अध्यात्म

क्या आप जानते हैं की राम और सीता के वियोग का कारण कैकेयी नहीं बल्कि कोई और था, जानिये !

आज से नहीं बल्कि हम बहुत सालों से यह बात सुनते आ रहे हैं कि भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास कैकेयी के कारण हुआ था। जब रावण ने सीता का हरण किया था तो कुछ समय तक भगवान राम को सीता का वियोग  सहना पड़ा था। क्या आपको पता है कि राम और सीता को एक दूसरे से दूर रहने का मुख्य कारण क्या था?  चलिए आज हम आपको बताते हैं कि उनके वियोग का मुख्य कारण क्या था।

नारद मुनि ने कहा कि मुझे हरि जैसी छवि चाहिए :

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार नारद जी को एक सुंदर कन्या भा गई। वह उससे विवाह करना चाहते थे। नारद मुनि इस बात को जानते थे कि यह सुंदर कन्या है तो इसे वर भी सुंदर चाहिए। जिसके कारण नारद मुनि भगवान नारायण के पास गए। उन्होंने नारायण को पूरी बात नहीं बताई बस यह कहा कि मैं आपसे एक वरदान मांगना चाहता हूं। मैंने आज तक आप से कभी कुछ नहीं मांगा है क्या आप मेरी इच्छा पूरी करेंगे। फिर विष्णु भगवान ने उनकी इच्छा का सम्मान रखा और कहां कि हे नारद मांगो तुम मुझसेे क्या मांगना चाहते हो। नारद मुनि ने कहा कि मुझे हरि जैसी छवि चाहिए। शायद आप लोगों को ना पता हो हरि और हरी के दो मतलब होते हैं। हरि माने भगवान यानी स्वयं भगवान विष्णु और हरी का मतलब होता है वानर। नारद मुनि ने हरिमुख मांगा और नारायण ने हरीमुख दे दिया।

विष्णु भगवान ने नारद को वानर का मुख दे दिया :

विष्णु भगवान ने नारद को वानर का मुख दे दिया। जब नारद मुनि सुंदर कन्या के स्वयंवर में पहुंचे तो लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और उस कन्या ने उन से विवाह करने के लिए मना कर दिया। सभा से उन्हें बाहर निकाल दिया गया।

इस बात से नारद मुनि बहुत क्रोधित हुए। उन्हें बहुत क्रोध आया। वह सीधा भगवान विष्णु के पास पहुंचे। क्रोध में आकर उन्होंने भगवान विष्णु को यह श्राप दे दिया कि आपको भी एक समय देवी लक्ष्मी से दूर रहना पड़ेगा। उनका वियोग सहना पड़ेगा और आप दोनों का मिलन एक वानर की सहायता से ही होगा। बस यही कारण है जिसकी वजह से राम और सीता को एक दूसरे का वियोग सहना पड़ा। हालांकि भगवान राम ने जन्म रावण का वध करने के लिए लिया था। अगर देखा जाए तो अगर राम राजा बन जाते तो कैसे वह वन में जाते, कैसे देवी सीता का हरण होता और कैसे भगवान राम को रावण को मारने का कारण मिलता। बस इन्हीं सब कारणों की वजह से भगवान राम को वनवास हुआ था।

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