अध्यात्म

जीवन में इन तीनों में भूलकर भी ना करें बैर और ना ही अपमान, वर्ना होगी हानि और मिलेगा दुःख!

आज के समय में लोग प्राचीन धर्मशास्त्रों का पालन करना बंद कर रहे हैं। जबकि प्राचीनकाल में लोग अपना जीवन इनमें कही गयी बातों के अनुसार ही जीते थे। अगर ध्यान से देखा जाए तो हिन्दू धर्मग्रन्थ और शास्त्र लोगों को जीवन जीने का सही तरीका सिखाते हैं। जीवन में क्या करना सही है और क्या करने से बचना चाहिए, ये सभी हमें धर्मग्रन्थ और शास्त्र ही सिखाते हैं।

बुजुर्गों के अपमान से सहने पड़ते हैं जीवन में कई कष्ट:

हालांकि आज के आधुनिक योग में लोगों ने इसके हिवाब से जीवन जीना बंद कर दिया है। शायद यही वजह है कि आज के समय में इंसान ज्यादा दुखी रहने लगा है। धर्मग्रन्थ में कहा गया है कि हर व्यक्ति को अपने से बड़ों का सम्मान करना चाहिए। बड़े-बुजुर्गों का अपमान करने से व्यक्ति को जीवन में कई कष्टों का सामना करना पड़ता है।

भूलकर भी ना करें इनका अपमान:

वहीँ मनुस्मृति में कुछ ऐसे लोगों के बारे में बताया गया है कि इनका अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। उनका अपमान करने पर मौका मिलते ही वह व्यक्ति का सर्वनाश कर देते हैं। इसके साथ ही आपके जीवन से धन और सुख-शांति भी छीन जाती है।

श्लोक:
क्षत्रियं चैव सर्पं च ब्राह्मणं च बहुश्रुतम्।
नावमन्येत वै भूष्णु: कृशानापि कदाचन्।।
एतत्त्रयं हि पुरुषं निर्दहेदवमानितम्।
तस्मादेतत्त्रयं नित्यं नाममन्येत बुद्धिमान।।
अर्थ:

अगर कोई व्यक्ति यह चाहता है कि वह जीवन में सुखी हो, समृद्धशाली और स्वस्थ्य हो तो उसे जीवन में क्षत्रिय, साँप, अशिक्षित और ब्राह्मण इन लोगों को कभी नहीं सताना चाहिए। ये तीनों अपना अपमान करने वाले से जैसे ही मौका मिलता है बदला ले लेते हैं। इसलिए हर बुद्धिमान व्यक्ति को इन्से बचकर रहना चहिये और इनका सम्मान करना चाहिए।

*- क्षत्रिय:

क्षत्रिय को अपना अपमान कभी बर्दाश्त नहीं होता है। वह अपने शत्रुओं से बदला लेने के लिए लम्बे समय तक इंतज़ार कर सकता है। जैसे ही उसे उचित समय मिलता है, वह अपना बदला ले लेता है। इसलिए उनका अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

*- साँप:

साँप का भी अपमान करना इंसान के लिए घातक सिद्ध होता है। इसलिए जितना हो सके साँप से बचना चाहिए। साँप के ऊपर भूलकर भी पैर रखकर उसका अपमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि वह अपना बदला तुरंत व्यक्ति को काटकर लेता है।

*- ब्राह्मण:

ब्राह्मण अर्थात विद्वान व्यक्ति, किसी को भी उचित शिक्षा देकर सही रास्ते पर ले जाता है। एक ब्राह्मण का अपमान करना किसी पाप से कम नहीं है। अगर ब्राह्मण बदला लेना चाहे तो वह पुरे कुल का नाश कर सकता है। आपको याद होगा चाणक्य का अपमान नन्द वंश के राजा घनानंद ने की थी। उससे बदला लेने के लिए चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य को घनानंद के सामने खड़ा किया और उसके कुल का नाश कर दिया।

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