अध्यात्म

आज है शीतला अष्टमी, सुखी व आरोग्य जीवन के लिए करें ये असरदार टोटके

शीतला अष्टमी का पर्व आज है और इस दिन मां शीतला देवी का पूजन किया जाता है। ये पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। इस साल 4 अप्रैल, रविवार को कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि आ रही है। माना जाता है कि जो लोग शीतला अष्टमी के दिन मां का पूजन करते हैं, उनके जीवन से कष्ट खत्म हो जाते हैं। मां उनकी रक्षा रोगों से करती हैं और जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होने देती हैं।

शास्त्रों में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है। मां के हाथों में कलश,सूप, झाड़ू तथा नीम के पत्ते होते हैं। हाथ में झाड़ू होने का अर्थ है कि हम सभी को सफाई करनी चाहिए। सूप से स्वच्छ भोजन करने की प्रेरणा मिलती है। क्योंकि ज्यादातर बीमारियां दूषित भोजन करने से ही होती हैं। कलश में सभी तैतीस कोटि देवताओं का वास रहता है।

शीतला अष्टमी पूजा मुहूर्त

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 4 अप्रैल को सुबह 04.21 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त- 5 अप्रैल को देर रात 02.59 बजे तक

पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06.08 बजे से लेकर शाम में 06.41 बजे तक

इस तरह से की जाती है मां की पूजा

शीतला अष्टमी के दिन मां को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है। दरअसल इस दिन कई लोग चूल्हा नहीं जलाते हैं। ऐसे में मां के लिए पहले से ही खाना बनाकर रख दिया जाता हैं और इस खाने से ही मां को भोग लगाया जाता है। मां को केवल ठंडी चीजों का ही भोग लगाया जाता है। ठंडी चीजों का भोग लगाने के पीछे जुड़ी मान्यता के अनुसार इस दिन से ही बसंत की विदाई होती है और ग्रीष्म का आगमन होता है।

शीतला अष्टमी से जुड़ी कथा

शीतला अष्टमी कथा के अनुसार एक बार शीतला मां धरती पर ये देखने को आई कि आखिर लोग उनकी पूजा करते हैं कि नहीं। जब मां बुजुर्ग महिला का रूप लेकर धरती पर आई तो किसी ने गलती से उनपर चावल का गर्म पानी फेंक दिया। जिसके कारण मां का शरीर जल गया और उन्हें दर्द होने लगा। मां को दर्द में देख एक गरीब महिला ने उनपर ठंडा जल डाला जिससे मां को राहत मिली। साथ में ही मां को खाने को ठंडी चीजें दी ताकि शरीर को शीतलता प्रदान हो। जिससे मां को काफी आराम पहुंचा। वहीं जब महिला को पता चला कि ये बुजुर्ग महिला के रूप में शीतला माता है। तो उन्होंने मां को अपने घर में रोक लिया। मां ने महिला की सेवा से खुश होकर उसकी गरीबी को दूर कर दिया। साथ में ही ये वचन दिया कि जो लोग उन्हें ठंडी चीजों का भोग लगाएंगे उनकी रक्षा रोगों से होगी।

पूजा करते हुए मां का पौराणिक मंत्र ‘हृं श्रीं शीतलायै नमः’ को जरूर पढ़ेँ। ये मंत्र पढ़ने से सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है। शीतला माता की पूजा करते हुए उन्हें दही, रोटी, ठंडा जल अर्पित किया जाता है। वहीं पूजा करने के बाद इस जल से आंखों को साफ किया जाता है। ऐसा करने से आंखें सही रहती हैं। माता का पूजन करने के बाद घर के मुख्यद्वार पर सुख-शांति एवं मंगल कामना हेतु हल्दी के स्वास्तिक बनाए जाते हैं।

शीतला अष्टमी के दिन जरूर करें ये उपाय

शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता की पूजा करें। पूजा होने के बाद नीम के पेड़ पर जल चढ़ें और सात परिक्रमा लें। ये उपाय करने से रोगों से रक्षा होती है और घर में शांति बनीं रहती है।

शीतला अष्टमी के दिन माता को हल्दी अर्पित करें और इस हल्दी को परिवार के सभी सदस्यों को लगाएं। ये उपाय करने से बीमारियों से रक्षा होगी और अगर कोई रोग होगा तो वो सही हो जाएगा।

शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता को जल अर्पित करें और इस जल को घर की सभी दिशाओं में छिड़कें। ऐसा करने से घर में पॉजिटिव एनर्जी और सुख-शांति आती है।

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