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Supertech को लगा सुप्रीम झटका! ढहाई जायेगी 40-40 मंजिले, 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों को

सुपरटेक एमेराल्ड केस (Supertech emerald court demolition case) में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश जारी किया है। जी हां कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि सुपरटेक के ट्विन टॉवर्स को गिराया जाएगा। सुपरटेक के ये दोनों ही टॉवर 40-40 मंजिला हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ये टॉवर नोएडा अथॉरिटी और सुपटेक की मिलीभगत से बने थे। इतना ही नहीं कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा है कि सुपरटेक अपने ही पैसों से इनको तीन महीने के अंदर-अंदर तोड़े साथ ही खरीददारों की रकम ब्याज समेत लौटाए।

गौरतलब हो कि ताजा जानकारी के मुताबिक, सुपरटेक के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) मोहित अरोड़ा अब इस मामले मे रिव्यू पिटिशन दायर करेंगे। बता दें कि साल 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी इन टॉवर्स को गिराने का निर्देश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना है।

Supertech emerald court demolition case

ख़बर को विस्तार से समझें तो सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक को एक बड़ा झटका देते हुए कंपनी द्वारा नोएडा में अपने एक हाउसिंग प्रोजेक्ट में बनाए गए दो 40-मंजिल टावरों को ध्वस्त करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि इन टावरों का निर्माण नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत का परिणाम था।

जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि नोएडा सेक्टर-93 में सुपरटेक एमेराल्ड कोर्ट (Supertech Emerald Court) में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया गया था और सुपरटेक द्वारा इन्हें अपनी लागत पर तीन महीने की अवधि के भीतर तोड़ा जाना चाहिए। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को इन ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12 प्रतिशत ब्याज के साथ रकम वापस करने का भी आदेश दिया है।

Supertech emerald court demolition case

बता दें कि बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2014 के फैसले को बरकरार रखा और सुपरटेक को एक एक्सपर्ट बॉडी की देखरेख में इन टावरों को गिराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कंपनी को दो महीने के भीतर सभी फ्लैट खरीददारों को रकम वापस करने के लिए कहा है, इसके अलावा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन को 2 करोड़ रुपये का भुगतान करने को भी कहा है, जिसने अवैध निर्माण के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया।

Supreme Court

इतना ही नहीं, कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को भी नगर निगम और अग्नि सुरक्षा मानदंडों के उल्लंघन में 40-मंजिला टावरों के अवैध निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बिल्डर के साथ मिलीभगत करने के लिए कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित 2009 की मंजूरी योजना अवैध थी क्योंकि इसने न्यूनतम दूरी मानदंड का उल्लंघन किया था और यह कि योजना को फ्लैट खरीददारों की सहमति के बिना भी मंजूरी नहीं दी जा सकती थी।

Supertech emerald court demolition case

गौरतलब हो कि हाईकोर्ट के 2014 के फैसले के पक्ष और विपक्ष में घर खरीददारों की ओर से दायर कई याचिकाओं पर मंगलवार यानी 31 अगस्त को यह फैसला आया है। 11 अप्रैल 2014 को, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चार महीने के भीतर दोनों इमारतों को ध्वस्त करने और फ्लैट खरीददारों को पैसे वापस लौटाने का आदेश दिया था। रियल स्टेट फर्म के अपील में जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को एक हरित क्षेत्र में रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक के दो आवासीय टावरों को मंजूरी देने और फिर सूचना के अधिकार को अवरुद्ध करने में “शक्ति के चौंकाने वाले इस्तेमाल” के लिए नोएडा प्राधिकरण को फटकार लगाते हुए भवन योजना के बारे में फ्लैट खरीददारों के अनुरोध वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Supreme Court

नोएडा प्राधिकरण ने बहुत देर से शिकायत करने के लिए घर खरीददारों को दोषी ठहराया था, इस पर सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण से कहा था कि, “जिस तरह से आप बहस कर रहे हैं, ऐसा लगता है कि आप प्रमोटर हैं। आप घर खरीदने वालों के खिलाफ नहीं लड़ सकते। एक सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में, आपको तटस्थ रुख अपनाना होगा। आपका आचरण आंख, कान और नाक से टपकते भ्रष्टाचार को दर्शाता है और आप घर खरीदने वालों में दोष खोजने की कोशिश कर रहे हैं।”

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