विशेष

पति से प्रताड़ित होकर महिला ने मुख्यमंत्री से लगाई गुहार ‘शिवराज मामा मेरे पति से मुझे बचालो’

save me shivraj mama

मानव समाज भले इक्कीसवीं सदी में पहुँच गया है। उसने धरती से निकलकर दूसरे ग्रहों पर जीवन ढूढ़ना शुरू कर दिया है। इन सबके बावजूद हमारे समाज में कुछ ऐसे रीति-रिवाज़ चल रहें। जो समय के हिसाब से बिल्कुल अप्रासंगिक है। ये रीति-रिवाज़ सिर्फ़ समाज को चोट पहुँचाने का काम कर रहें, लेकिन उनमें बदलाव की कोई आश नज़र नहीं आती। जी हां एक ऐसी ही प्रथा मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों में प्रचलित है। खासकर राजगढ़ ज़िले में जिससे परेशान होकर एक महिला सूबे के मुख्यमंत्री से गुहार लगाती है कि, ” मामा मुझे बचा लो।”

नातरा और झगड़ा प्रथा। जिससे व्यथित हो उठी महिला

 

हमारे देश मे ट्रिपल तलाक़ को लेकर व्यापक मुहिम छिड़ी। जिसके बाद ट्रिपल तलाक़ को गैर-कानूनी घोषित किया गया। लेकिन क्या हमारे देश में तीन तलाक़ ख़त्म होने से महिलाओं की समस्याएं ख़त्म हो गई। बिल्कुल नहीं! देश के दिल मध्यप्रदेश में एक रूढ़िवादी परम्परा तीन तलाक़ से भी अधिक घातक है। जिसे “झगड़ा प्रथा’ के नाम से जानते हैं। इस झगड़ा प्रथा की वज़ह से कइयों महिलाओं और उनके परिजनों को प्रताड़ित होना पड़ता है। इस प्रथा की वज़ह से लड़के वाले करते हैं मनमानी और लड़की और उसके पिता को सहन करना पड़ता है अपमान साथ ही साथ देना पड़ती है मोटी रकम।

save me shivraj mama

आइए जानते हैं पहले क्या है झगड़ा प्रथा…

झगड़ा प्रथा मूलत: मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में अधिक है। झगड़ा प्रथा के चलते यहां की नाबालिग लड़कियों को बेहद अपमानजनक हालात का सामना करना पड़ता है। राजगढ़ जिले में राजस्थान सीमा से लगे इलाके “तंवरबाड़ा” में ये भयावह स्थिति में हैं। इसकी वजह से पिछले 15 से 20 सालों में इस कुप्रथा के कारण न सिर्फ जिले का विकास रुका हुआ है, बल्कि बेटियों का भविष्य भी अंधकारमय हो रहा है। यह प्रथा किसी एक जाति में प्रचलित नहीं, बल्कि राजगढ़ जिले में बाहुल्य सौंधिया, दांगी, तंवर, गुर्जर, दलित आदि जातियों में यह प्रथा धड़ल्ले से प्रचलित है।

जिले में अधिकांश जातियां अपने बच्चों की शादियां बचपन में ही तय कर देती हैं। कभी सगाई तो कई मामलों में शादियां भी हो जातीं हैं, लेकिन उम्र कम होने की वजह से बच्चियों को ससुराल नहीं भेजते हैं। कुछ मामलों में बीच में ही संबंध विच्छेद हो जाते हैं। कई बार लड़का किसी दूसरी लड़की से शादी कर लेता है तो कई बार लड़की शादी से इंकार कर देती है। ऐसे में लड़का पक्ष के लोग दोनों ही स्थिति में लड़की वालों से झगड़ा प्रथा के रूप में मोटी रकम मांगते हैं।

समाज द्वारा तय किया गया झगड़ा प्रथा के रूप में रकम नहीं चुकाने पर गांव के अन्य लोगों के खलियान में आग लगा देते हैं, घर तक जला देते हैं। गांव वाले भी नुकसान का पूरा पैसा लड़की वालों से लेते हैं। कई बार लड़की दूसरे से शादी कर लेती है तो यह झगड़ा प्रथा के लिए रकम उसको चुकाना होता है। एक जगह शादी तय होने के कारण लड़की यदि दूसरे से शादी करती है तो उसे “नातरा प्रथा” कहते हैं। इन सभी कुप्रथाओं का संबंध बाल विवाह से जुड़ा हुआ है।

save me shivraj mama

क्या है ताज़ा मामला…

ताज़ा घटनाक्रम मध्यप्रदेश के राजगढ़ ज़िले के खिलचीपुर थाना के गांव देवली निवासी काली बाई से जुड़ा हुआ है। जिनकी शादी 4 वर्ष पहले जिले के ही ग्राम हताई खेड़ा निवासी ज्ञान सिंह के साथ हुई थी। शादी के बाद से ही पति ज्ञान सिंह दहेज की मांग करता और रोजाना पत्नी काली बाई के साथ मारपीट करता था। पति की प्रताड़ना से तंग आकर कालीबाई अपने पिता अमृतलाल के गांव देवली चली आई। बार-बार पति ससुराल वालों पर पत्नी को भेजने का दबाव बनाने लगा लेकिन पत्नी ने जाने से साफ मना कर दिया। इस पर पति ने झगड़े को लेकर रुपये मांगे लेकिन पत्नी के पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने और मां लकवा से पीड़ित होकर उनका इलाज चल रहा है। जिसके चलते लड़की के माता-पिता झगड़ा नहीं दे सके।

save me shivraj mama

झगड़ा ना मिलने पर पति ज्ञान सिंह ने ग्राम देवरी में आकर रात के समय में ग्रामीणों के पिण्डारे में रखे कंडों के ढेर, भूसे एवं बैलगाड़ी में आग लगा दी और एक चिट्ठी छोड़कर चला गया। चिट्ठी में लिखा कि, “अमृतलाल देवरी वाला से आपको उलजो है”, इसका मतलब झगड़ा ना देने पर लड़की के पिता अमृतलाल से आप लोगों को नुकसान लेना है। लड़की के पिता ने खिलचीपुर थाने में इस घटना की शिकायत की पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।

दूसरी बार फिर से पति ने ग्रामीणों के आम के पेड़ काट दिए और फिर आगजनी की घटना को अंजाम दिया। गांव के 5 लोगों का करीबन 10 लाख का नुकसान हुआ है। जिसके बाद देवली गांव के ग्रामीणों ने लड़की के घर वालों पर नुकसान की भरपाई करने की बात कही है। जिसके बाद परेशान लड़की ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज मामा से गुहार लगाकर सुरक्षा और पति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

ऐसे में कहीं न कहीं अब मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करके इसी परम्पराओं पर रोक लगाना चाहिए जो देश और समाज के हित में कतई नहीं। ताकि कालीबाई जैसी अनगिनत महिलाओं का जीवन जीते-जी नरक बनने से बच सकें। शादी तो एक पवित्र बंधन होता। फ़िर उसमें जोर-जबर्दस्ती जैसी बात कहां आ जाती है?

Back to top button