अध्यात्म

राजा दशरथ द्वारा लिखा गया है यह शनि स्तोत्र, पढ़ने से तुरंत साढ़ेसाती हो जाती है ख़तम

शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। मान्यता है कि शनि देव जीवन में एक बार जरूर व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देते हैं। जो लोग अच्छे कर्म करते हैं, शनि देव उनको शुभ फल प्रदान करते हैं। वहीं जो लोग बुरे कर्म करते हैं, उनका जीवन दुखों से भर देते हैं।

किसी शख्स पर शनि देव की कृपा बन जाए। तो उसकी किस्मत चमक जाती है। लेकिन किसी पर शनिदेव की बुरी दृष्टि पड़ जाए तो व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो जाता है। पंडितों के अनुसार जब किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती, ढैया और अन्य महादशा चल रही होती है। तो उसे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है। जातक सदा परेशान रहता है। उसे किसी भी कार्य में कामयाबी नहीं मिलती है।

अगर आप शनिदेव के बुरे प्रकोप से बचना चाहते हैं, तो नीचे बताए गए कार्यों को जरूर करें। इन कार्यों को करने से शनि देव की बुरी दृष्टि से बचा जा सकता है।

करें गरीबों की सेवा

 

शनिवार के दिन गरीब लोगों की सेवा करें और उन्हें भोजन करवाएं। इसके अलावा इस दिन सफाई कर्मचारियों को पैसे भी दान करें। ये उपाय करने से शनि देव प्रसन्न हो जाते हैं और आपके अनुकूल फल प्रदान करते हैं।

करें काली चीजों का दान

शनिवार को काली चीजों का दान करना उत्तम माना गया है। इस दिन आप सुबह स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। फिर किसी जरूरतमंद व्यक्ति को काली वस्तु, जैसे अनाज, वस्त्र, काला छाता, कंबल का दान करें। साथ ही आप सरसों का तेल भी दान कर सकते हैं।

हनुमान जी को जरूर करें याद

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को हनुमान जी की पूजा भी जरूर किया करें। शनिवार को बजरंगबली को सरसों का तेल अर्पित करने से शनि ग्रह से रक्षा होती है।

 जरूर जलाएं सरसों का दीपक

शनिवार को शनि देव का पूजन करते हुए उनके सामने सरसों के तेल का दीपक जला दें। इसके अलावा शनिदेव पर भी सरसों का तेल अर्पित करें। पूजा करते हुए दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ जरूर करें। दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव की कृपा बन जाती है और ये आपकी रक्षा करते हैं। आपको किसी भी तरह का कष्ट नहीं पहुंचाते हैं।  ये पाठ पढ़ने से  साढ़ेसाती, ढैया आदि किसी भी तरह की शनि संबन्धी पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है।

शनि स्तोत्र के रचियता राजा दशरथ हैं। कहा जाता है कि उन्होंने ही इस स्तुति से शनिदेव को प्रसन्न किया था और उनसे वरदान मांगा था कि वे देवता, असुर, मनुष्य, पशु-पक्षी किसी को पीड़ा न दें। शनिदेव ने राजा दशरथ से वादा करते हुए कहा था कि आज के बाद जो भी इस दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करेगा। उसे शनि के प्रकोप से मुक्ति मिल जाएगी।

इस तरह से पढ़ें पाठ

इस पाठ को शनिवार के दिन पढ़ना लाभकारी होता है। शनिवार की सुबह जल्दी उठकर इसका पाठ करें। सबसे पहले स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र  धारण कर लें। फिर शनिदेव के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं और दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ शुरू करें। ये पाठ पढ़ने के बाद तिल का तेल या सरसों के तेल में काले तिल डालकर अर्पित करें।

ये है शनि स्तोत्र

नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च
नमः कालाग्निरुपाय कृतान्ताय च वै नमः

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते

नमः पुष्कलगात्राय स्थुलरोम्णेऽथ वै नमः
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नमः
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च

अधोदृष्टेः नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते

तपसा दग्ध.देहाय नित्यं योगरताय च
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नमः

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज.सूनवे
तुष्टो ददासि वै राज्यं रूष्टो हरसि तत्क्षणात्

देवासुरमनुष्याश्र्च सिद्ध.विद्याधरोरगाः
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः

प्रसाद कुरु मे सौरे! वारदो भव भास्करे
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबलः

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