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पंजशीर के शेरों के आगे तालिबान ने टेके घुटने, कर रहा है समझौते की तैयारी!

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होते ही यहां पर उथल-पुथल का माहौल है। हर कोई देश छोड़ने की कोशिश में लगा हुआ है। लेकिन अफगानिस्तान के काबुल से 80 किलोमीटर दूर पंजशीर की घाटी में ना कोई अफरा-तफरी है और ना कोई यहां से भाग रहा है। जी हां…अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से एक पंजशीर घाटी पर तालिबान का कब्जा कभी नहीं हुआ।

kabul and taliban

खबर है कि तालिबान आतंकियों से बचने के लिए पंजशीर घाटी में अहमद मसूद के नेतृत्व में करीब 9 हजार विद्रोहियों ने मोर्चा संभाला हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि मसूद के जवानों ने पंजशीर घाटी की पहाड़ी चोटियों पर कई मशीन गन तैनात कर दिए गए हैं जिससे तालिबान आतंकियों से लड़ाई लड़ सके। इसके अलावा पंजशीर घाटी पर मोटार्र और निगरानी की एक चौकी भी बनाई गई है, जहां से लगातार आतंकियों पर नजर रखी जा रही है।

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खबरों की माने तो पंजशीर घाटी में सैनिकों ने कई तालिबान लड़ाकों को मार गिराया है और कई आंतकियों को बंदी भी बना लिया। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा के नेता और पूर्व मुजाहिदीन कमांडर का बेटा अहमद मसूद का कहना है कि, वह हमेशा अपने पिता के नक्शे कदम पर चलेगा और तालिबान के सामने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं करेगा। हमारी सेना तालिबान लड़ाकों से अंतिम सांस तक लड़ेगी। ब्रिटेन में पढ़ाई कर रहे अहमद मसूर इस लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। खबर है कि उन्होंने अभी तक 100 से ज्यादा तालिबान मार गिराए हैं।

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गौरतलब है कि, तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के 33 प्रांतों पर अपना कब्जा कर लिया है सिर्फ एक पंजशीर प्रांत ही ऐसा है जहां तालिबान की सत्ता नहीं है। पंजशीर के नेताओं ने कहा कि, वह तालिबान आतंकियों के सामने अपना सर नहीं झुक आएगा। जब पिछली बार यानी कि 20 साल पहले तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था तब भी वह पंजशीर को नहीं जीत सका था।

ऐसे में पंजशीर आगे भी तालिबान के सामने नहीं झुकेगा। बता दें, अहमद मसूद के पिता अहमद शाह मसूद की गिनती पंजशीर के सबसे बड़ा योद्धा में होती है, उन्होंने कभी भी अपने जीवन में तालिबान और सोवियत संघ को पंजशीर पर राज नहीं करने दिया। ऐसे में उनके बेटे भी इसी नक्शे कदम पर चल रहे हैं और तालिबान से लड़ाई करने के लिए तैयार है।

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पंजशीर नेताओं का कहना है कि, यहां के लोगों को युद्ध से डर नहीं लगता। अब हालात ऐसे हैं कि कभी भी हथियार उठाने पड़ सकते हैं। पंजशीर का मानना है कि, तालिबान सीधा हमला नहीं करेगा। दूतावास में काम कर चुके पंजशीर के एक निवासी ने कहा कि, “अभी सब शांत है मगर चिंता ये है कि तालिबान पंजशीर के चारों तरफ पहरे लगा देगा और हमारे खाने और जरूरी सामान की सप्‍लाई रोक देगा। हमें बड़े हथियार की जरुरत है लेकिन अशरफ गनी प्रशासन ने कभी नहीं उपलब्‍ध कराए। पंजशीर में लड़ाकों की कुल संख्‍या कितनी है इस बात का अभी खुलासा नहीं हुआ है लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि, इनके पास करीब 9 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं।

वहीं तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने अपने बयान में कहा कि, “तालिबान जल्दी पंजशीर घाटी में प्रति बलों के साथ शांति समझौता करेगा। हम पंजशीर के लोगों से जुड़े हुए हैं और वहां के बड़े प्रभावशाली लोग और कमांडरों के साथ हमारी लगातार बातचीत जारी है। मुझे विश्वास है कि इसके लिए युद्ध में जाने की आवश्यकता नहीं होगी। तालिबान और पंजशीर घाटी के बीच जल्द ही एक शांति समझौता किया जाएगा।”

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