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मरने के बाद भी चैन नहीं है अलगाववादी नेता गिलानी को, लोग कब्र से बाहर निकालने की कोशिश में

जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में इस समय पाबंदियां लगा दी गई है। इसकी वजह अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के शव को व हैदरपोरा स्थित कब्रिस्तान से निकाल कर पुराने शहर स्थित ईदगाह कब्रिस्तान में दफनाने की कोशिश का इनपुट मिलना है। ऐसे में एहतियात के लिहाज से शहर के हैदरपोरा और ईदगाह इलाकों में प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। इन दोनों इलाकों में जाने वाले सभी मार्गों पर बैरिकेडिंग भी की गई है। इतना ही नहीं इन इलाकों में ड्रोन के माध्यम से निगरानी भी रखी जा रही है।

दरअसल अधिकारियों को सूचना मिली है कि कुछ शरारती तत्व गिलानी के शव को हैदरपोरा कब्र से निकालने की फिराक में हैं। वे इस शव को को ईदगाह कब्रिस्तान में दफनाना चाहते हैं। बताते चलें कि ईदगाह कब्रिस्तान वह जगह है जहां कई आतंकवादियों और दो शीर्ष अलगाववादी नेताओं अब्दुल गनी लोन और मीरवाइज मोहम्मद फारूक के शव भी दफनाए गए हैं। अलगाववादियों ने बीते वर्ष एक बयान जारी कर कहा था कि गिलानी की इच्छा थी कि उन्हें ईदगाह कब्रिस्तान में दफनाया जाए।

उधर शहर में जैसे ही पाबंदियाँ लगाई गई तो सामान्य जनजीवन प्रभावित होता नजर आया। यहां बाजार आंशिक रूप से खुले हुए थे, लेकिन इन प्रतिबंधों के चलते उस पर भी इसका नेगेटिव असर पड़ा। इलाके में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित की गई थी जिसके चलते ऑनलाइन कक्षाएं निलंबित हो गई। हालांकि घाटी में ब्रॉडबैंड और फाइबर प्लेटफॉर्म पर इंटरनेट सेवाएं चल रही है। इसके साथ ही घाटी में बनिहाल से बारामुला के बीच ट्रेन सेवाएं भी प्रतिबंधित रहीं।

हैदरपोरा कब्रिस्तान में जहां गिलानी को दफनाया गया था वहाँ सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा चुके हैं। अधिकारियों द्वारा इतने सारे कदम इसलिए उठाए जा रहे हैं ताकि अवांछनीय तत्वों की ओर से कब्र के साथ छेड़छाड़ कर अशांति न फैलाई जाए। दरअसल कई आतंकी संगठन ऐसे अलगाववादी नेताओं की कब्र को इबादत स्थल में तब्दील कर युवाओं को ऐसी आतंकी गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रेरित करते हैं। इसलिए इस तरह के शरारती तत्वों को गिलानी के शव से छेड़छाड़ करने से रोकना जरूरी हो जाता है।

गिलानी के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटने पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसकी नरमपंथी मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले धड़े हुर्रियत कांफ्रेंस (एम) ने निंदा की है। संगठन की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि गिलानी के बेटे ने मीडिया से कहा कि अधिकारियों ने उसके 92 साल के पिता और नेता का शव अपने कब्जे में ले लिया। उन्होंने शव को परिवार की अनुपस्थिति में और उनकी जानकारी के बिना ही दफनाया दिया।

उन्होंने आगे कहा कि यह सुन बड़ा दुख हुआ। यह एक अमानवीय घटना है। परिवार को अपने प्रियजन को दफन करने का अधिकार भी नहीं दिया गया। उस परिवार के लोगों पर क्या बीटी होगी इसकी आप कल्पना कर सकते हैं। इतनी कठोरता काफी नहीं थी कि अब अधिकारी प्राथमिकी दर्ज कर परिवार को गिरफ्तार करने की धमकियां देकर प्रताड़ित कर रहे हैं। अन्याय और दुख के इस पल में कश्मीर के लोग गिलानी की फैमिली के साथ हैं।

वैसे इस पूरे मामले पर आपक क्या राय है?

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