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मां को देखते ही बिलख-बिलख कर रो पड़े चिराग पासवान, खीर खिला-पगड़ी पहना दिया आशीर्वाद

बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान अपने पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद से अकेले पड़ गए हैं. पिता के निधन से रामविलास पासवान बुरी तरह से टूट चुके थे, लेकिन अब वे हिम्मत कर आगे बढ़ रहे हैं और पार्टी एवं परिवार के लोगों से मिल रहे हैं.

इसी कड़ी में चिराग खगड़िया के शहरबन्नी गांव पहुंचे जहां उन्होंने अपनी बड़ी मां से मुलाक़ात की और वे अपनी बड़ी मां को देखते ही बिलख बिलख कर रो पड़े.

दरअसल, रामविलास पासवान का बीते साल निधन हो गया था. चिराग ने पिता की जयंती यानी कि 5 जुलाई से हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा की शुरुआत की है. दूसरी ओर लोक जनशक्ति पार्टी पर कब्जे को लेकर चाचा-भतीजा यानी कि चिराग पासवान और पशुपति नाथ पारस में में झगड़ा चल रहा है. पशुपति पारस को केंद्र में मंत्री बनने के बाद चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है. इसी बीच चिराग की आशीर्वाद यात्रा भी चर्चा में आ गई है.

chirag paswan

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चिराग पासवान अपनी पार्टी और परिवार के बचे लोगों का समर्थन लेने के लिए आशीर्वाद यात्रा पर है. वे हाल ही में अपने पैतृक गांव खगड़िया के शहरबन्नी गांव पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपनी बड़ी मां यानी कि स्व रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी से मुलाकात की. मां और बेटे इस दौरान एक दूसरे को देखकर रो पड़े और चिराग ने अपनी बड़ी मां को गले लगाया. राजकुमारी देवी ने चिराग को आशीर्वाद दिया.

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बड़ी मां को देखकर चिराग अपने आंसूओं पर काबू नहीं कर पाए और वे मां से लिपटकर रो दिए. सोशल मीडिया पर चिराग और उनकी बड़ी मां राजकुमारी देवी की तस्वीरें ख़ूब वायरल हो रही है. चिराग पासवान अपने पैतृक गांव समस्तीपुर और बेगूसराय होते हुए शुक्रवार को पहुंचे थे. मां से भावुक होकर चिराग ने चाचा पशुपति की शिकायत की. बड़ी मा से चिराग ने कहा कि, चाचा ने मेरे साथ तो बहुत गलत किया ही है, साथ पूरे परिवार को अलग-थलग कर दिया. जवाब में राजकुमारी देवी ने चिराग को सांत्वना देते हुए पीट पर हाथ फेरते हुए कहा- हम लोग हैं न तुम्हारे साथ बेटे धीरज रखो सब अच्छा होगा.

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राजकुमारी देवी ने खीर खिलाकर चिराग का मुंह मीठा कराया. साथ ही अपने हाथों से चिराग को पगड़ी पहनाई और उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया. मीडिया के दिए अपने बयान में राजकुमारी देवी ने कहा कि, ”प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिराग की बात सुननी चाहिए थी. पशुपति को मंत्री नहीं बनाकर चिराग को मंत्री बनाना था. क्योंकि चिराग ने हमेशा पीएम मोदी के कामों की तारीफ करता है और खुद को उनका हनुमान कहता है. वह ही असली राम विलास पासवान का उत्‍तराधिकारी है. उस व्यक्ति को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करना चाहिए था, जिसने परिवार के साथ धोखा किया.”

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बड़ी मां से मिलने के बाद चिराग ने अपनी बहन उषा पासवान से भी मुलाक़ात की. बहन से भी गले मिलने के दौरान चिराग रो पड़े थे. बहन उषा ने भाई चिराग की आरती उतारी और तिलक लगाकर उन्हें विदा किया. जाते जाते चिराग ने मां से कहा कि, गांव आता रहूंगा.

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