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बचाओ-बचाओ चीखती रही लेकिन कोई नहीं आया, अंतिम सांस तक संघर्ष करती रही नेशनल खिलाड़ी बबली

100 मीटर पर है पुलिस चौकी, अंतिम सांस तक संघर्ष किया किया बबली ने

देशभर में अपराध के मामले काफी बढ़ गए हैं। खासकर महिलाओं के साथ होने वाले क्राइम रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। अब उत्तर प्रदेश के बिजनौर की दिल दहला देने वाल इस घटना को ही ले लीजिए। यहां दिनदहाड़े एक नेशनल प्लेयर की हत्या हो गई। हैरत की बात ये थी कि ये हत्या जहां हुई उसके चारों तरफ आबादी है, महज 100 मीटर की दूरी पर ही पुलिस चौकी है और आसपास कई घर भी है। हालांकि इसके बावजूद जब नेशनल खिलाड़ी बबली ने जब मदद के लिए खीच पुकार लगाई तो उसकी आवाज स्लीपरों के ढेर के बीच कहीं दबकर रह गई।

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पुलिस को खिलाड़ी की आवाज की रिकार्डिंग उसके दोस्‍त से मिली है। वहीं घटनास्थल पर बिखरे कागजात और खाने का खाली टिफिन भी मिला है। इन सभी चीजों ने इस वारदात को और भी उलझा दिया है। पुलिस को मृतका का मोबाईल भी नहीं मिला, वह भी गायब है। अब ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि दिन के उजाले में ऐसा घिनौना काम जब हुआ तो किसी ने युवती को देखा या सुना क्यों नहीं?

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जानकारी के अनुसार नेशनल खिलाड़ी बबली किसी कालेज में नौकरी ढूंढ रही थी। इसी सिलसिले में उसे शुक्रवार को बैराज रोड स्थित डीडीपीएस में अपना बायोडाटा देना था। इस काम के लिए वह घर से पैदल ही निकल गई थी। उसके बैग में शैक्षिक डाक्यूमेंट भी थे। बाबली के घर के नजदीक ही रेलवे की जमीन में एक्स्ट्रा स्लीपर रखे हुए हैं। बाबली को इन स्लीपरों के बीच से गोते हुए रेलवे स्टेशन से ई-रिक्शा पकड़कर स्कूल जाना था। दरअसल कुटिया कालोनी के लोग हमेशा इसी शॉर्टकट का यूज करते हैं। वे इस रास्ते से गुजरते हैं और फिर स्टेशन से ई-रिक्शा ले लेते हैं। बाबली ने भी ऐसा ही किया था।

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शुक्रवार दोपहर लगभग दो बजे बबली के भाई ने बहन को कॉल किया था, लेकिन उसका मोबाईल बंद आ रहा था। इसके बाद पारिवारिक ताई ने सूचना दी कि बबली यहां पड़ी हुई है। बबली को आरोपी स्लीपर के बीच की गली से खींचकर अंदर ले गए थे। इस दौरान हत्यारों ने बाबली से जोर-जबरदस्ती की। नेशनल खिलाड़ी के बाल बिखरे हुए थे, हाथ पर खरोंच के निशान भी थे।

घटनास्थल का मुआयना करने पर पता लगा कि बाबली ने मौत के पहले हत्यारों के साथ काफी संघर्ष  किया था। आरोपियों ने बाबली को काबू में करने के लिए उससे मारपीट की थी। बाबली के मुंह से खून निकल रहा था, उसका एक डांट भी टूटा पड़ा था।

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इस हत्या के बाद पुलिस भी हैरत में है। दरअसल मौकाए वारदात से महज 100 मीटर दूर ही आरपीएफ पुलिस चौकी और रेलवे स्टेशन है। जहां शव मिल है वहाँ से सिर्फ 20 मीटर की दूरी पर कॉलोनी है। बबली का घर भी पास में ही है। ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि बाबली ने खुद को मुसीबत में देख शोर जरूर मचाया होगा, लेकिन फिर भी किसी ने उसकी आवाज क्यों नहीं सुनी?

बबली अनुसूचित जाति ताल्लुक रखती थी। उसके पिता ऋषिपाल शुगर मिल में कर्मचारी हैं। उसकी एक बड़ी बहन ललिता, छोटे भाई राघव और नितिन हैं।

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