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इंसानियत हुई शर्मसार: नाबालिग लड़कियों को निवस्त्र कर पूरे गांव में घुमाया, जाने वजह

भारत 21वीं सदी में प्रवेश कर चुका है। हम डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। दुनियाभर में भारत की अच्छी छवि उभरकर सामने आ रही है। जल्द ही भारत भी दुनिया के शक्तिशाली और विकसित देशों की लिस्ट में टॉप पर होगा। लेकिन इन सबके बीच आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में हालत बहुत खराब है। यहां लोग अभी भी जादू-टोना और अंधविश्वास की दुनिया में रह रहे हैं। कई बार तो ये तंत्र मंत्र और अंधविश्वास का स्तर इतना अधिक बढ़ जाता है कि इंसानियत भी शर्म से मुंह छिपा लेती है।

देश के कई हिस्सों में अच्छी बारिश के लिए तरह तरह के टोने टोटके और तंत्र मंत्र किए जाते हैं। यह एक अंधविश्वास होता है कि फलाना टोना टोटका करने से अच्छी बारिश हो जाएगी। आप ने भी ऐसे टोने टोटके देखें या सुने होंगे। इसमें मेंढक और मेंढकी की शादी करवाना सबसे अधिक फेमस टोटका है। अब ऐसा टोटका तो फिर भी ठीक था लेकिन मध्य प्रदेश के दमोह के आदिवासी बाहुल्य इलाके में अच्छी बारिश के लिए जिस तरह का काम किया गया वह बहुत शर्मनाक है।

दमोह के आदिवासी बाहुल्य इलाके ने अपने क्षेत्र में अच्छी बारिश के लिए नाबालिग लड़कियों का सहारा लिया है। उन्होंने इन छोटी-छोटी बच्चियों को निर्वस्त्र कर पूरे गांव में घुमाया। ऐसा करने के पीछे की वजह अच्छी बारिश की उम्मीद थी। यह एक प्रकार का अंधविश्वास है जिसे कुछ आदिवासी आज भी मानते हैं। सूखे से राहत पाने के लिए अश्लीलता का सहारा लेना बड़ा ही अजीब और शर्मनाक है।

इस इलाके के आदिवासियों की मान्यता है कि यदि नाबालिग लड़कियों के कपड़े उतारकर, उनसे घर घर जाकर भीख मँगवाई जाए तो इससे देवता खुश होंगे और बारिश कर देंगे। इस दौरान बच्चियों के कंधे पर मेंढकी को भी टांगा गया। अब इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसने भी ये वीडियो देखा उसने इस अंधविश्वास की निंदा ही की।

उधर जब शासन-प्रशासन को इस वायरल वीडियो की भनक लगी तो वहाँ हड़कंप मच गया। दमोह के पुलिस अधीक्षक डीआर तेनिवार ने इस मामले पर कहा कि फिलहाल इस घटना और वीडियो की जांच की जा रही है। जैसे ही इसकी रिपोर्ट आती है सभी आरोपियों पर कार्रवाई की जाएगी।

वीडियो वायरल होने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग ने भी इस मामले का विरोध किया। उन्होंने कलेक्टर से इस मामले पर में नोटिस भेजकर कार्रवाई करने की मांग उठाई। आयोग ने ये भी कहा कि इस मामले को लेकर कार्रवाई हुई इसके बारे में भी दस दिनों के अंदर सूचना दी जाए। साथ ही बच्चियों का एज सर्टिफिकेट भी पेश करने को कहा गया।

ये काफी शर्मनाक है कि आज के डिजिटल युग में भी इस तरह की घटनाएं हो रही है। यदि आप भी अपने आसपास ऐसा अंधविश्वास होता देखें तो इसे रोके और लोगों को समझाएं। यदि मामला हद से ज्यादा पार हो जाए तो इसकी सूचना तुरंत पुलिस को भी दे। यह हमारा भी कर्तव्य है कि हम इस नई जनरेशन को इस तरह के अंधविश्वासों से दूर रखें।

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