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काबुल से लौटी स्वतंत्र पत्रकार की दास्तां-ए-दर्द, जानिए कैसे चंद घण्टों में बदल गए महिलाओं के कपड़े…

महिलाओं के कपड़े से लेकर सबकुछ बदल चुका है काबुल में, एयरपोर्ट पर सिर्फ़ दिख रहा अव्यवस्था का मंजर...

Kanika Gupta freelance Journalist

शांतिप्रिय और अफगानिस्तान का आर्थिक, सांस्कृतिक केंद्र अब बदलाव के दौर से गुज़र रहा है। तालिबानियों के कब्ज़े के चंद घण्टों बाद ही काबुल की पहचान बदल गई है। जो काबुल सांस्कृतिक केंद्र था अफगानिस्तान का, वह अब आतंकी केंद्र से कम नहीं रहा। जी हां महिलाओं और पुरुषों के कपड़े बदले तो सुनसान सड़कों पर गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई देने लगी। देखते-ही-देखते सड़कों से लेकर चेक पोस्ट पर तालिबानियों का कब्जा हो गया। काबुल में हर कोई खौफजदा था और बस यही दुआ कर रहा था कि जान बची रहे। 17 अगस्त को काबुल से भारत लौटी गाजियाबाद के वैशाली निवासी स्वतंत्र पत्रकार कनिका गुप्ता (Kanika Gupta) ने मीडिया के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए ये जानकारियां दीं। उन्होंने कहा कि अभी भी करीब तीन सौ भारतीय काबुल में हैं। सरकार को जल्द से जल्द उन्हें भारत लाना चाहिए।

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गौरतलब हो कि कनिका ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि वे बीते करीब तीन माह से काबुल में थीं। 15 अगस्त को अचानक तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो वहां रह रहे अन्य भारतीयों के साथ कनिका ने भी दूतावास में संपर्क किया। 17 अगस्त को वायुसेना के ग्लोबमास्टर विमान से वह हिंडन एयरफोर्स स्टेशन आईं। कनिका ने बताया कि वह मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी स्टोरीज के लिए अफगानिस्तान गईं थीं। हालांकि, बीते तीन माह में कभी उन्हें ऐसा महसूस नहीं हुआ कि तालिबान इस तरह से देश पर कब्जा कर लेगा। उन्होंने अफगानिस्तान के लोगों से जुड़ी कई स्टोरी की। सबकुछ ठीक चल रहा था कि अचानक 15 अगस्त को सब बदल गया।

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कनिका ने बताया कि 15 अगस्त को जैसे ही तालिबान ने अफगानिस्तान सरकार का तख़्ता पलट किया, काबुल की शांत सड़कों पर भी भगदड़ के हालात दिखाई दिए। बाहर के देशों से आकर रह रहे लोगों के साथ 20 साल पहले तालिबानियों की क्रूरता देख चुके अफगानी भी डर के मारे देश से बाहर जाना चाहते थे। यही कारण था कि एयरपोर्ट पर हजारों की संख्या में भीड़ जमा हो गई। वही लोग अमेरिकी हवाई जहाज पर लटके जो देश छोड़कर जाना चाहते थे।

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इतना ही नहीं कनिका ने आगे बताया कि जब दूतावास के निर्देश मिले कि भारतीय वायुसेना का विमान उन्हें भारत ले जाने के लिए तैयार है तो वह कार से एयरपोर्ट जाने के लिए निकली। सड़क पर जगह-जगह तालिबानी बंदूकें लेकर खड़े थे। एक चेक पोस्ट पर उनकी गाड़ी को रोक लिया गया। उन्होंने बताया कि वह भारतीय हैं और एयरपोर्ट जा रहीं हैं। तालिबानी ने कार को आगे जाने से रोक दिया। कहा कि एयरपोर्ट बंद है। कनिका ने समझाने का प्रयास किया तो तालिबानी ने उनसे बात ही नहीं की। कनिका ने बताया कि वह तालिबानी उनकी बात का जवाब नहीं दे रहा था। सवाल वह पूछ रहीं थीं लेकिन वह कार ड्राइवर को जवाब दे रहा था। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद तालिबानी ने उन्हें एयरपोर्ट जाने दिया। उनके साथ कुछ और तालिबानी एयरपोर्ट तक गए। एयरपोर्ट के मुख्य द्वार पर हजारों की भीड़ थी। ऐसे में उन्होंने पिछले दरवाजे से एयरपोर्ट में प्रवेश दिया गया।

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कनिका ने बताया कि जब उन्होंने तालिबानियों को समझाने का प्रयास किया तो, उनसे बात न करते हुए ड्राइवर से बात की। इससे लगा जैसे तालिबानी, महिलाओं से बात करना ही नहीं चाहते। यही कारण था कि 15 अगस्त को तालिबानी कब्जे की घोषणा होते ही अफगान महिलाएं सामान्य पहनावा छोड़कर हिजाब पहने नजर आईं। इसके साथ ही पुरुषों का पहनावा भी बदल गया। पुरुष भी तालिबानियों की तरह सिर पर साफा बांधे दिखाई दिए। इसके अलावा कनिका ने बताया कि काबुल में वह कई लोगों से लगातार संपर्क में हैं। उनसे फोन पर बात हो पा रही है। उनके जानकार लोगों ने बृहस्पतिवार सुबह फोन पर बताया है कि तालिबानी स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि काबुल के ज्यादातर हिस्सों में अब हिंसा नहीं हो रही है।

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एयरपोर्ट पर लोग नहीं, दिखीं चप्पलें…

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वही काबुल के हालात पर बात करते हुए कनिका ने बताया कि जब वह एयरपोर्ट पर पहुंचीं तो वहां के हालात काफी बुरे थे। हर जगह वहां सामान टूटा-फूटा था। हालांकि अमेरिकी सेना ने हवाई अड्डे को अपने नियंत्रण में लेकर लोगों को बाहर कर दिया था। एयरपोर्ट पर जगह-जगह लोगों की चप्पलें और अन्य सामान पड़ा था। कनिका ने बताया कि भले ही तालिबानियों ने महिलाओं को उनके अधिकार देने की बात कही है लेकिन अभी भी वहां की महिलाएं खौफजदा है। जिस प्रकार के वीडियो आ रहे हैं उन्हें कुछ बदलता नहीं दिखता। अगर सच में कुछ बदलना है तो तालिबानियों को खुद को बदलना होगा।

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