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इन आईएएस-आईपीएस अधिकारियों की पहचान ही ट्रांसफर है। जिनमें से एक के नाम तो 71 ट्रासंफर ..

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कोई भी व्यक्ति आईएएस-आईपीएस अधिकारी क्यों बनना चाहता है। सच पूछें तो सौ में से 90 तो यही सोचकर इस फ़ील्ड में आते की इसके माध्यम से उन्हें देश और अपने समाज के लिए कुछ करने का अवसर मिलेगा। हाँ कुछ इसके इतर अपवाद भी हो सकते हैं, लेकिन उसका क्या है? अपवाद तो हर जगह मिल जाएंगे, लेकिन सोचिए अगर किसी आईएएस और आईपीएस अधिकारी का आएं दिन सिर्फ़ तबादला ही होता रहें। फिर कैसे वह बेहतर तरीक़े से कार्य कर पाएगा? कोई भी अधिकारी हो या अन्य किसी जगह की सामाजिक, राजनीतिक और अन्य बातें समझने में व्यक्ति को समय लगता है, लेकिन उतने में ही अगर उस व्यक्ति को उस जगह से हटा दिया जाए। फिर क्या मतलब रह जाता है। आज हम ऐसे ही कुछ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की कहानी आपको बताने जा रहें। जिनके ट्रांसफर की गिनती सुनकर आप सोच में पड़ जाएंगे कि क्या इन अधिकारियों को ट्रांसफर के लिए ही सरकार ने रखा है या इनकी नीयत में ही ऐसा लिखा है।

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जी हां ऐसे कई अधिकारी हमारे देश में है। जिन्होंने अपने सेवाकाल के वर्ष से अधिक ट्रांसफर देखें हैं। किसी के 71, कोई 53 तो किसी के 52 ट्रांसफर अब तक हो चुके है। ऐसे में यह कहें कि इन आईएएस- आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर ही पहचान बन गया है तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। जी हां बीते दिनों दो अधिकारी अपने ट्रांसफर को लेकर चर्चा में रहें। जिसमें एक बिहार के आईपीएस अफसर मोहम्मद शफीउल हक है। तो वहीं दूसरे लोकेश कुमार जांगिड़। जो कि साल 2014 बैच के अफसर हैं। उन्हें तो मध्यप्रदेश का “अशोक खेमका” तक कहा जाने लगा है। अब इन अधिकारियों का ट्रांसफर क्यों और किस आधार पर इतना जल्दी जल्दी कर दिया जाता वह तो पता नहीं, लेकिन लोकेश जांगिड़ और बिहार के आईपीएस अफसर मोहम्मद शफीउल हक जो बातें कर रहें वह काफ़ी गम्भीर है। अगर ऐसा होता है। तो यह न तो स्वस्थ लोकतंत्र के लिए वाज़िब। न उस अवाम के लिए जिसके टैक्स पर इन अधिकारियों को पेमेंट मिलती है। स्वाभाविक सी बात है अगर कोई आईपीएस और आईएएस अधिकारी तबादले की मार ही झेलता रहेगा तो वह काम क्या ख़ाक करेगा?

Jangid lokesh

बता दें कि बिहार के आईपीएस अफसर मोहम्मद शफीउल हक ने हाल ही में अपने ट्रांसफर को अफसोसजनक बताया और कहा कि उनका कोई गॉडफादर नहीं है इसलिए उनका ट्रांसफर बार-बार होता है। ये सिर्फ शफीउल हक ही की कहानी नहीं है। कई ऐसे अफ़सर हैं जिनका लगातार होता ट्रांसफर मुद्दा बनता रहा है। इसी में एक नाम लोकेश कुमार जांगिड़ का भी है, जिन्होंने हाल ही में अपने ट्रांसफर के बाद अफसरों के एक व्हाट्सऐप ग्रुप में व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल उठाया। इसके बाद से राजनैतिक गलियारों में काफी हलचल है। तो आइए जानते है ऐसे आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बारे में जिनकी नीयत में जैसे ट्रांसफर शब्द लिख दिया गया हो…

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अशोक खेमका…

Ashok Khemka

अशोक खेमका साल 1991 बैच के अफसर हैं। साल 1993 में उनकी पहली पोस्टिंग हुई। इसके बाद उनके 53 ट्रांसफर हो चुके हैं। वह आईआईटी खड़गपुर से बीटेकी की पढ़ाई किए हुए हैं। अशोक खेमका सबसे ज्यादा सूचना एवं प्रोद्योगिकी और प्रशासनिक सुधार विभाग में रहे हैं। इन दोनों विभागों में इनका चार-चार बार ट्रांसफर हो चुका है। उनका सबसे लंबा कार्यकाल 10 जुलाई 2008 से 27 अप्रैल 2010 का है। जिसमें वह पंचकुला के वेयरहाउस कार्पोरेशन लिमिटेड में बतौर मैनेजिंग डायरेक्टर रहे हैं।

Ashok khemma

कोलकाता में जन्मे खेमका अपनी पहली पोस्टिंग से अभी तक हरियाणा में ही तैनात हैं। इस दौरान जिस विभाग में रहे, अनियमितताओं और ग़लतियों का खुलकर विरोध इन्होंने किया। साल 1991 से 2019 तक जितने मुख्यमंत्री आए, सबने उनका ट्रांसफर किया। एक साल में चार-चार ट्रांसफ़र तक अशोक खेमका का हुआ है। हाल ये है कि अब तो ये बात होती है कि किसी सीएम के कार्यकाल में खेमका का कितना ट्रांसफ़र हुआ।

Ashok khemka

वर्तमान खट्टर सरकार की बात करें तो अभी तक खेमका का 6 बार ट्रांसफ़र हो चुका है। वहीं हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल में 21 तो ओपी चौटाला सरकार में 10 बार अशोक खेमका का ट्रांसफ़र हुआ था। वहीं बंसीलाल और भजनलाल सरकार में भी इनका 7 और 5 बार ट्रांसफ़र हो चुका है।

विनीत चौधरी…

Vineet Chaudhary

उन्होंने भी अपने कार्यकाल से ज़्यादा ट्रांसफर झेले हैं। हिमाचल प्रदेश कैडर के 1982 बैच के अफसर हैं विनीत चौधरी। विनीत चौधरी की 31 साल की नौकरी में इनका 52 बार उनका ट्रांसफर हो चुका है। वह हिमाचल के मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए, लेकिन अपने करियर में वह बार-बार ट्रांसफर होने की वजह से चर्चा में रहे।

प्रदीप कासनी…

Pradeep Kasnee

प्रदीप कासनी भी हरियाणा कैडर के अफसर हैं। ट्रांसफर के मामले में इनका रिकॉर्ड है। ये 34 साल के करियर में 71 ट्रांसफर देख चुके। वहीं रिटायरमेंट के बाद भी इनको न तो 6 महीने की सैलरी मिली और न ही कोई भत्ता।प्रदीप कासनी की बात करें तो ये साल 1980 बैच के अफसर रहे हैं। वह साल 1997 में आईएएस बने थे। साल 1984 में पहली पोस्टिंग के बाद से उनका लगातार ट्रांसफर होता रहा और अपने आप में एक रिकॉर्ड ही बन गया।

लोकेश जांगिड़…

Jangid lokesh

लोकेश कुमार जांगिड़ साल 2014 बैच के अफसर हैं। लेकिन, वह लगातार तबादले झेल रहे हैं। हाल ही में ट्रांसफर के बाद उन्होंने अफसरों के एक व्हाट्सऐप ग्रुप में व्यवस्थाओं को लेकर गंभीर सवाल उठा दिया था। इसके बाद से राजनैतिक गलियारों में काफी हलचल है। लोकेश पिछले साढ़े चार साल की नौकरी में 8 ट्रांसफर झेल चुके हैं। कहा जाता है कि इन्होंने एक व्हाट्सएप ग्रुप में बड़वानी कलेक्टर शिवराज वर्मा का जिक्र किया और उनपर कई गंभीर आरोप लगाए। कलेक्टर और उनकी पत्नी का सीएम और सीएम की पत्नी से कनेक्शन भी जोड़ते हुए इन्होंने कई गंभीर आरोप लगाए। ऐसे में इतने कम समय में आठ ट्रांसफर का सामना कर चुके लोकेश जांगिड़ को मध्यप्रदेश का “अशोक खेमका” कहा जाने लगा है।

मोहम्मद शफीउल हक…

Shafiul Haq

मुंगेर रेंज के डीआईजी रहे मोहम्मद शफीउल हक का कहना है कि पिछले 27 साल की नौकरी में उनका 21 बार ट्रांसफर हुआ है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह ये है कि उनका कोई गॉडफाडर नहीं है। इतना ही नहीं इन्होंने कहा कि मैं जहां भी जाता हूं काम करने के लिए जाता हूं। जनता का नौकर हूं, जनता की सेवा करना काम है। लेकिन बार बार ट्रांसफर होते रहेगा। फिर कोई काम कैसे करेगा।

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