अध्यात्म

सावन माह के महीने में व्रत रखने से पहले ध्यान दे इन बातों को, तभी मिलेगा मनोवांछित फ़ल…

चातुर्मास की क्या है पौराणिक कहानी और इस दौरान किन बातों का रखना चाहिए विशेष ध्यान। जानिए विस्तार से...

चातुर्मास का हिन्दू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व होता है। वहीं इस अवधि में नियमों का पालन करते हुए व्रत करने वालों की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। हिन्दू धर्मग्रंथों में यह मान्यता है कि आषाढ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी की रात्रि से भगवान विष्णु अगले चार मास के लिए योगनिद्रा में लीन हो जाते हैं और कार्तिक मास में शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन योगनिद्रा से जागते हैं। इसलिये इन चार महीनों को ‘चातुर्मास’ कहा जाता हैं।

चातुर्मास का हिन्दू धर्म में विशेष आध्यात्मिक महत्व माना जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन चार महीनों में शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा, यज्ञादि संस्कार बंद रहते हैं। चातुर्मास का सम्बन्ध ‘देवशयन’ अवधि से है। शास्त्रों के अनुसार वर्षा ऋतु के चारों मास में लक्ष्मी जी भगवान विष्णु की सेवा करती हैं। इस अवधि में यदि कुछ नियमों का पालन करते हुए व्रत किया जाए तो ऐसी मान्यता है कि सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

Chaturmas

बता दें कि चातुर्मास (Chaturmas) का पहला महीना यानी कि सावन का महीना (Sawan Ka Mahina) भगवान भोलेनाथ (Lord Shankar) को समर्पित है। दरअसल, पार्वतीजी ने सावन महीने में निराहार रहकर कठोर व्रत और तपस्‍या की थी और उनकी तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर शिवजी ने उनसे विवाह किया था। इसीलिए मनचाहा वर पाने के लिए सावन सोमवार के व्रत को बहुत अहम माना गया है।

इसके अलावा ‘देवशयनी एकादशी’ को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के निद्रा में चले जाने के बाद शिवजी ही 4 महीने तक सृष्टि का संचालन करेंगे। इस लिहाज से भी इस दौरान शिव की आराधना का विशेष महत्‍व होता है। इस साल चातुर्मास की शुरुआत 20 जुलाई यानी मंगलवार से शुरू हो रहा है। वहीं इसका समापन नवंबर की 14 तारीख को रविवार के दिन होगा। इस दिन ‘देवोत्थान एकादशी’ का व्रत किया जाएगा।

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चातुर्मास में इन नियमों का पूजा-व्रत के दौरान रखना चाहिए ध्यान…

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ऐसी मान्यताएं है कि इस महीने में पूजा-व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन सोमवार के व्रत करने के अलावा कई लोग इस पूरे महीने में व्रत रखते हैं। ऐसे लोगों को कुछ खास बातों का जरूर ध्‍यान रखना चाहिए। तो आइए जानते हैं इन्हीं बातों को…

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1) सावन के पूरे महीने व्रत (Sawan Month Vrat) कर रहे हैं तो इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत अच्‍छा होता है।

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2) जागने पर ज्‍यादातर समय भगवान की आराधना में लगाना और मौन रहना बहुत अच्‍छा रहता है, ताकि मुंह से ना तो गलत शब्‍द निकलें और ना ही मन भटके।

3) इस व्रत में दूध, शक्‍कर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार भी संयम से करें। उतना ही भोजन करें कि नींद न आए और भगवान की आराधना में व्‍यवधान न आए।

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4) वहीं यदि पूरे महीने व्रत न भी रखें तो भी सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन इस दौरान नहीं करना चाहिए।

5) सावन के पूरे महीने व्रत रखने वाले लोगों को इस दौरान दाढ़ी नहीं बनवाना चाहिए और बाल और नाखून भी नहीं काटने चाहिए।

6) भगवान भोलेनाथ के अलावा भगवान विष्‍णु और अपने ईष्ट देव की भी आराधना इस दौरान करनी चाहिए।

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7) इस दौरान पति-पत्‍नी को संयम रखना चाहिए। वहीं हो सके तो व्रत में यात्रा न करें, बल्कि घर पर रहकर ही भगवान की आराधना करें।

चातुर्मास में एक स्थान पर साधना करना होता है श्रेष्ठ…

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चातुर्मास का समय साधना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। हालांकि इस दौरान यात्रा से बचना चाहिए और एक स्थान पर ही बैठकर साधना करनी चाहिए। इन चार महीनों में सावन का महीना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में जो व्यक्ति भागवत कथा, भगवान शिव का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान करेगा उसे अक्षय पुण्य प्राप्त होगा।

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