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सावन महीने में पति-पत्नी रह सकें साथ इसलिए पति का ससुराल के पास हुआ ट्रांसफर। जानिए पूरी कहानी…

एक अनूठी परम्परा की वज़ह से AEN ने पीड़ा समझते हुए GEN का ससुराल के पास किया ट्रांसफर। वायरल हुआ लैटर

भारत एक ऐसा देश है। जहां विविध प्रकार की परम्पराएं देखने को मिलती है। यहां पर शादी-ब्याह से जुड़ी अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग परम्पराएं भी देखने को मिलती है। बता दें कि राजस्थान में शादी से जुड़ी एक परम्परा है कि शादी के बाद आने वाले पहले सावन माह में सास-बहू को एक साथ नहीं रहना चाहिए। सुनने में यह परंपरा अजीब लग सकती है, लेकिन परंपरा तो परम्परा होती है और इसे बनाया ही इसलिए जाता कि समाज इसका निर्वहन करें।

ऐसे में नवविवाहिताओं का पहला सावन अपने ससुराल की बजाय मायके में बीतता है। जी हां इस परम्परा में वो नवविवाहित जोड़े अक्सर चर्चा में रहते हैं, जिनकी शादी के कुछ दिन बाद ही सावन माह लग जाता है। इस बार सावन में भी ऐसा ही एक जोड़ा चर्चा में है, जिसकी अभी हाल में शादी हुई थी।

pati patni

बता दें कि सावन की वजह से नवविवाहिता एक माह के लिए अपने पीहर चली जाती है। ऐसे में अब इस परंपरा का तोड़ निकालने की दिशा में राजस्थान के लोग बढ़ चले हैं। जी हां वैसे भी वह परम्परा ही क्या जिसमें समय अनुसार परिवर्तन न हो। ऐसे में नवविवाहित जोड़े की इस सावन माह वाली जुदाई का राजस्थान के चूरू जिले में गजब का तोड़ निकाला गया है, जिससे शादी के बाद पहले सावन में सास-बहू साथ नहीं रहने की परम्परा का पालन भी हुआ और नवविवाहित जोड़ा साथ भी रह सका।

Unique tradition related to marriage in Churu, Rajasthan

गौरतलब हो कि सोशल मीडिया पर चूरू जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग (PHED) के सहायक अभियंता उपखंड ललानिया के कार्यालय का आदेश वायरल हो रहा है, जिसमें कनिष्ठ अभियंता राजेंद्र सिंह बागोरिया का उनके ससुराल के पास तबादला किए जाने का दावा किया जा रहा है। जी हां इस वायरल संदेश की पुष्टि न्यूज़ ट्रेंड के द्वारा नहीं की जा रही, लेकिन इस वायरल सन्देश के माध्यम से यह जरूर समझा जा सकता है कि कैसे परम्परा को भी जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है और पति-पत्नी साथ मे रह सकें। इसका ख़्याल भी रखा जा रहा है।

सहायक अभियंता ललानिया के कार्यालय से जारी आदेश में यह है लिखा…

Unique tradition related to marriage in Churu, Rajasthan

बता दें कि 27 जुलाई 2021 को जारी आदेश में लिखा है कि, “हाल ही में शादी सम्पन्न होने व प्रथम श्रावण मास के लग जाने से पत्नी के पीहर गांव ढिघारला चले जाने के कारण कनिष्ठ अभियंता राजेंद्र सिंह बागोरिया की पीड़ा को संज्ञान में लेते हुए इन्हें आदेशित किया जाता है कि श्रावण मास तक आप अपनी आगामी ड्यूटी रामसरा टिब्बा कलस्टर में देंगे। इस दौरान आपका मुख्यालय ग्राम ढिघारल रहेगा। आप प्रति दिन उक्त कलस्टर में आपके द्वारा किए गए कार्यों की रिपोर्ट अधोहस्ताक्षरकर्ता को देंगे।”

अभियंताओं ने आदेश को बताया फर्जी…

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वहीं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस आदेश को पीएचईडी के अभियंताओं ने फर्जी बताया है। मीडिया से बातचीत के दौरान ललानिया सहायक अभियंता देवीलाल बाना कहते हैं कि आदेश फर्जी है। उनके कार्यालय से ना तो इस संबंध में कभी कोई आदेश जारी हुआ और ना ही आदेश पत्र पर किए गए हस्ताक्षर उनके खुद के हैं। यह किसी ने कारस्तानी की है, जिसकी जांच करवाई जा रही है।

जेइएन बोले कि मेरी छवि की जा रही है धुमिल…

इसके अलावा इस संबंध में कनिष्ठ अभियंता राजेंद्र सिंह बागोरिया कहते हैं कि फर्जी आदेश की वजह से उनकी छवि धुमिल हुई है। तारानगर पुलिस को शिकायत भी दी है। साथ ही विभागीय स्तर पर जांच करवाई जा रही है कि उनके तबादले का फर्जी आदेश कहां से आया।

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इतना ही नहीं राजेंद्र सिंह बागोरिया इस मामले में तर्क देते हैं कि उनकी शादी तो डेढ़ साल पहले हुई थी। यानी शादी के बाद का पहला सावन तो पिछले साल ही बीत गया। ऐसे में अब जुलाई 2021 में जारी यह आदेश पूरी तरह फर्जी है। हालांकि राजेंद्र सिंह अपनी शादी की डेट बताने से बचते रहे। अब यह जांच का विषय है कि आदेश फर्जी है या फिर सहायक अभियंता बाना व कनिष्ठ अभियंता राजेंद्र सिंह के तर्क। यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन एक बात तय है कि यह परंपरा काफी अनूठी है और उससे भी अनूठा इस परंपरा से बचने का रास्ता अब लोग ढूंढते नजऱ आ रहें। इस बात में कोई दो राय नहीं है।

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