अध्यात्म

51 शक्तिपीठों में से एक है अबुर्दा देवी मंदिर, यहां आकर मां के दर्शन करने से दूर हो जाते हैं दुख

नवरात्रि के दौरान माउंट आबू में स्थिति अर्बुदा देवी मंदिर में खासा भीड़ देखने को मिलती है। दूर-दूर से लोग यहां आकर मां अर्बुदा देवी के दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि अर्बुदा देवी कात्यायनी मां का ही रूप हैं। इन्हें अधर देवी, अम्बिका और अधिष्ठात्री देवी के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर देश की 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां पर मां सती का अधर गिरा था।

आबू राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है और जो भी लोग यहां धूमने के लिए आते हैं। वो इस मंदिर में जरूर जाते हैं। यहां आकर पूजा करने से कष्ट खत्म हो जाते हैं और मनचाही चीज भी मिल जाती है। अर्बुदा देवी मंदिर माउंटआबू से 3 किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर को अर्बुदा देवी, अधर देवी, अम्बिका और कात्यायनी देवी मंदिर के नाम से भी जामा जाता है।

प्राकृतिक गुफा में बना है मंदिर

समुद्र तल से साढ़े पांच हजार फीट ऊंचाई में ये मंदिर स्थिति है। जो कि एक प्राकृतिक गुफा में है। इस गुफा की ज्यादा ऊंचाई नहीं है। जिसके कारण अर्बुदा देवी मंदिर में प्रवेश के लिए श्रद्धालुओं को गुफा के संकरे मार्ग में होकर बैठकर जाना पड़ता है। वहीं अष्टमी की रात्रि को यहां पर महायज्ञ होता है। जो कि अगले दिन नवमी तक चलता है। इस दौरान काफी लोग इस यज्ञ में शामिल होने के लिए आते हैं।

नवरात्रों में यहां निरंतर दिन-रात अखंड पाठ भी होता है। अष्टमी की रात्रि यहां महायज्ञ होता है जो नवमी के सुबह तक पूर्ण होता है। इस मंदिर को बेहद ही सुंदर तरीके से बनाया गया है और इसके पास एक शिव मन्दिर भी है। जो लोग भी इस यहां आतें हैं वो इस शिव मंदिर में भी जरूर जाया करते हैं।

मंदिर से जुड़ी कथा

मां अर्बुदा द्वारा बासकली दैत्य का वध किया गया था। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार एक दानव हुआ करता था । जिसका नाम राजा कली था। इसे बासकली के नाम से भी जाना जाता था। खुद को ताकतवर बनाने के लिए इस दानव ने भगवान शिव की कड़ी तपस्या की थी। इस तपस्या से खुश होकर शिव जी ने इसे अजेय होने का वरदान दिया। ये वरदान मिलते ही इस दानव के अंदर घमंड आ गया और इसने सभी देवताओं को तंग करना शुरू कर दिया। बासकली से परेशान होकर इंद्र सहित सभी देवताओं ने अर्बुदा देवी से मदद मांगी। मां को प्रसन्न करने के लिए इन सभी ने तपस्या की। जिसके बाद देवी तीन रूप में प्रकट हुईं। देवताओं ने बासकली से बचाने की प्रार्थना मां से की। मां ने ये प्रार्थना स्वीकार क ली।

देवताओं की रक्षा के लिए मां ने बासकली को अपने चरणों के नीचे दबा लिया और उसका संहार कर दिया। इसके बाद से अर्बुदा मंदिर के पास स्थित माता के पादुका की पूजा होने लगी।

माना जाता है कि जो लोग नवरात्रि के दौरान मां का पूजन करते हैं। मां उनकी रक्षा करती हैं और दुखों का नाश कर देती है। इसलिए आप भी नवरात्रि के दौरान मां का पूजन जरूर करें।

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