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बिन संघर्ष जीवन अधूरा, जानिए क्यों कह रहें ऐसा….

झांसी की सड़कों पर उतरी पहली महिला ड्राइवर, जानिए क्यों चर्चा में हैं ऑटो वाली अनीता...

 

कहते हैं न कि भले ही हमारा समाज पितृसत्तात्मक हो, लेकिन महिलाएं आज भी पुरुषों से किसी मायने में कम नहीं और बीते कल में भी नहीं थी। रानी लक्ष्मीबाई का नाम तो सभी ने सुना होगा। जिसके बारें में कहा जाता है कि खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। सच पूछे तो उनका काम था भी वैसा ही। अब यहाँ सभी सोच में पड़ गए होंगे कि हम रानी लक्ष्मीबाई का ज़िक्र क्यों कर रहें तो बता दें कि झाँसी की रानी की नगरी में आज भी ऐसी महिलाएं हैं। जो कि झांसी का नाम गर्व से ऊंचा कर रही हैं।

auto vali anita

बता दें कि ऐसी ही एक साहसी महिला तालपुरा निवासी 36 वर्षीय अनीता चौधरी है। जो कि शादी के बाद अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए काम करने के लिए घर से बाहर निकली और उसने समाज की परवाह ना करते हुए ईमानदारी और लगन के साथ भगवंतपुरा स्थित फैक्टरी में 10 वर्ष काम किया। इसके बाद 2 वर्ष पाल कॉलोनी में बोरी बनाने वाली फैक्ट्री में काम किया। वहां सुपरवाइजर से कहासुनी होने पर इस साहसी महिला ने सोचा कि किसी की कहासुनी से अच्छा है, कि क्यों ना स्वयं का काम शुरू किया जाए और अब किसी की नौकरी ना करके अनीता चौधरी ने झांसी शहर की सड़कों पर टैक्सी चलाने की मन में ठान ली।

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एक सीएनजी टैक्सी फाइनेंस करा कर स्वयं झांसी के महानगर की सड़क पर चलाने का काम शुरू किया अनीता ने । अनीता अब अपने स्वयं के काम से बहुत खुश है, और सुबह 5 बजे से 9 बजे तक तथा शाम को 5 बजे से 8 बजे तक टैक्सी चलाकर 700 से 800 रुपये प्रतिदिन कमा कर अपने पति व तीन बच्चों का भरण पोषण करती है। बता दें कि अनीता की शादी 1999 में हुई थी और पहले उसके पति फल का ठेला लगाते थे। किंतु कुछ वर्षों से कोई काम नहीं करते हैं। इसलिए उसने स्वयं कार्य कर अपना परिवार चलने का निश्चय किया।

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बता दें कि अनीता अपने आसपास के इलाके में अब रोल मॉडल बनती जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अनीता द्वारा ऑटो चलाकर परिवार को पालना किसी बड़े सामाजिक संदेश से कम नहीं। इतना ही नहीं लोग तो यहाँ तक कहने लगें है कि जरूरी नहीं है कि महिलाएं पारिवारिक कर्तव्यों को घरों में रहकर ही पूरा करें। महिलाएं घरों से बाहर निकलकर ऑटो चलाकर भी सम्मान से जीवन यापन कर सकती है। कुल मिलाकर देखें तो अनीता ने न सिर्फ अपनी मेहनत और लगन से परिवार को नई दिशा दी है, अपितु झाँसी की रानी के नगर में एक नया माहौल तैयार किया है, जो यह बताने के लिए काफ़ी है कि महिलाएं के पैर सिर्फ़ घर तक सिमित नहीं, वह चाहें तो बड़े से बड़ा काम कर सकती है।

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