन्दू धर्म में वैसे तो बहुत से पुराण और उपनिषद हैं। ये सभी इंसान को अच्छे मार्ग पर ले जाने का काम करते हैं। ये हमें जीवन जीने का सही तरीका बताते हैं। इंसान को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसके बारे में हमें इन्ही पुराणों से ही पता चलता है। इन्ही में से एक महत्वपूर्ण पुराण हैं, विष्णु पुराण जो हिन्दू धर्म का सबसे महत्वूर्ण पुराण माना जाता है। विष्णु पुराण में कुछ ऐसी बातें बतायी गयी हैं जो हर व्यक्ति को माननी चाहिए।

आज के आधुनिक युग में बहुत कम ही लोगों को पुराणों और उपनिषदों पर यकीन रह गया है। आज के समय में लोगों के लिए धर्म-कर्म की बातें बेमानी लगती हैं। यही वजह है कि लोग इनपर ज्यादा यकीन नहीं करते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि वह जीवन में कई परेशानियों से घिरे रहते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि विष्णु पुराण के अनुसार व्यक्ति को वो कौन से तीन काम हैं जो बिल्कुल भी नहीं करने चाहिए।

भूलकर भी निर्वस्त्र होकर ना करें ये तीन काम:

*- निर्वस्त्र होकर स्नान:

विष्णु पुराण के अनुसार निर्वस्त्र होकर स्नान करना किसी पाप से कम नहीं होता है। जब भी आप स्नान करें आपके तन पर कपड़े होने चाहिए। इसका सम्बन्ध श्रीकृष्ण के बाल कांड से जोड़कर देखा जाता है, जब श्रीकृष्ण गोपियों के वस्त्र लेकर भाग जाते थे। गोपियां निर्वस्त्र होकर नदी में स्नान करती थीं। यह भी कहा जाता है कि निर्वस्त्र होकर नहाने से जल देवता का अपमान होता है।

*- ना सोयें निर्वस्त्र होकर:

विष्णु पुराण के अनुसार व्यक्ति को भूलकर भी निर्वस्त्र होकर नहीं सोना चाहिए। यह निर्वस्त्र होकर नहाने जितना ही बड़ा पाप होता है। रात्रि के समय मनुष्य से मिलने के लिए उसके पूर्वज और पितृजन आते हैं। अगर वो आपको निर्वस्त्र सोता हुआ देखेंगे तो उन्हें बुरा लगेगा और वह आपसे मिले बिना ही चले जायेंगे। रात के समय में अनेक कीट-पतंगे घूमते रहते हैं। निर्वस्त्र होकर सोने पर उनके काटने का खतरा भी बना रहता है।

*- निर्वस्त्र होकर ना लें आचमन:

अपने हाथों में जल लेकर देवताओं को अर्पित किया जाता है। इस प्रक्रिया को आचमन कहा जाता है। जब भी आप इस तरह से निर्वस्त्र होकर हाथों में जल लेते हैं तो इससे देवताओं का अपमान होता है। ऐसा करने वाले व्यक्ति के चरित्र की हानि होती है। ईश्वर की आराधना करते समय बिना सिले हुए कपड़े पहनने चाहिए। सिलाई सांसारिक मोह-माया के बंधन का प्रतिक होती है। भगवान की भक्ति बंधनमुक्त होकर करनी चाहिए।

Back to top button