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14 लाख खर्च कर ‘सरोगेसी’ से मिला बच्चा, लेकिन पहले बर्थडे पर पुलिस ने उसे मां-बाप से छीन लिया

कर्नाटक की राजधानी बंगलूरू में एक बच्चे को उसके जन्मदिवस के दिन माता-पिता से अलग कर दिया गया। एक साल के मासूम के जन्मदिन की तैयारी घर में की जा रही थी। लेकिन तभी पुलिस वहां आ गई और बच्चे को माता-पिता से छीन कर ले गई। वहीं जब माता-पिता ने पुलिस से ऐसा करने की वजह पूछी। तो पुलिस ने उन्हें बताया कि ये बच्चा उनका नहीं किसी ओर का है।

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क्या है पूरा मामला

सरोगेसी के माध्यम से इस दंपति के घर एक साल पहले एक बच्चे ने जन्म लिया था। सरोगेसी पर दंपति का 14 लाख से अधिक खर्चा आया था। इस दंपति ने पुलिस को बताया कि विजयनगर में रहने वाली डॉ. रश्मि शशिकुमार बनेरघट्टा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में कार्यरत है। वो बेलगावी जिले के किक्कोडी से ताल्लुक रखती है। उसने सरोगेसी के माध्यम से उन्हें बच्चा दिलाने की बात कही थी। इसके लिए डॉक्टर ने 14.5 लाख रुपये लिए थे। जिसके बाद मई 2020 के दौरान डॉक्टर ने इन्हें बच्चा सौंपा और कहा कि ये उनका है। तभी से ये बच्चे का पालन कर रहे थे।

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अस्पताल से हुआ चोरी

पुलिस के अनुसार जो बच्चा डॉ. रश्मि शशिकुमार बनेरघट्टा ने इस दंपति को दिया था। वो सरोगेसी के जरिए नहीं हुआ था। उसे अस्पताल से चोरी किया गया था। पुलिस के मुताबिक बच्चा चोरी होने के बाद उसके असली माता-पिता ने केस दर्ज किया था। एक साल से पुलिस बच्चे का पता लगाने में लगी हुई थी। वहीं शनिवार , 29 मई को पुलिस टीम कर्नाटक उत्तर के कोप्पल पहुंची और दंपति को पूरे मामले की जानकारी दी।

पुलिस की बात सुनकर दंपति दंग रहे गया और उन्होंने बताया कि वे तो सिर्फ इतना जानते थे कि ये बच्चा सरोगेसी के माध्यम से मिला है। वे अब तक सरोगेसी करने वाली महिला से मिले तक नहीं थे। बच्चे को देने से इन्होंने मना भी कर दिया। लेकिन पुलिस ने बच्चे का डीएनए टेस्ट कराया। जिससे उसके बायलॉजिकल माता-पिता की पुष्टि हो गई। इसके बाद डॉ. रश्मि को गिरफ्तार कर लिया गया।

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इस तरह से चोरी किया था बच्चा

पुलिस के मुताबिक बच्चे का जन्म 29 मई को सुबह 7:50 बजे हुआ था। करीब 10 बजे जब बच्चे का पिता नवीद अपने एक रिश्तेदार को घर छोड़ने गया। तब एक महिला डॉक्टर ने बच्चे की मां हुस्ना से बातचीत की और उसे एक दवा दी। जिसे खाकर वो सो गई। करीब 45 मिनट बाद उसकी जब नींद खुली तो बच्चा चोरी हो चुका था।

इस मामले में अगले दिन चामराजपेट थाने में शिकायत दर्ज की गई। दिसंबर 2020 के दौरान ये केस बसावनगुडी महिला थाने में ट्रांसफर कर दिया गया। जांच के दौरान सामने आया कि जिस महिला डॉक्टर ने हुस्ना से बातचीत की थी, वो रश्मि थी। जिसने अस्पताल की चिकित्सक बनकर हुस्ना को नींद की दवा खिला दी थी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संदिग्ध का स्केच तैयार कराया गया। जांच के दौरान 700 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई।

जांच अधिकारी ने बताया कि रश्मि साल 2015 के दौरान हुबली के एक निजी अस्पताल में काम करती थी। उस दौरान सरोगेसी से बच्चा लेने वाले दंपति से उसकी मुलाकात हुई। रश्मि ने इन्हें आश्वासन दिया था कि वो सरोगेसी के माध्यम से उन्हें बच्चा देगी। साल 2019 में उसने दंपति से मुलाकात की और सरोगेसी के लिए पिता के सैंपल व जरूरी कागजात ले लिए। रश्मि ने दंपति को बताया कि उनके बच्चे को बंगलूरू की महिला जन्म देने वाली है और मई 2020 में डिलिवरी होने का अनुमान है। मई 2020 में रश्मि ने कई सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटे। उसे चामराजपेट के सरकारी अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था काफी कमजोर लगी। ऐसे में उसने हुस्ना से उसका बच्चा चुरा लिया और उसे दंपति को बच्चा सौंप दिया।

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