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जी-20 समूह के नेता जितिन प्रसाद हुए भाजपा के, कांग्रेस को लगा बड़ा झटका

कांग्रेस से जुदा हुए जितिन प्रसाद, यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस हुई क्लीन बोल्ड

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगभग अभी एक वर्ष का समय बचा हुआ है, लेकिन उसके पहले भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया है। जी हां भाजपा ने कांग्रेस पर सर्जिकल स्ट्राइक कर उत्तर प्रदेश में उसके एक कद्दावर नेता जितिन प्रसाद को छीन लिया है। बता दें कि जितिन प्रसाद कांग्रेस के उस जी-23 समूह के सदस्य रहें हैं। जो समूह एक समय सोनिया गांधी को पत्र लिखकर नाराजगी जाहिर करता रहा है। ऐसे में कहीं न कहीं जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब समूह जी-23 से कांग्रेस पार्टी को पहला बड़ा झटका मिल गया है।

jitin prasad in bjp

मालूम हो कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और यूपी कांग्रेस के दिग्गज नेता जितिन प्रसाद उन 23 नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व में बदलाव और संगठन में चुनाव के लिए सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था। इस पत्र के सार्वजनिक होने पर काफी बवाल भी मचा था। बता दें कि इस ग्रुप में कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद जैसे और भी बड़े नेताओं का नाम शामिल था।


वहीं बीजेपी में शामिल होने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि, “बीजेपी ने मुझे सम्मान दिया है। आज देश में असल मायने में कोई राजनीतिक दल है, जो संस्थागत है। तो वो बीजेपी ही है।’ इतना ही नहीं बीजेपी में शामिल होने के बाद जितिन प्रसाद ने कहा कि, ”मैंने पिछले 8-10 सालों में ये महसूस किया है कि आज देश में अगर कोई असली मायने में संस्थागत राजनीतिक दल है तो वह भाजपा है। बाकी दल तो व्यक्ति विशेष और क्षेत्र विशेष के हो गए हैं। मगर राष्ट्रीय दल के नाम पर भारत में कोई दल है तो भाजपा ही है।”


वही कांग्रेस के लिए उन्होंने कहा कि, “मेरा कांग्रेस पार्टी से 3 पीढ़ियों का साथ रहा है। मैंने ये महत्वपूर्ण निर्णय बहुत सोच, विचार और मंथन के बाद लिया है। आज सवाल ये नहीं है कि मैं किस पार्टी को छोड़कर आ रहा हूं, बल्कि सवाल ये है कि मैं किस पार्टी में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं। पिछले 8-10 वर्षों में मैंने महसूस किया है कि अगर कोई एक पार्टी है जो वास्तव में राष्ट्रीय है, तो वह भाजपा है। अन्य दल क्षेत्रीय हैं, लेकिन यह राष्ट्रीय दल है, आज देश जिस स्थिति से गुजर रहा है, अगर कोई राजनीतिक दल या नेता देश के हित के लिए खड़ा है, तो वह भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।” ऐसे में कुल-मिलाकर देखें तो विधानसभा चुनाव से पूर्व उत्तर प्रदेश जैसे सूबे में कांग्रेस की यह बड़ी पराजय है। जिसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है। वैसे जितिन प्रसाद के भाजपा में जाने से कांग्रेस को कितना नुकसान होता है। वह तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन एक बात तो यह तय हो गई है कि कांग्रेस के अंदर शीर्ष नेतृत्व को लेकर जो अंतर्कलह व्याप्त है। वह अब और खिंचती दिख सकती है और हो सकता है कि आने वाले समय में कांग्रेस को और झटके भी ऐसे झेलने पड़ सकते हैं।

जितिन प्रसाद का राजनितक करियर…

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जितिन प्रसाद के राजनीतिक जीवन की बात करें। तो जितिन प्रसाद 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस के सचिव बने। इसके बाद वह 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट, शाहजहांपुर से 14वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी और जीते। पहली बार जितिन प्रसाद को 2008 में केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया। उसके बाद सन् 2009 में जितिन प्रसाद 15 वीं लोकसभा चुनाव लोकसभा धौरहरा से लड़े और भारी मतों से विजयी भी हुए। जितिन प्रसाद 2009 से जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और 28 अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय, यूपीए सरकार में केन्द्रीय राज्यमंत्री रहें हैं। वही जितिन प्रसाद शाहजहांपुर, लखीमपुर और सीतापुर में काफी लोकप्रिय नेता हैं। जितिन प्रसाद को उत्तर प्रदेश में शांतिप्रिय व विकासवादी राजनीति के लिए जाना जाता है।

इतना ही नहीं जब वह साल 2008 में पीएम मनमोहन सिंह की कैबिनेट में मंत्री बने। उस समय वह सबसे कम उम्र के मंत्री बने थे। कभी राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस से दो बार सांसद रहे हैं तो वहीं 2014 और 2019 के चुनाव में जितिन प्रसाद को हार का मुंह देखना पड़ा।

विरासत में मिली है बगावत…

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जितिन प्रसाद का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए कितना नुकसानदायक होगा और भाजपा के लिए कितना फायदेमंद यह तो भविष्य ही तय करेगा, मगर इतना तो तय है कि ब्राह्मण वोट जरूर बंटेंगे। इसके अलावा, जितिन प्रसाद का पाला बदलना कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि जितिन प्रसाद को यह बगावत विरासत में मिली है, क्योंकि जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद भी साल 2000 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चुनाव में सोनिया गांधी के खिलाफ लड़े थे। हालांकि, वह हारे और कुछ ही समय बाद उनका निधन भी हो गया था।

दो पूर्व प्रधानमंत्रियों के सलाहकार थे जितिन प्रसाद के पिता…

यह सामान्य लोगो को शायद ही पता होगा कि जितिन के पिता जितेंद्र प्रसाद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के सलाहकार भी रह चुके थे। इसके साथ ही जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। जितिन प्रसाद के दादा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस के नेता थे। उनकी परनानी पूर्णिमा देवी नोबेल विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर के भाई हेमेंद्रनाथ टैगोर की बेटी थी।

यह रही कांग्रेस छोड़ने की वज़ह…

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दरअसल उत्‍तर प्रदेश कांग्रेस में जब से प्रियंका गांधी की एंट्री हुई है, तब से ही जितिन प्रसाद की अहमियत पार्टी की नजरों कम होती नजर आने लगी। प्रियंका के आने के बाद यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार उर्फ लल्लू बनाए गए। कई अहम समितियों में भी जितिन प्रसाद का नाम नदारद रहा। इसके बाद जितिन प्रसाद को पश्चिम बंगाल का चुनाव प्रभारी बना दिया था। जितिन प्रसाद के लिए ये संकेत काफी था। उन्‍हें उत्‍तर प्रदेश की राजनीति से दूर करने का प्रयास किया जा रहा था। जिसकी वज़ह से उन्होंने अपना नया राजनीतिक घर ढूढ़ने में ही भलाई समझी।

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