अध्यात्म

Chanakya Niti: समय रहते ये 3 काम करने वाला व्यक्ति मरने के बाद भी पाता है मान-सम्मान

आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya) अपने दौर के महान विद्वान थे। उन्होंने अपनी सूझबुझ और अनुभवों के आधार पर कई काम की बातें बताई हैं। उनके द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति (Chanakya Niti) आज के समय भी काफी सटीक बैठती है। आचार्य चाणक्य के मुताबिक व्यक्ति के जीवन में आत्मिक शांति से बढ़कर कोई सुख नहीं होता है। यह आत्मिक शांति मनुष्य को अपने अच्छे कर्मों से मिलती है। ऐसे में व्यक्ति को निरोगी काया के रहते हुए कुछ जरूरी काम निपटा लेने चाहिए। एक बार आपके शरीर को किसी रोग ने जकड़ लिया या आपको मृत्यु ने गले लगा लिया तो आपको ये विशेष काम करने का मौका दोबारा नहीं मिलता है।

समाज के हित के लिए अच्छे कार्य

Acharya Chanakya

आचार्य चाणक्य की माने तो इंसान को जिंदा रहते हुए जितना हो सके लोक कल्याण के काम कर लेना चाहिए। जब भी कोई पुण्य करने का अवसर मिले तो उसे हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। यदि एक बार आपको कोई रोग लग गया या मृत्यु प्राप्त हो गई तो आपको पुण्य कमाने का अवसर फिर से नहीं मिलता है। जब इंसान अपने जीवन में अच्छे कम करता है तो उसे समाज में मान सम्मान मिलता है। इतना ही नहीं उसे खुद भी दिल से अच्छा महसूस होता है। अच्छे कार्य करने वाले लोगों को लोग मृत्यु के बाद भी सम्मान देते हैं। उन्हें दिल से याद करते हैं।

आज के काम को कल पर न टाले

Acharya Chanakya

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अपने किसी काम को जितना जल्दी हो सके निपटा लेना चाहिए। कार्य को कल पर नहीं टालना चाहिए। यह कार्य समय रहते जितना जल्द पूर्ण हो जाए उतना ही अच्छा होता है। इसकी वजह ये है कि जब तक हमारा शरीर चुस्त-दुरूस्त है तब तक सभी जरूरी काम समय पर पूर्ण कर लेना ही सही होता है। एक बार आपके शरीर को कोई रोग लग जाए तो शरीर कमजोर हो जाता है। फिर आप उस कार्य को करने की स्थिति में नहीं रहते हैं। बाद में फिर यह पछतावा रहता है कि काश मैं समय रहते यह काम निपटा लेता तो इतनी दिक्कत नहीं आती।

दान पुण्य करते रहे

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आचार्य चाणक्य की माने तो व्यक्ति को अपने जीवन में लोभ और बुरे कार्यों से जितना हो सके दूर रहना चाहिए। बल्कि आपको अपना ध्यान दान पुण्य की ओर केंद्रित करना चाहिए। मन में दूसरों के प्रति बुरे विचार लाने से बेहतर है आप लोगों की भलाई के लिए दान पुण्य करें। खासकर जब तक आपका शरीर निरोगी है तब तक जितना हो सके दान करते रहें।

Daan

बाद में शरीर के रोगी या नश्वर होने पर आपको यह अवसर नहीं मिलेगा। हमेशा अपने मन में सकारात्मक विचार रखें। दान पुण्य से ऐसे विचार आने में मदद मिलती है। इससे न सिर्फ आपकी आत्मा शुद्ध होती है बल्कि आपका काम में भी प्रदर्शन सुधरने लगता है। सकारात्मक विचार आपकी कार्य क्षमता को बढ़ाने का काम करते हैं।

इसलिए आचार्य चाणक्य की बात माने और समय रहते यह तीन काम जरूर निपटा ले। अन्यथा बाद में आप पछताने के सिवाय कुछ नहीं कर पाएंगे।

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