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एक ऐसी महिला जिसने अपने प्यार की ख़ातिर सिंधिया राजघराने में शादी करने से कर दिया था मना…

आज़ादी के पहले हमारा देश कई राजे-रजवाड़ों में बंटा हुआ था। यह तो सभी को पता है। उसके बाद जब 1947 में देश आज़ाद हुआ। उसके कुछ समय बाद तक ये राजघराने चलते रहें। जी हां देश में कई ऐसे राजघराने हैं जिनके किस्से कहानियां ऐसे हैं कि किसी को यकीन ही ना हो। बता दें कि ऐसी ही एक राजकुमारी रही हैं जो अपने जूतों में हीरे मोती जड़वा कर पहना करती थीं। बता दें कि हम बात कर रहें हैं बड़ौदा राजघराने में जन्मीं राजकुमारी इंदिरा देवी की। जो बाद में कूच बिहार की महारानी बनीं। जी हाँ इनसे जुड़ी काफ़ी दिलचस्प कहानियां है। तो आइए आज हम आपको उन्हीं कहानियों से रूबरू करते हैं।

Maharani Indira Devi

बता दें कि एक समय इंदिरा देवी के पास देश के जाने-माने सिंधिया राजघराने (Scindia Royal family) की महारानी बनने का मौका था। लेकिन उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के परदादा से शादी का रिश्ता ठुकरा दिया था। जी हां महारानी इंदिरा देवी बेहद खूबसूरत और फैशनपरस्त थीं। रानी को सजने- संवरने का बहुत शौक था। साथ ही वे विदेशी फैशन के भी लगातार टच में रहती थीं और जयपुर की मौजूदा महारानी गायत्री देवी उनकी ही बेटी हैं।

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गौरतलब हो कि इटली के साल्वातोर फेरोगेमो उनके पसंदीदा वेस्टर्न डिजाइनर्स में थे। साल्वातोर फेरोगेमो 20 वीं सदी की सबसे फेमस डिजाइनर कंपनी मानी जाती थी। आज भी इस कंपनी के लग्जरी शो-रूम पूरी दुनिया में हैं।

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साल्वातोर ने अपनी आत्मकथा में महारानी इंदिरा देवी से जुड़ा बेहद रोचक किस्सा शेयर किया है। जी हां साल्वातोर की मानें तो एक बार महारानी ने उनकी कंपनी को 100 जोड़ी जूते बनाने का ऑर्डर दिया। इसमें एक आर्डर ऐसी सैंडल बनाने का था जिसमें हीरे और मोती जड़े हों।

Maharani Indira Devi

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साल्वातोर ने बताया कि, “महारानी इंदिरा देवी को अपनी सैंडल में हीरे-मोती अपने कलेक्शन के ही चाहिए थे। इसीलिए उन्होंने अपने ऑर्डर के साथ अपनी पसंद के हीरे और मोती भी भेजे थे। महारानी की एक ऐसी ही हीरे-मोती जड़ित सैंडिल साल्वातोर म्युजियम में भी रखी हुई है।”

Maharani Indira Devi

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बता दें कि महारानी इंदिरा की शादी कूच बिहार के महाराजा जितेंद्र नारायण से हुई थी। हालांकि इंदिरा देवी की सगाई बचपन में ही ग्वालियर के होने वाले राजा माधो राव सिंधिया से पक्की हो चुकी थी। बाद में इंदिरा ने इस शादी से इनकार कर दिया था।

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जानकारी के लिए बता दें कि माधो राव सिंधिया दिवंगत केंद्रीय मंत्री माधवराव के दादा और ज्योतिरादित्य सिंधिया के परदादा थे। माधो राव ने ही देश के सबसे नामी स्कूलों में से एक ग्वालियर के द सिंधिया स्कूल की शुरुआत की थी।

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आख़िर में एक विशेष बात 5 बच्चों के साथ महारानी इंदिरा देवी ने ही लंबे समय तक कूच बिहार का राजकाज संभाला हालांकि इंदिरा की प्रशासकीय क्षमता औसत थी लेकिन सोशल लाइफ में वह गजब की एक्टिव थी उनका ज्यादातर समय यूरोप में ही गुजरता था। बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी भाग में स्थित कूच बिहार जिले का एक नगर है जो उस ज़िले का मुख्यालय भी है। सन् 1586 से 1949 तक यह एक छोटी रियासत के रूप में था। यह भूटान के दक्षिण में पश्चिम बंगाल और बिहार की सीमा पर स्थित एक शहर है।

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