दिलचस्प

अगर आप भी अपनी नौकरी से खुश नहीं हैं तो यह कहानी आपके लिए ही है…!

बहुत पहले की बात है। एक मुनि अपनी धार्मिक यात्रा पर निकले। चलते-चलते मुनि काफ़ी थक चुके थे। रास्ते में एक गाँव आया तो मुनि वहाँ रुक गए और एक खेत के पास के बरगद के पेड़ के नीचे आराम करने के लिए शरण ली। वहीँ पास में कुछ मजदूर काम कर रहे थे। मजदूर पत्थर से खम्भे बना रहे थे।

मजदूर ने हताश होकर दिया जवाब:

मुनि ने उनको काम करता देखकर कौतूहल वस पूछा यह क्या बन रहा है? एक मजदूर ने बताया कि पत्थर काट रहा हूँ! मुनि ने उसका जवाब सुनकर कहा कि वो तो दिखाई ही दे रहा है, लेकिन यहाँ बनेगा क्या? यह सुनकर वहीँ पास काम कर रहे दूसरे मजदूर ने कहा कि वह हमें पता नहीं है, हम तो बस दिहाड़ी पर काम कर रहे हैं और थक चुके हैं।

इस गाँव में नहीं है कोई बड़ा मंदिर:

मुनि वहाँ से आगे बढ़ गए और रास्ते में मिलने वाले एक और मजदूर से पूछा कि यहाँ क्या बनेगा? उस मजदूर ने भी बहुत निराश होकर उत्तर दिया। लेकिन इसके बाद जो मजदूर मिला उसने ठीक से उत्तर दिया। उसने बताया कि यहाँ मंदिर बनेगा, क्योंकि इस गाँव में कोई भी बड़ा मंदिर नहीं था। इस गाँव के लोगों को त्यौहार मनाने के लिए दुसरे गाँव जाना पड़ता था।

छेनी की आवाज लगती है मंदिर के घंटों की तरह:

मैं अपने हुनर का इस्तेमाल करके यहाँ मंदिर बना रहा हूँ। जब भी मैं पत्थरों को तरासने के लिए इसपर छेनी चलाता हूँ तो मुझे मंदिर के घंटों की आवाज सुनाई देती है और मेरा अपने काम में मन लगा रहता है। मुनि उस मजदूर की बात सुनकर दंग रह गए और उसे आशीर्वाद दिया। मजदूर की बातों का तात्पर्य यह है कि जीवन आप किस तरह जीते हैं यह आपका रवैया तय करता है।

किसी भी काम को मन से करना है बहुत जरुरी:

अगर आप अपने काम को मन से करते हैं और उसमें आनंद महसूस करते हैं तो आपको आनंद की ही प्राप्ति होगी, इसके उलट अगर आप उसे भार समझेंगे तो काम भार की तरह लगेगा। उस मजदूर को अपने काम से इतना प्यार था कि छेनी की आवाज भी उसे मंदिर के घंटों की तरह लगती थी। इसलिए वह मजदूर बिना थके बड़े आराम से अपने काम को करता रहा।

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