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गर्लफ्रेंड को महंगी कार दिलाने की ख़ातिर मौत के मुहाने तक पहुंच गया प्रेमी…

हकीकत और सपनों की दुनिया में काफ़ी अंतर होता है। आज के समय में गर्ल फ्रेंड और बॉयफ्रेंड शब्द बड़े कॉमन से हो गए हैं। हर बॉय फ्रेंड यह चाहता है कि वह कुछ ऐसा करें ताकि उसकी गर्ल फ्रेंड उससे इंप्रेस रहें। यही कुछ गर्ल फ्रेंड की भी सोच रहती है। ऐसे में हम आपको एक ऐसी कहानी से रूबरू कराने जा रहें। जिसमें एक बॉयफ्रेंड अपनी दोस्त को महंगी कार दिलाने की सोचता है, लेकिन उसकी यही सोच उसके जीवन चक्र को ही समाप्त करने की दिशा में बढ़ जाती है।

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हम सभी यह कहावत तो बचपन से सुनते आ रहें हैं कि, “जो खुद की मदद नहीं करता, भगवान भी उसकी मदद नहीं करते हैं।” जी हां हम जिस शख़्स की बात कर रहें वह अपनी गर्लफ्रेंड को डेढ़ करोड़ रुपए की लेम्बोर्गिनी कार दिलाने के लिए 40 दिन के कठोर तप पर बैठता है। उसे विश्वास होता है कि अगर वह तप करेगा तो भगवान उसे दर्शन देगें फिर वह ईश्वर, अल्लाह से आशीर्वाद स्वरूप लेम्बोर्गिनी कार प्राप्त कर अपनी गर्ल फ्रेंड को दे देगा। ऐसे में यह युवक तप करने तो बैठ जाता है, लेकिन शायद उसे यह पता नहीं कि कर्म करना मनुष्य सिर्फ़ मनुष्य के हाथ मे वह भी सही दिशा में।

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बता दें कि जिस युवक की कहानी है। वह है सेंट्रल जिम्बाब्वे के रिसेन सेंटस चर्च में काम करने वाले “मार्क मुराड़जीरा” की। जिसने भगवान को प्रसन्न करने के लिए बिना कुछ खाएं-पिएं एक पहाड़ी पर बैठकर तप करना चालू किया, लेकिन 33वें दिन ही उसकी सेहत बिगड़ने लगी। जिसके बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टर्स ने बड़ी मुश्किलों से उसकी जान बचाई।

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मबारे टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक मार्क का कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। उसे आखिरी बार देखने वालों ने बताया कि उसने कई लोगों से कहा था कि भगवान उसे लेम्बोर्गिनी कार देने वाले हैं। इसके लिए उसे आइडिया मिल गया है। 40 दिन और 40 रात का उपवास करने से वह भगवान को प्रसन्न कर लेगा और भगवान से लेम्बोर्गिनी कार मांग लेगा। यह मार्क का दिवास्वप्न था कि अपनी गर्ल फ्रेंड को लेम्बोर्गिनी दिलाने की सनक। वह तो वही जाने, लेकिन 33 वें दिन वह बीमार पड़ गया। जिसके बाद उसके मित्रों ने अपनी जमा-पूंजी लगाकर जैसे तैसे उसके प्राण बचाएं। यह ख़बर अब पूरे दुनिया में वायरल हो रही। सभी का यह कहना है कि अपने साथी की ख़ुशी के लिए कुछ अच्छा करना उचित बात है, लेकिन कोई इतनी बड़ी मूर्खता कैसे कर सकता कि अपनी जान को ही जोख़िम में डाल दें। वह भी एक महंगी कार गिफ़्ट करने के लिए।

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वैसे बता दें कि मार्क ने लगातार 33 दिन तक कुछ नहीं खाया-पिया। इस बारे में कोई जानकारी नहीं उपलब्ध। हां लगातार एकाध सप्ताह कोई बिना पानी के जी सकता, लेकिन 33 दिन जीना मुश्किल। कुल-मिलाकर मार्क ने जो कुछ किया वह किसी बेकूफ़ी से कम नहीं। इसी को लेकर चर्च के बिशप मावरु ने कहा कि, “उसे कम से कम नौकरी के लिए उपवास करना चाहिए था, क्योंकि वह बेरोजगार है।” एक बात तो है कि अगर वह मेहनत से पैसे कमाने की सोचता तो शायद कोई कार अपनी गर्ल फ्रेंड को दिला भी सकता, लेकिन वह तो न जानें किस सपने में था कि अपनी जान को ही दांव पर लगाने बैठ गया।

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