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एक ओलंपिक में मेडल जीत कर कमा रही नाम, तो दूसरी देश की रक्षा में है तैनात। जानिए 2 बहनों की कहानी

प्रतिभा किसी भी परिस्थितियों की मोहताज़ नहीं होती और न ही यह जाति और लिंग देखकर आती है। जी हां हम आपको बता दें कि टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympic) में देश भर की नजरें मेडल लाने वाले खिलाड़ियों पर है। ऐसे में राजस्थान की बेटियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। गौरतलब हो कि राजस्थान की एक बेटी ने ओलंपिक में मुक्केबाजी में देश के लिए मेडल जीत लिया है, तो दूसरी बहन सीआईएसएफ में देश की रक्षा में तैनात है।

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टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने वाली लवलीना की बहन जोधपुर में तैनात हैं और अपनी बहन के मेडल जीतने पर जोधपुर में जश्न मना रही हैं। टोक्यो में चल रहे ओलंपिक गेम में भारतीय मुक्केबाज लवलीना ने अपना कांस्य पदक पक्का कर लिया है, जिसके बाद पूरे देश में तो जश्न का माहौल है ही साथ ही साथ जोधपुर में भी लवलीना की जीत का जश्न मनाया जा रहा है।

Success Of Lovelina And Her Sister

बता दें कि लवलीना की बहन लीमा जोधपुर एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ में तैनात हैं। वे अपनी बहन के मेडल जीतने पर एयरपोर्ट पर ही जश्न मना रही हैं। एयरपोर्ट के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों ने लीमा को उनकी बहन के मेडल जीतने पर बधाइयां दी है। वहीं भारतीय मुक्केबाज लवलीना की बहन लीमा अपनी बहन की जीत पर काफ़ी खुश हैं। वह कहती हैं कि लवलीना के मेडल जीतने से उन्हें गर्व महसूस हो रहा है।

साथ ही उन्होंने बताया कि लवलीना ने अपनी मेहनत और लगन से इस मुकाम को हासिल किया है। लीमा ने अपनी बहन लवलीना के मेडल जीतने का श्रेय अपनी मां को दिया है। उन्होंने कहा कि मां शुरू से ही दोनों बेटियों को खेलकूद व पढ़ाई में आगे बढ़ने को मोटिवेट करती थी। बहरहाल जोधपुर एयरपोर्ट पर जश्न के माहौल के बीच सभी ने लीमा को बधाई तो दी, लेकिन साथ ही सभी ने ईश्वर से प्रार्थना कर लवलीना को आगे गोल्ड मेडल हासिल करने की उम्मीद जताई।

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बात लवलीना के पारिवारिक पृष्ठभूमि की करें। तो वह असम के गोलाघाट जिले से है। तीन बहनों में से लवलीना सबसे छोटी हैं। उसकी दो बड़ी बहने हैं जो जुड़वा हैं। उनका नाम है लिचा और लीमा। इन्होंने भी राष्ट्रीय स्तर पर किक बॉक्सिंग में भाग लिया, लेकिन आर्थिक तंगी से उसे आगे जारी नहीं रख सकी। लवलीना ने भी अपना करियर एक किक बॉक्सर के तौर पर शुरू किया था लेकिन बाद में उन्होंने बाॅक्सिंग में अपना करियर बनाना शुरू कर दिया। वहीं लीमा ने एयरपोर्ट की नाैकरी शुरू कर अपने माता-पिता का नाम राैशन किया। लवलीना की माता का नाम टिकेन है और पिता का मामोनी बोरगोहेन है, जो एक लघु-स्तरीय व्यापारी है। अपनी बेटी का भविष्य संबारने के लिए उनके पिता ने कड़ा संघर्ष किया और उस संघर्ष का परिणाम आज सारी दुनिया के सामने है।

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लवलीना के कांस्य पदक जीतने पर देशभर से बधाइयां उन्हें मिल रही है। इसी को लेकर बीएफआई के अध्यक्ष ने कहा कि, “यह एक ऐसी खबर है जिसका हम सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। यह न केवल मुक्केबाजी के लिए बल्कि असम और पूरे देश के लिए भी गर्व का क्षण है। यह वास्तव में लवलीना का एक बहुत ही साहसी प्रयास था। वह पिछले साल COVID से पीड़ित थी और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसकी मां भी एक जानलेवा बीमारी से जूझ रही थी। लेकिन लवलीना एक जन्मजात लड़ाकू है। यह भारतीय मुक्केबाजी के लिए एक बहुत बड़ा मील का पत्थर है और जिस तरह से इस युवा लड़की ने साबित किया है। खुद हम सभी को गौरवान्वित करता है।”

जानकारी के लिए बता दें कि लवलीना को पिछले साल कोविड के चलते यूरोप में अपनी ट्रेनिंग को मिस करना पड़ा था। उनके पास कई तरह की मुश्किलें थी जिनसे निकलते हुए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। जैसे ही क्वार्टरफाइनल में रेफरी ने जीत के लिए लवलीना का हाथ उठाया, उनकी एक बड़ी चीख निकल गई जो खुशी की लहर में उनकी भावनाओं को बयां कर रही थी।

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