विशेष

गलवान घाटी की पहली बरसी, चीन आज चले चाल तो निपटने के लिए ऐसी है भारत की तैयारी

गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भीषण सैन्य झड़प को आज एक साल पूरे हो गए हैं। पूरे देश में इस हिंसा के दौरान शहीद हुए भारतीय सैनिकों को आज श्रद्धांजलि दी जा रही है। चीन ने भी इस साल फरवरी में अनमने ढंग से ही सही इस हिंसा में मारे गए अपने सैनिकों की सच्चाई को स्वीकार कर ही लिया। उस समय चीन ने कई वीडियो जारी करते हुए भारतीय सेना पर हमला करने और उकसाने का आरोप लगाया था। हालांकि, सच्चाई यह है कि चीन इन वीडियो के जरिए खुद के दावे में उलझ गया है। सैटेलाइट इमेजरी और गूगल अर्थ के जरिए वीडियो का विश्लेषण करने के बाद चीन पर नजर रखने वाले एक सामरिक विशेषज्ञ ने बताया था कि भारत और चीन के बीच झड़प का यह स्थान एलएसी से लगभग 50 मीटर अंदर भारत की तरफ है। जिसके बाद इस बात की पुष्टि हो रही है कि चीन ने जबरदस्ती भारतीय क्षेत्र में घुसने के बाद भारतीय सैनिकों पर हमला किया था।

india china

बता दें कि भारत और चीन (India-China) की सेना के बीच हुई झड़प को एक साल होने को आया है। महीनों बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों ओर से सैन्य ताकत में इजाफा जारी है। खबर आती रही है कि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में चीन लगातार क्षमता बढ़ा रहा है। हालांकि, मौके पर किसी भी हालात का सामना करने के लिए भारतीय पक्ष भी तैयार है। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भी कहा था कि, ” भारत हर स्थिति के लिए तैयार है। अब तक दोनों देशों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है।”

Galwan Clash

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारतीय सुरक्षा बलों ने पूरे लद्दाख सेक्टर में खुद को मजबूत कर लिया है। इस दौरान बलों ने इंफ्रास्ट्रक्चर स्तर से लेकर संपर्क बढ़ाने और पड़ोसी देश की सेना का सामना करने के लिए अतिरिक्त जवानों को तैनात किया है। एजेंसी ने एक अधिकारी के हवाले से बताया कि, “लद्दाख सेक्टर में अचानक चीनी आक्रमण से हैरान बलों ने खुद को काफी मजबूत कर लिया है।” उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के नजरिए से देखें, तो सबसे बड़ी उपलब्धि सभी अग्रिम मर्चों के साथ सड़क संपर्क बेहतर होना है।

Galwan Clash

एजेंसी के अनुसार, भारतीय वायुसेना ने भी अपने स्तर पर काम शुरू कर दिया है। राफेल के साथ-साथ, मिग-29 और सू-30 जहाजों की टुकड़ी उत्तरी सीमाओं के इलाके में सक्रिय रहेगी। वहीं, इस महीने के अंत तक दूसरा स्क्वाड्रन भी ऑपरेशन के लिए तैयार होगा। अधिकारियों ने कहा है कि सशस्त्र बलों की तैयारी उस स्तर पर हैं कि चीन या दूसरी मुश्किलें किसी भी तरह से हैरान नहीं कर सकती।

akash missile

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि सेना ने LAC पर पहली बार के-9 तोपें तैनात की हैं। खास बात है की इन तोपों में पहिए लगे होते हैं, जिनकी वजह से इनकी आवाजाही में किसी अन्य गाड़ी का जरूरत नहीं होती। सेना ने M-777 आर्टिलरी गन भी तैनात की हैं. इसके अलावा भारत ने हवाई सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था की है। इतना ही नहीं कहा जा रहा है कि LAC पर आकाश मिसाइल, इजरायल का स्पाइडर और रूस का पेचोरा भी तैनात है। इनके साथ सीमा पर रडार बस्टिंग, SPICE 2000, एंटी टैंक गाइडेड मिसालइल आर-73, 400 मीडियम रेंज एयर टू एयर गाइडेड जैसी मिसाइल भी तैनात की हैं। यहां सेना के पास 15-18 महीनों का रसद भी मौजूद है। कुल मिलाकर देखें तो इस बार भारत ने कमर कस ली है और किसी भी परिस्थिति में चीन को पटखनी देने की तैयारी कर ली है।

वही चीन की बात करें तो वह भी अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देने के लिए नए हथियारों को एलएसी पर किया तैनात किया है। चीन ने लद्दाख से सटे इलाकों में 155 एमएम कैलिबर की PCL-181 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर तैनात कर रखा है। चीनी मीडिया का दावा है कि कुछ दिनों पहले इसके भी एक उन्नत संस्करण को लद्दाख के पास तैनात किया गया है। इसके अलावा चीन ने नए PHL-03 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर्स की 10 यूनिट को लद्दाख के नजदीक तैनात किया है। चीन के टाइप-15 लाइट टैंक, Z-20 ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्टर, Z-8G ट्रांसपोर्ट हेलिकॉप्‍टर, GJ-2 आर्म्ड ड्रोन, जेड-10 ए अटैक हेलिकॉप्टर भी इसी इलाके में तैनात हैं।


लेह में सेना ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि…

Galwan Clash

बता वही आज गलवान हिंसा के एक साल पूरे होने के अवसर पर भारतीय सेना की फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्‍स ने लेह स्थित वार मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। जिसके बाद दोनों देशों के बीच भारी तनाव देखने को मिला था। वही इसी संबंध में जारी एक बयान में कहा गया है कि अभूतपूर्व चीनी आक्रमण का सामना करते हुए, 20 भारतीय सैनिकों ने हमारी भूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी और पीएलए को भारी नुकसान पहुंचाया। देश इन वीर सैनिकों का सदा आभारी रहेगा, जिन्होंने सबसे कठिन ऊंचाई वाले इलाके में लड़ाई लड़ी और राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया। गलवान घाटी में हुई इस हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था और सशस्‍त्र संघर्ष के बादल मंडराने लगे थे।

Galwan Clash

Back to top button